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केवीआईसी ने मिट्टी के बर्तन बनाने वाले 80 परिवारों को सशक्त बनाया, परिवार “स्वदेशी ओनली” के नए ध्वजवाहक

नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र, वाराणसी में मिट्टी के बर्तन बनाने वाले समुदाय, आने वाले त्यौहार के मौसम में “स्वदेशी ओनली” उत्पादों के साथ देश में एक नयी मिसाल बनाने के लिए तैयार हैं। खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) वाराणसी में “आत्मनिर्भर भारत अभियान” के हिस्से के रूप में इन समुदायों को मिट्टी के दीयों, देवी / देवताओं की मूर्तियों और मिट्टी के अन्य बर्तनों को बनाने का प्रशिक्षण दे रहा है। केवीआईसी के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने आज चार गाँवों – इटहराडीह, अहरौराडीह, अर्जुनपुर और चक सहजंगीगंज के मिट्टी के बर्तन बनाने वाले समुदायों से जुड़े 80 परिवारों को बिजली से चलने वाले पहिये (पॉटर व्हील) वितरित किए। इनमें से प्रत्येक गाँव में लगभग 150 से 200 कुछ ऐसे परिवार रहते हैं जो कई पीढ़ियों से मिट्टी के बर्तन बना रहे हैं। हालांकि, हाथ से संचालित किये जाने वाले चाकों की पुरानी तकनीकों, हाथों-औजारों से मिट्टी तैयार करने और विपणन सहायता में कमी के कारण, इन लोगों ने वर्षों से आजीविका के वैकल्पिक स्रोतों को अपनाना शुरू कर दिया है। केवीआईसी ने अगले 3 महीनों के दौरान वाराणसी में 1500 बिजली से चलने वाले पहियों (पॉटर व्हील) के वितरण का लक्ष्य रखा है।

केवीआईसी ने वाराणसी के सेवापुरी में 300 प्रवासी श्रमिक परिवारों को 300 इलेक्ट्रिक पॉटर व्हील्स और अन्य उपकरण वितरित करने की योजना तैयार की है। ये प्रवासी श्रमिक कोविड  -19 लॉकडाउन के मद्देनजर आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं और अन्य राज्यों से लौटे हैं। केवीआईसी ने अब तक 60 प्रवासी कामगारों के परिवारों को प्रशिक्षित किया है। अगले महीने 300 परिवारों को पॉटरी टूल किट वितरित किये जायेंगे। इससे केवल वाराणसी में प्रवासियों श्रमिकों के लिए रोज़गार के लगभग 1200 अवसरों के सृजित होने का अनुमान है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्रवासी श्रमिकों के लिए स्थानीय रोज़गार का निर्माण करना है ताकि उन्हें आजीविका की तलाश में अन्य शहरों में जाने की आवश्यकता न पड़े।

इस अवसर पर कुम्हार सशक्तिकरण योजना के पुराने लाभार्थियों ने वीडियो-सम्मेलन के माध्यम से केवीआईसी के अध्यक्ष से बात की। किशन प्रजापति ने कहा कि कुम्हार सशक्तिकरण योजना के तहत केवीआईसी से इलेक्ट्रिक पॉटर व्हील मिलने के बाद वे वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन पर हर दिन लगभग 3000 कुल्हड़ बेचते हैं। इस योजना के एक अन्य लाभार्थी, अक्षय कुमार प्रजापति ने बताया कि वे मिर्जापुर जिले के स्थानीय चूना बाजार में लगभग 4000 कुल्हड़ और प्लेटें बेचने में सक्षम हैं और अब वे आर्थिक रूप से आत्म-निर्भर हैं। दयाशंकर प्रजापति ने कहा कि वह वाराणसी के मंडुआडीह रेलवे स्टेशन पर दूध के लिए इस्तेमाल होने वाले लगभग 3500 मिट्टी के गिलास बेचकर अच्छी आजीविका कमा रहे हैं। मिट्टी के बर्तन बनाने वाले लोगों ने कहा कि वे मिट्टी के बर्तन बेचकर प्रति माह लगभग 20,000 रुपये कमा रहे हैं।

वाराणसी के इन गांवों में ये समुदाय विशेष रूप से दशहरा और दीपावली के आगामी त्योहारों को ध्यान में रखते हुए मिट्टी के मैजिक लैंप, पारंपरिक दीपक (दीया) और लक्ष्मी और गणेश की मूर्तियां बना रहे हैं। त्यौहारों के मौसम में लोगों को चीनी लाइट और अन्य सामान के बजाए स्थानीय उत्पाद खरीदने का आग्रह भी किया जायेगा। केवीआईसी के अध्यक्ष  विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि वाराणसी को मिट्टी के बर्तनों के निर्माण के क्षेत्र में बड़ी संभावना के लिए जाना जाता है। उन्होंने कहा “कुम्हार सशक्तिकरण योजना के तहत वाराणसी के कई गाँव पहले ही लाभान्वित हो चुके हैं। केवीआईसी वाराणसी में एमएसएमई मंत्रालय की स्फूर्ति योजना के तहत एक क्लस्टर स्थापित करने जा रहा है। श्री सक्सेना ने कहा कि क्लस्टर लगभग 500 कारीगरों को अच्छी सुविधा वाले स्थान पर काम करने का अवसर प्रदान करेगा।

नीति आयोग द्वारा वाराणसी को आकांक्षी जिले के रूप में चिन्हित किया गया  है और केवीआईसी ने सेवापुरी को प्राथमिकता के आधार पर खादी और ग्रामोद्योग गतिविधियों के विकास के लिए चुना है। इसके तहत कारीगरों को प्रशिक्षण देकर मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। केवीआईसी ने अब तक देश भर में 17,000 से अधिक इलेक्ट्रिक पॉटर व्हील्स वितरित किये हैं।

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