जौनपुर : उत्तर प्रदेश में जौनपुर जिले में स्थित पौराणिक शीतला माता चौकिया मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र हैं जहां नवरात्रि में विशेष धूम रहती है और बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपनी अपनी मुराद लेकर माता के दर्शन को आते हैं।मान्यता है कि अगर किसी को मां विन्ध्यवासिनी का दर्शन करना है तो उसके पहले मां शीतला का दर्शन जरूरी है, उसके बाद ही मां विन्ध्यवासिनी के दर्शन का महत्व है। लोगों की आस्था इस बात से भी देखी जा सकती है कि दिल्ली, मुम्बई जैसी जगहों से यहां पर दर्शन को खिंचे चले आते हैं।
पूर्वांचल के लोगों की आस्था का केंद्र मां शीतला चौकिया धाम में यूं तो हर समय दर्शनार्थियों का आना-जाना लगा रहता है। नवरात्रि के अवसर पर यहां हजारों की संख्या में लोग अपनी मनोकामना लेकर माता के दर्शन को आते हैं। सुबह से ही भक्तों का सैलाब़ मां शीतला चैकिया के दर्शन को कतार लगाए खड़ा हो जाता है। नवरात्रि के पहले दिन माता की एक झलक पाने के लिए लोग लालायित नजर आते हैं। मां शीतला के भक्तों की श्रद्धा यहां तक है कि वे अपने बच्चों के मुन्डन संस्कार के लिए दूर -दूर से खिंचे चले आते हैं, ऐसा कहा जाता है कि मां भक्तों को कभी खाली नहीं भेजती, लोग अपनी-अपनी मनोकामनाएं लेकर दरबार में आते हैं और उनकी सभी मुरादें पूरी होती हैं।हजारों साल पुराने इस पौराणिक मंदिर में हर साल हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
माता के दरबार में कढाई चढाते हैं और बच्चों का मुंडन संस्कार भी कराते हैं, ऐसी मान्यता है कि मंदिर के पास बने तालाब में नहाने से कुष्ठ जैसे रोग से छुटकारा मिल जाता है., माता के दर्शन कर लेने के बाद श्रद्धालुओं की आगे की यात्रा के सफल होने की गारन्टी हो जाती है., इसीलिए वाराणसी, सोनभद्र, बलिया, आजमगढ़, गाजीपुर, गोरखपुर जैसे पूर्वांचल के जिले से श्रद्धालु जब मां विन्ध्यवासिनी के दर्शन को निकलते हैं तो पहले माता शीतला के दर्शन कर के ही अपनी यात्रा आगे बढ़ाते हैं।मंदिर के पुजारी विनय तिवारी ने बताया कि नवरात्रि के दिनों में तो पूजा-पाठ और व्रत का खास महत्व है। मां शीतला के दर्शन के बिना जौनपुर और दूर-दराज के जिलों के श्रद्धालू अपनी भक्ती को पूर्ण नहीं पाते, ऐसी मान्यता है कि माता शीतला खुद से यहां निकली हैं, नवदुर्गा में यह सबसे छोटी बहन है। (वार्ता)