National

मन की बात:वर्ष 2025 तक भारत टीबी मुक्त होगा : प्रधानमंत्री

नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कहा कि भारत 2025 तक देश से तपेदिक (टीबी) को पूरी तरह से समाप्त कर देगा।‘मन की बात’ के 93वें संस्करण में प्रधानमंत्री ने कहा कि सही पोषण और समय पर दवाइयों से टीवी का इलाज संभव है। उन्हें विश्वास है कि जनभागीदारी से प्राप्त शक्ति से वर्ष 2025 तक भारत टीबी से मुक्त हो जाएगा।

इसके लिए सरकार की पहल का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि टीबी मुक्त भारत अभियान के हिस्से के तौर पर आज हम यह देख रहे हैं कि टीवी के मरीजों को गोद लिया जा रहा है और उनके पौष्टिक आहार का बीड़ा उठाया जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने चीतों के नामकरण के लिए मांगे सुझाव

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि भारत में चीतों की वापसी को लेकर 130 करोड़ देशवासी उत्साहित हैं। एक टास्क फोर्स चीतों की निगरानी करेगी, जिसके आधार पर तय किया जाएगा कि आप चीतों को कब देख सकते हैं। साथ ही उन्होंने लोगों से चीतों के नामकरण को लेकर सुझाव मांगे।

प्रधानमंत्री मोदी ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 93वें संस्करण में अपने विचार साझा कर रहे थे। मोदी ने कहा कि देश के कौने-कोने से लोगों ने भारत में चीतों के लौटने पर खुशी जताई है। 130 करोड़ भारतवासी खुश हैं और गर्व से भरे हैं। यह भारत का प्रकृति प्रेम है। इस बारे में लोगों का एक सामान्य सवाल यही है कि मोदी जी हमें चीतों को देखने का अवसर कब मिलेगा।

उन्होंने कहा कि चीतों की निगरानी के लिए एक टास्क फोर्स बनी है जो यह तय करेगी कि चीते यहां के माहौल में कितने घुल-मिल पाए हैं। इसी आधार पर कुछ महीने बाद कोई निर्णय लिया जाएगा। उसी के बाद लोग चीतों को देख पायेंगे। उल्लेखनीय है कि नामीबिया से भारत लाए गए आठ चीतों को मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में रखा गया है।

प्रधानमंत्री ने देशवासियों से चीतों के लिए चलाए जा रहे अभियान के नामकरण को लेकर सुझाव मांगे हैं। इस प्रतियोगिता का ईनाम चीता देखने का पहला मौका भी दिला सकता है। उन्होंने कहा कि माई गांव के प्लेटफार्म पर एक प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। उन्होंने कहा कि मैं लोगों से इस पर कुछ चीजें साझा करने का आग्रह करता हूं। चीतों को लेकर जो अभियान चला रहे हैं, आखिर उस अभियान का नाम क्या होना चाहिए। क्या हम इन सभी चीतों के नामकरण के बारे में सोच सकते हैं कि इनमें से हर एक को किस नाम से बुलाया जाए।

उन्होंने कहा कि ये नामकरण अगर पारंपरिक हो तो काफी अच्छा रहेगा, क्योंकि अपने समाज और संस्कृति से जुड़ी हुई कोई भी चीज हमें सहज ही अपनी ओर आकर्षित करती है। इसके अलावा यह भी बताएं कि आखिर इंसानों को जानवरों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे मौलिक कर्तव्यों में भी जानवरों के लिए सम्मान पर जोर दिया गया है।

सांकेतिक भाषा के विकास से दिव्यांगों को मिल रहा लाभ : प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में ‘भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र’ के सांकेतिक भाषा विकास की दिशा में किए गए प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि पिछले सात-आठ वर्षों में सांकेतिक भाषा विकास के लिए देश में चले अभियान से लाखों दिव्यांग भाई-बहनों को लाभ मिल रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मन की बात’ के 93वें संस्करण में कहा कि भारत में बरसों से सांकेतिक भाषा के हाव-भाव तय करने के लिए कोई स्पष्ट मानक नहीं थे। इन मुश्किलों को दूर करने के लिए 2015 में ‘भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र’ की स्थापना की गई। यह हर्ष का विषय है कि संस्थान अब तक दस हजार शब्दों और अभिव्यक्ति की डिक्शनरी तैयार कर चुका है। 23 सितंबर को सांकेतिक भाषा दिवस पर कई स्कूली पाठ्यक्रमों को भी सांकेतिक भाषा में लांच किया गया।

इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने ब्रेल लिपि में असमिया भाषा के शब्दकोश ‘हेमकोष’ का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हेमकोष असमिया भाषा की सबसे पुरानी डिक्शनरी है। इसे 19वीं शताब्दी में तैयार किया गया था। इसका संपादन प्रख्यात भाषाविद हेमचंद्र बरुआ ने किया था। हेमकोष का ब्रेल संस्करण करीब दस हजार पन्नों का है और यह 15 खंडों में प्रकाशित होने जा रहा है। इसमें एक लाख से भी अधिक शब्दों का अनुवाद होना है।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय भारत माता के सच्चे सपूतः प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम में प्रख्यात विचारक पंडित दीनदयाल उपाध्याय को उनकी जयंती पर याद किया। उन्होंने कहा कि वह भारत माता के सच्चे सपूत थे।प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मन की बात’ के 93वें संस्करण में कहा कि किसी देश के युवा जैसे-जैसे अपनी पहचान और गौरव पर गर्व करते हैं, उन्हें अपने मौलिक विचार और दर्शन उतने ही आकर्षित करते हैं। दीनदयाल जी ने विचारों के संघर्ष और विश्व की उथल-पुथल को देखते हुए ‘एकात्म मानव दर्शन’ और ‘अंत्योदय’ का एक विचार देश के सामने रखा। यह विचार पूरी तरह से भारतीय है।

उन्होंने कहा कि ‘एकात्म मानव दर्शन’ विचारधारा के द्वंद्व और दुराग्रह से मुक्ति दिलाता है और मानव मात्र को एक समान मानने वाले भारतीय दर्शन को दुनिया के सामने रखता है।मोदी ने कहा कि दीनदयाल जी का दर्शन हमें सिखाता है कि कैसे आधुनिक, सामाजिक और राजनीतिक परिपेक्ष में भारतीय दर्शन दुनिया का मार्गदर्शन कर सकता है। उन्होंने आजादी के बाद देश में पनपी हीन भावना से हमें आजादी दिला कर बौद्धिक चेतना को जागृत किया। वह कहते थे कि ‘हमारी आजादी तभी सार्थक हो सकती है जब वो हमारी संस्कृति और पहचान की अभिव्यक्ति करें।’ (हि.स.)।

VARANASI TRAVEL
SHREYAN FIRE TRAINING INSTITUTE VARANASI

Related Articles

Back to top button
%d bloggers like this: