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कट्टरपंथी जिहादियों को मुस्लिम महिलाओं ने दिया संदेश

मुस्लिम महिलाओं ने उतारी प्रभु श्री राम की आरती

नफरत की तपिश को राम नाम का शीतल जल ही ठंडा कर सकता है

वाराणसी। दुनियां में चारों और धार्मिक हिंसा का वातावरण बना हुआ है, बांग्लादेश में कट्टरपंथी जिहादियों द्वारा मंदिर तोड़ा जाना धार्मिक हिंसा का सबसे बड़ा उदाहरण है। पाकिस्तान धार्मिक हिंसा का केन्द्र बन चुका है, अब वहां के धार्मिक आतंकवादी दुनियां को उजाड़ने का ख्वाब पाले बैठे हैं। अफगानिस्तान में धर्म के नाम पर रोज बम फोड़कर क्रूरतम हत्यायें हो रही हैं। कश्मीर में नाम पूछकर गोली मारी जा रही है। इन सब स्थानों के इतिहास का अध्ययन करें तो यही पता चलेगा कि जब तक यह भारत का हिस्सा था और राम की संस्कृति मानने वाले लोग थे, तब तक शांति, बुद्धिमत्ता और शिक्षा का केन्द्र था। जब यह भूभाग राम से अलग हो गये तब से यहां अशांति, आतंकवाद और गरीबी ने डेरा जमा लिया।
दुनियां को धार्मिक हिंसा से बचाने के लिए काशी की मुस्लिम महिलाओं ने प्रभु श्री राम की आरती उतारी। विशाल भारत संस्थान एवं मुस्लिम महिला फाउण्डेशन के संयुक्त तत्वावधान में लमही के सुभाष भवन में मुस्लिम महिलाओं द्वारा श्रीराम महाआरती का आयोजन दीपावली के अवसर पर किया गया। एक तरफ अयोध्या लाखों दीपों से जगमगा रही है, वहीं दूसरी ओर काशी की मुस्लिम महिलायें राम जी की आरती कर रही हैं। अब इससे ज्यादा श्रेष्ठ भारत की कल्पना क्या हो सकती है।
तमाम धमकियों के बावजूद मुस्लिम महिलायें श्रीराम आरती कर साम्प्रदायिक एकता का संदेश तो दे ही रही हैं, साथ ही नफरत की आग को ठंडा करने के लिए राम नाम का शीतल जल जन-जन तक पहुंचा रही हैं। उर्दू में लिखी श्रीराम प्रार्थना और श्रीराम आरती को मुस्लिम महिलायें बड़ी शिद्दत से गाती हैं। खूबसूरत सजावटी दीपक से सजाये गये थाल से आरती करती मुस्लिम महिलायें अपने देश में शांति और एकता की पैरोकारी करती हैं।
मुस्लिम महिला फाउण्डेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष नाजनीन अंसारी को उर्दू में हनुमान चालीसा लिखने की वजह से हनुमान चालीसा प्रेम की उपाधि दी गयी है। भगवान श्रीराम और माता जानकी की मूर्ति पर श्रद्धा से सिर झुकाने और पुष्प अर्पित करने के बाद आरती की गयी। फिर दीप जलाए गए और मुस्लिम महिलाओं ने फुलझड़ी जलाकर यह संदेश दे दिया कि भारत भूमि पर रहने वाले सभी भारतवासी सांस्कृतिक रूप से एक हैं, क्योंकि सबके पूर्वज एक ही थे। इसलिए तीज-त्यौहार साथ मिलकर मनाना ही एकता, अखंडता का प्रतीक है और कट्टरपंथियों को जवाब भी।
इस महाआरती कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर महंत बालक दास जी महाराज ने मुस्लिम महिलाओं के साथ श्रीराम आरती कर धर्म के भेद को खत्म किया और सबके राम, सबमें राम की उक्ति को चरितार्थ किया।
इस अवसर पर मुस्लिम महिला फाउण्डेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नाजनीन अंसारी ने कहा कि धर्म बदलने से पूर्वज नहीं बदल जाते। औरंगजेब के जमाने में हमारे पूर्वजों ने किसी वजह से धर्म बदल लिया, इसका मतलब यह नहीं हम अपनी संस्कृति, देश और पूर्वजों से अलग हो गये। प्रत्येक भारतवासी के पूर्वज प्रभु श्रीराम हैं। किसी भी धर्म को मानने वाले हों लेकिन यदि वे प्रभु श्रीराम को नजरअंदाज करते हैं, तो इसका अर्थ है कि वे अपने पूर्वजों का अपमान करते हैं। राम शांति, मर्यादा, संस्कार और सम्बन्ध के प्रतीक हैं। जो राम के साथ है, दुनियां उसके साथ है जैसे भारत। जो राम के खिलाफ गया, दुनियां ने उसका साथ छोड़ दिया जैसे पाकिस्तान। अभी भी वक्त है मुस्लिम देश भगवान श्री राम की शरण में आ जायें, तो शायद उनके पाप धुल जाएंगे, अन्यथा उनका अस्तित्व एक दिन खत्म हो जाएगा जैसे रावण का खत्म हो गया।
पतालपुरी मठ के पीठाधीश्वर महंत बालक दास जी महाराज ने कहा कि राम की शरण में रहने वाले को किसी का भय नहीं और राम का साथ छोड़ने वालों को कहीं शरण नहीं। जन-जन में राम का जितना विस्तार होगा, उतना ही दुनियां शांति की ओर जाएगी। आवश्यक है राम को दिमाग से स्वीकार करना और दिल में बैठाना। राममय भारत ही विश्व का नेतृत्व करेगा।
विशाल भारत संस्थान के अध्यक्ष एवं रामपंथ के पंथाचार्य डॉ० राजीव श्रीगुरुजी ने कहा कि जिस लाहौर को भगवान राम के पुत्र भगवान लव ने बसाया हो, वहां हिंसा का माहौल है, क्योंकि वहां के लोग अपने पूर्वज भगवान लव को भूल गये। नफरत और बदनामी की आग में जल रहे पाकिस्तान का कोई साथ देने वाला नहीं है। भगवान लव का भव्य मंदिर लाहौर में बने तो पाकिस्तान की दशा बदल सकती है। जो अपने ही पूर्वजों का जड़ खोदेगा उसकी जिंदगी नफरत की आग में झुलसेगी। आज राम की सम्बन्धवादी संस्कृति से परिवार, समाज और देश बच सकता है। देशों को रामराज्य की परिभाषा पढ़नी चाहिए।
मुस्लिम महिला फाउण्डेशन के केन्द्रीय नेता नजमा परवीन ने अयोध्या श्रीराम जन्मभूमि की पवित्र मिट्टी के कलश को सिर पर रखकर पूजा स्थल तक पहुंचाया और लोगों ने दर्शन किया। मुस्लिम महिलाओं ने जय सियाराम का उद्घोष किया और राम नाम का कीर्तन किया।
श्रीराम महाआरती में अर्चना भारतवंशी, डा० मृदुला जायसवाल, नगीना बानो, शबनम, सबीना, नाजिया, नजराना, नगीना, शम्सुननिशा, नाजमा, सैमुननिशा, मुन्नी, जुबैदा, शहजादी, अजमती, रबीना, रूखसाना, हदीसुन, रशीदा, शहीदुन, इली भारतवंशी, उजाला भारतवंशी, दक्षिता भारतवंशी आदि लोगों ने भाग लिया।

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