- कुल 7.5 लाख रुपये तक की ऋण राशि पर भारत सरकार द्वारा 75 प्रतिशत क्रेडिट गारंटी प्रदान की जाएगी, ताकि बैंकों को कवरेज बढ़ाने में सहायता मिल सके
- इसके अलावा, 8 लाख रुपये तक की वार्षिक पारिवारिक आय वाले विद्यार्थियों के लिए, यह योजना 10 लाख रुपये तक के ऋण पर 3 प्रतिशत की ब्याज छूट भी प्रदान करेगी
- यह 4.5 लाख रुपये तक की वार्षिक पारिवारिक आय वाले विद्यार्थियों को पहले से दी गई पूर्ण ब्याज छूट के अतिरिक्त है
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने केन्द्रीय क्षेत्र की एक नई योजना पीएम विद्यालक्ष्मी को मंजूरी दे दी है। इस नई योजना का उद्देश्य मेधावी विद्यार्थियों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है ताकि वित्तीय बाधाएं किसी को भी उच्च शिक्षा प्राप्त करने से न रोकें। पीएम विद्यालक्ष्मी राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 से निकली एक और महत्वपूर्ण पहल है, जिसने यह सिफारिश की थी कि सार्वजनिक और निजी, दोनों प्रकार के उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) में विभिन्न उपायों के माध्यम से मेधावी विद्यार्थियों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
पीएम विद्यालक्ष्मी योजना के तहत, गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा संस्थान (क्यूएचईआई) में प्रवेश लेने वाला कोई भी विद्यार्थी ट्यूशन फीस की पूरी राशि और पाठ्यक्रम से संबंधित अन्य खर्चों को कवर करने हेतु बैंकों और वित्तीय संस्थानों से गिरवी मुक्त एवं गारंटर मुक्त ऋण प्राप्त करने का पात्र होगा। यह योजना एक सरल, पारदर्शी एवं विद्यार्थियों के अनुकूल प्रणाली के माध्यम से संचालित की जाएगी, जो अंतर- संचालनीय और पूरी तरह से डिजिटल होगी।
यह योजना एनआईआरएफ रैंकिंग द्वारा निर्धारित देश के शीर्ष गुणवत्ता वाले उच्च शिक्षण संस्थानों में लागू होगी। इस योजना में एनआईआरएफ के समग्र, श्रेणी-विशिष्ट और डोमेन -विशिष्ट रैंकिंग में शीर्ष 100 में स्थान रखने वाले सभी एचईआई, सरकारी एवं निजी, शामिल हैं। एनआईआरएफ रैंकिंग में 101-200 में स्थान रखने वाले राज्य सरकार के उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) और केन्द्र सरकार द्वारा प्रशासित सभी संस्थानों को इसमें शामिल किया गया है। इस सूची को एनआईआरएफ के नवीनतम रैंकिंग का उपयोग करके हर वर्ष अद्यतन किया जाएगा और शुरुआत 860 योग्य क्यूएचईआई से होगी, जिसमें 22 लाख से अधिक विद्यार्थी शामिल होंगे जो अपनी इच्छानुसार संभावित रूप से पीएम-विद्यालक्ष्मी का लाभ उठा सकेंगे।
कुल 7.5 लाख रुपये तक की ऋण राशि के लिए, विद्यार्थी बकाया डिफॉल्ट के 75 प्रतिशत की क्रेडिट गारंटी के भी पात्र होंगे। इससे बैंकों को इस योजना के तहत विद्यार्थियों को शिक्षा ऋण उपलब्ध कराने में सहायता मिलेगी।
उपरोक्त सुविधाओं के अलावा, जिन विद्यार्थियों की वार्षिक पारिवारिक आय 8 लाख रुपये तक है और वे किसी अन्य सरकारी छात्रवृत्ति या ब्याज छूट योजनाओं के तहत लाभ के पात्र नहीं हैं, उन्हें 10 लाख रुपये तक के ऋण पर अधिस्थगन अवधि के दौरान 3 प्रतिशत की ब्याज छूट भी प्रदान की जाएगी। हर वर्ष एक लाख विद्यार्थियों को ब्याज छूट सहायता दी जाएगी। उन विद्यार्थियों को प्राथमिकता दी जाएगी जो सरकारी संस्थानों में अध्ययनरत हैं और जिन्होंने तकनीकी/व्यावसायिक पाठ्यक्रमों का विकल्प चुना है। वर्ष 2024-25 से 2030-31 के दौरान 3,600 करोड़ रुपये के परिव्यय का प्रावधान किया गया है और इस अवधि के दौरान 7 लाख नए छात्रों को इस ब्याज छूट का लाभ मिलने की उम्मीद है।
उच्च शिक्षा विभाग के पास एक एकीकृत पोर्टल “पीएम-विद्यालक्ष्मी” उपलब्ध होगा, जिस पर विद्यार्थी सभी बैंकों द्वारा उपयोग की जाने वाली सरलीकृत आवेदन प्रक्रिया के माध्यम से शिक्षा ऋण के साथ-साथ ब्याज छूट के लिए आवेदन कर सकेंगे। ब्याज छूट का भुगतान ई-वाउचर और सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) वॉलेट के माध्यम से किया जाएगा।
पीएम विद्यालक्ष्मी देश के युवाओं के लिए गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा को अधिकतम सुलभ बनाने हेतु शिक्षा एवं वित्तीय समावेशन के क्षेत्र में पिछले एक दशक में भारत सरकार द्वारा की गई विभिन पहलों के दायरे एवं सुलभता को आगे बढ़ाएगी। यह योजना उच्च शिक्षा विभाग द्वारा कार्यान्वित की जा रही पीएम-यूएसपी की दो घटक योजनाओं, केन्द्रीय क्षेत्र ब्याज सब्सिडी (सीएसआईएस) और शिक्षा ऋण के लिए क्रेडिट गारंटी फंड योजना (सीजीएफएसईएल) की पूरक होगी।
पीएम-यूएसपी सीएसआईएस के तहत, 4.5 लाख रुपये तक की वार्षिक पारिवारिक आय वाले और स्वीकृत संस्थानों में तकनीकी/व्यावसायिक पाठ्यक्रम में अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों को 10 लाख रुपये तक के शिक्षा ऋण के लिए अधिस्थगन अवधि के दौरान पूर्ण ब्याज छूट मिलती है। इस प्रकार, पीएम विद्यालक्ष्मी और पीएम-यूएसपी मिलकर सभी योग्य विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण एचईआई में उच्च शिक्षा और स्वीकृत एचईआई में तकनीकी/व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए समग्र सहायता प्रदान करेंगी।
एफसीआई में होगा 10700 करोड़ रुपये का निवेश
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) में वित्तीय वर्ष 2024-25 में कार्यशील पूंजी के लिए 10,700 करोड़ रुपये की इक्विटी डालने को मंजूरी दे दी है। इस निर्णय का उद्देश्य कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देना और देश भर के किसानों का कल्याण सुनिश्चित करना है। यह रणनीतिक कदम किसानों को समर्थन देने और भारत की कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
एफसीआई ने 1964 में 100 करोड़ रुपये की अधिकृत पूंजी और 4 करोड़ रुपये की इक्विटी के साथ अपनी यात्रा शुरू की थी। एफसीआई के संचालन में कई गुना वृद्धि हुई, जिसके परिणामस्वरूप फरवरी, 2023 में अधिकृत पूंजी 11,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 21,000 करोड़ रुपये हो गई। वित्तीय वर्ष 2019-20 में एफसीआई की इक्विटी 4,496 करोड़ रुपये थी, जो वित्तीय वर्ष 2023-24 में बढ़कर 10,157 करोड़ रुपये हो गई। अब, भारत सरकार ने एफसीआई के लिए 10,700 करोड़ रुपये की महत्वपूर्ण इक्विटी को मंजूरी दी है, जो इसे वित्तीय रूप से मजबूत करेगी और इसके परिवर्तन के लिए की गई पहलों को एक बड़ा बढ़ावा देगी। एफसीआई न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खाद्यान्नों की खरीद, रणनीतिक खाद्यान्न भंडार के रखरखाव, कल्याणकारी उपायों के लिए खाद्यान्नों के वितरण और बाजार में खाद्यान्नों की कीमतों के स्थिरीकरण के माध्यम से खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
इक्विटी का निवेश एफसीआई की परिचालन क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, ताकि वह अपने अधिदेश को प्रभावी ढंग से पूरा कर सके.एफसीआई फंड की आवश्यकता से जुड़ी कमी को पूरा करने के लिए अल्पकालिक उधार का सहारा लेता है.इस निवेश से ब्याज का बोझ कम करने में मदद मिलेगी और अंततः भारत सरकार की सब्सिडी कम होगीएमएसपी आधारित खरीद और एफसीआई की परिचालन क्षमताओं में निवेश केप्रति सरकारकी दोहरी प्रतिबद्धता, किसानों को सशक्त बनाने, कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने और राष्ट्र के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा मेंएक सहयोगात्मक प्रयास का प्रतीक है।