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खिलौना मेला 2021 को लेकर जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ

आप चाहे किसी भी उम्र के हों खिलौना का नाम सुनते ही रोमांचित हो जाते हैं। खेल और खिलौने के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह चुके हैं कि जीवन में खेलने के लिए खेलना बहुत ही जरूरी है। समय के साथ वैसे खिलौनों के रूप में भी काफी बदलाव आया है और इस बीच खिलौनों का एक बहुत बड़ा वैश्विक बाजार बन गया है। इसी बाजार में भारत की दमदार मौजूदगी से वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारत सुनिश्चित करने पर हाल में प्रधानमंत्री का खास जोर रहा है। इसी मकसद से देश का पहला खिलौना मेला आयोजित किया गया है।

27 फरवरी से 2 मार्च तक चलेगा ‘द इंडिया टॉय फेयर’

जी हां, ‘द इंडिया टॉय फेयर 2021’ का आगाज़ शनिवार 27 फरवरी को हो चुका है जो 2 मार्च तक चलेगा। वर्चुअल रूप से इस मेले का शुभारंभ पीएम मोदी द्वारा किया गया है। इस मेले का उद्देश्य उद्योग के समग्र विकास पर विचार विमर्श करने के लिए खरीददारों, विक्रेताओं, विद्यार्थियों, शिक्षकों और डिजाइनरों को एक मंच पर लाना है।

खिलौनों की भूमिका पढ़ाई में बहुत अधिक

वस्त्र मंत्रालय के सचिव यू.पी सिंह कहते हैं कि खिलौनों की भूमिका पढ़ाई में बहुत होती है। वे कहते हैं कि कैसे खिलौनों का इस्तेमाल कर पढ़ाई, वैल्यूज़, देश के हैरिटेज कल्चर की बाते हो उन्हें कैसे प्रमोट किया जाए। इस मेले में जानकारी और मनोरंजन के अलावा व्यापार की दृष्टि से विक्रेताओं और खरीददारों को एक प्लेटफॉर्म भी प्राप्त हो रहा है।

बता दें इस प्रदर्शनी में देश के विभिन्न राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों से एक हजार से अधिक एग्जीबिटर अपने उत्पाद दिखाएंगे। इसमें परम्परागत भारतीय खिलौनों के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक टॉय, पजल टॉय सहित कई आधुनिक खिलौने दिखाए जाएंगे। मेले में उद्यमी और डिजाइनर जहां विचार विमर्श करेंगे वही बच्चे भी मेले के दौरान अन्य गतिविधियों में हिस्सा लेंगे। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस तरह के मेले के जरिए भारत खिलौना निर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा और बच्चों को भी खेल-खेल में नई चीजें सीखने का मौका मिलेगा।

‘द इंडिया टॉय फेयर 2021’ की खास बातें…

– भारत खिलौना मेला 2021 (द इंडिया टॉय फेयर 2021) का आयोजन 27 फरवरी से 2 मार्च तक
– पहली बार देश में खिलौना मेला का हो रहा है आयोजन
– देश को खिलौना उद्योग के वैश्विक केंद्र बनाने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप है ये खिलौना मेला
– मेले के लिए किया गया है ऑनलाइन पंजीकरण
– खिलौना निर्माण के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने का मकसद
– आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल को बढ़ावा
– देश भर से 1000 से अधिक प्रदर्शक अपने उत्पादों को करेंगे प्रदर्शित
– इसमें खरीददारों, विक्रेताओं, विद्यार्थियों, शिक्षकों और डिजाइनरों को एक मंच पर लाने का प्रयास
– परंपरागत भारतीय खिलौनों के साथ-साथ होंगे इलेक्ट्रॉनिक टॉय, पज़ल टॉय सहित कई आधुनिक खिलौने
– मेले के दौरान बच्चे लेंगे अनेक गतिविधियों में हिस्सा
– बच्चों के लिए खेल-खेल में नई-नई चीजें सीखने का मौका

आजादी के बाद से लेकर अब तक खिलौनों पर भारत के किसी प्रधानमंत्री ने की विशेष चर्चा

अखिल भारतीय खिलौना निर्माता संगठन के अध्यक्ष मनीष कुकरेजा कहते हैं कि आजादी के बाद से लेकर अब तक भारत में कोई प्रधानमंत्री पहली बार इस मुद्दे पर बोले हैं। खिलौने बच्चों के विकास के लिए बहुत अहम होते हैं। वे यह भी बताते हैं इस क्षेत्र में सरकार से उन्हें काफी मदद मिल रही है। ऐसा होने से भारत के खिलौना उद्योग को एकस्पोजर मिल रहा है। न सिर्फ ऑर्गनाइज प्लेस बल्कि जो छोटे उद्योग-धंधे हैं उनको भी काफी मदद मिल रही है। वे साथ ही यह भी बताते हैं कि इसके लिए सरकार ने हमसे कोई पैसा नहीं लिया है।

विश्व बाजार में बढ़ेगा भारत का योगदान

फिक्की खिलौना समिति के चेयरमैन विवेक झांगियानी बताते हैं कि पहली बार खिलौना उद्योग पर भारत सरकार द्वारा इतना ध्यान केंद्रित किया गया है। इस क्षेत्र में सरकार द्वारा मुहैया कराई गई मदद से उम्मीद जागी है कि अंतर्राष्ट्रीय खिलौना बाजार में भारत का योगदान बढ़ेगा। विवेक बताते हैं कि दुनिया में लगभग 80 से 90 बिलियन डॉलर का खिलौना बाजार है। इसमें से 58 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट चीन से होता है। वहीं भारत की 150 मिलयन डॉलर का एक्सपोर्ट होता है। टॉय फेयर के जरिए देशी खिलौना कारोबारियों का विदेशम में स्टेण्डर्ड बढ़ेगा।

वोकल फोर लोकल को मिलेगा बढ़ावा

मनीष कुकरेजा बताते हैं कि इस टॉय फेयर से काफी बढ़ावा मिलेगा क्योंकि आज कल के बच्चे इलेंक्ट्रोनिक मीडिया में जाते हैं और उन्हें हमारे देश की संस्कृति के बारे में ज्यादा कुछ जानकारी नहीं होती। बच्चों को यह नहीं पता होता कि भारत की कौन सी कंपनी किस खिलौने का निर्माण करती है। इस मेले के जरिए उन्हें इसे समझने में भरपूर मदद मिलेगी। इंडिया टॉयर फेयर में हमें खुद कई नए कलस्कर के बारे में पता चला। ये कलस्टर बहुत ही सुंदर खिलौनों का निर्माण करते हैं। ये सभी कलस्टर ट्रेडिशनल खिलौने बनाते हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक अबोमा जब भारत आए थे तो चन्नापटना से उन्हें खिलौने भेजे गए थे। चन्नपटना कर्नाटक का एक छोटा सा कलस्टर है। तो जब यहां के खिलौने अमेरिका के व्हाइट हाउस जा सकते हैं तो फिर भारत में क्यों नहीं?

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