सेनाओं को दुश्मन से दो कदम आगे रखने के लिए की जा रही हैं अनेक पहल: जनरल चौहान
नयी दिल्ली : प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा दुश्मन से दो कदम आगे रहने के लिए अनेक पहल की जा रही हैं तथा संभावित खतरे के अनुसार युद्ध लड़ने के सिद्धांतों, रणनीति और अवधारणाओं में सुधार किया गया है।जनरल चौहान ने कारगिल विजय दिवस के 25 साल पूरे होने के अवसर पर यहां एक कार्यक्रम में यह बात कही।उन्होंने कारगिल सम्मान प्रदान करते हुए युद्ध के दौरान अपार योगदान और बलिदान के लिए पूर्व सैन्यकर्मियों और वीर नारियों को धन्यवाद दिया। उन्होंने देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के राष्ट्रीय प्रयास का समर्थन करने के लिए भारतीय रक्षा उद्योग की भी सराहना की।
उन्होंने कहा कि भविष्य के लिए तैयार सशस्त्र बलों के लिए स्वदेशी साधनों के जरिये प्रगतिशील तरीके से क्षमता विकास का प्रयास किया जा रहा है, जिसमें अवसंरचना और मजबूत परिचालन लॉजिस्टिक्स शामिल हैं। उन्होंने कहा कि युद्ध लड़ने की दक्षता और प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए पुनर्गठन और पुनर्संरचना से जुड़ी कई पहल चल रही हैं।प्रमुख रक्षा अध्यक्ष ने कहा कि भविष्य की सैन्य और गैर-सैन्य सुरक्षा चुनौतियों की प्रकृति, सशस्त्र बलों के लिए बहु-क्षेत्रीय और बहु-आयामी चुनौतियों के प्रति तैयार रहने की अनिवार्य आवश्यकता को सामने लाती है। उन्होंने कहा, “ थल , समुद्र, वायु, अंतरिक्ष, सूचना और साइबरस्पेस जैसे सभी क्षेत्रों में निर्बाध एकीकरण और सशस्त्र बलों की विभिन्न शाखाओं के बीच अंतर-संचालन योग्य प्रणालियों को शामिल किये जाने की अपरिहार्य आवश्यकता है।
”जनरल चौहान ने कहा कि कारगिल एक ऐसा संघर्ष था, जिसने एक मजबूत और जवाबी रक्षा रणनीति की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “ कारगिल संघर्ष ने हमारी सीमाओं की सुरक्षा के लिए सतर्कता और तैयारी बनाए रखने के महत्व को उजागर किया। इसने सार्वजनिक और अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति के महत्व पर भी जोर दिया, एक ऐसी रणनीति, जिसका उपयोग शत्रु देशों की तटस्थता बनाए रखने और वैश्विक समर्थन हासिल करने के लिए प्रभावी ढंग से किया गया।”सशस्त्र बलों के एकीकरण की दिशा में उठाए गए कदमों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि तीनों सेनाएं अब संयुक्त संस्कृति को बढ़ावा देने और कई क्षेत्रों में खुद को एकीकृत करने की दिशा में काम कर रही हैं।
कारगिल युद्ध को भारत में पहला टेलीविजन युद्ध बताते हुए, जहाँ स्वतंत्र और खुला मीडिया मौजूद था जनरल चौहान ने इस बात पर ज़ोर दिया कि दुनिया भर में धारणाओं को आकार देने की कोशिश करने वाले आख्यानों के बीच निरंतर लड़ाई के साथ, ‘सूचना क्षेत्र’ एक और प्रमुख युद्ध क्षेत्र के रूप में उभरा है।जनरल अनिल चौहान ने कहा कि कारगिल युद्ध हमारे सशस्त्र बलों की दृढ़ता, निस्वार्थ भावना, प्रचंड साहस और दृढ़ संकल्प का पर्याय बन गया है और यह राष्ट्र को भविष्य के खतरों और चुनौतियों पर सामूहिक रूप से ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करता है। (वार्ता)