महाकोशल। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी गाडरवारा श्वेता श्रीवास्तव ने लव जिहाद के आरोपी मकसूद खान की जमानत याचिका निरस्त करने के साथ ही प्रकरण में संज्ञान लेते हुए धारा 506 बी का इजाफा कर दिया। गाडरवारा थाने में एक युवती की शिकायत पर दर्ज प्रकरण की सुनवाई के दौरान गत 22 नवंबर को जेल भेजे गए आरोपी मकसूद खान की जमानत अर्जी पर न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी गाडरवारा की अदालत में उसकी जमानत अर्जी पर बुधवार को सुनवाई हुई।
अभियुक्त के वकील आई वी श्रीवास्तव ने तर्क दिया कि अभियुक्त निर्दोष है और उसे उक्त मामले में झूठा फंसाकर प्रताड़ित करने का प्रयास किया जा रहा है। दूसरी ओर फरियादी के अधिवक्ता महेश बुधौलिया ने जमानत आवेदन पर आपत्ति की और तर्क दिया कि आरोपी को जमानत का लाभ दिए जाने से वह अभियोजन पक्ष को डरा धमका कर प्रभावित कर सकता है और फरियादी को बदनाम कर क्षति पहुंचाने का प्रयास करेगा।
पीड़िता के वकील ने दलील दी कि प्रकरण की गंभीर परिस्थतियों को देखते हुए आरोपी को जमानत पर रिहा न किया जाय। कोर्ट ने दोनों पक्षों के तर्क सुने और कहा कि अभियुक्त 22 नवंबर से न्यायिक अभिरक्षा में है। लेकिन अभियुक्त पर एक अन्य प्रकरण भी लंबित है और इस प्रकरण में अनुसंधान अपूर्ण है तथा अभियुक्त प्रकरण के साक्षियों को प्रभावित कर सकता है। अत: प्रकरण की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए आरोपी की ओर से प्रस्तुत धारा 437 दंड प्रक्रिया संहिता का आवेदन निरस्त किया जाता है। न्यायालय ने आरोपी के प्रकरण में आईपीएस की धारा 506 बी भी जोड़ने का आदेश दिया है।