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भारत अंतरिक्ष में नयी ऊंचाइयों पर, आदित्य एल1 ने साधा जटिल लक्ष्य

मुर्मु , मोदी ने आदित्य एल1 को हेलो कक्षा में स्थापित करने पर इसरो की सराहना की

नई दिल्ली । सूर्य मिशन पर निकले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के आदित्य एल-1 ने अपनी मंजिल लैग्रेंज प्वाइंट-1 (एल1) पर पहुंच कर एक कीर्तिमान हासिल किया है। इसी के साथ आदित्य-एल 1 अंतिम कक्षा में भी स्थापित हो गया। यहां आदित्य दो वर्षों तक सूर्य का अध्ययन करेगा और महत्वपूर्ण आंकड़े जुटाएगा। भारत के इस पहले सूर्य अध्ययन अभियान को इसरो ने 2 सितंबर को लॉन्च किया था।

पीएम मोदी ने किया ट्वीट

इसरो की इस सफलता पर पीएम मोदी ने भी खुशी जाहिर की है। उन्होंने ट्वीट कर इसरो की सराहना करते हुए लिखा कि ‘भारत ने एक और मील का पत्थर हासिल किया। भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल 1 अपने गंतव्य तक पहुंच गई। सबसे जटिल अंतरिक्ष मिशनों में से एक को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। यह असाधारण उपलब्धि सराहना योग्य है। हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे। उन्होंने आगे कहा कि वह इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करने में देश के साथ शामिल हैं।

क्या है एल-1 प्वाइंट

एल-1 प्वाइंट के आसपास के क्षेत्र को हेलो ऑर्बिट के रूप में जाना जाता है, जो सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के बीच मौजूद पांच स्थानों में से एक है, जहां दोनों पिंडों का गुरुत्वाकर्षण प्रभाव के बीच साम्यता है। मोटे तौर पर ये वे स्थान हैं, जहां दोनों पिंडों की गुरुत्व शक्ति एक दूसरे के प्रति संतुलन बनाती है। पृथ्वी और सूर्य के बीच इन पांच स्थानों पर स्थिरता मिलती है, जिससे यहां मौजूद वस्तु सूर्य या पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में नहीं फंसती है।एल-1 बिंदु पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है। यह पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी का केवल 1 फीसदी है। दोनों पिंडों की कुल दूरी 14.96 करोड़ किलोमीटर है। इसरो के एक वैज्ञानिक के अनुसार हेलो ऑर्बिट सूर्य के चारों ओर पृथ्वी के घूमने के साथ-साथ घूमेगा।

उत्सकुता से देख रही दुनिया

इसरो के इस अभियान को पूरी दुनिया में उत्सुकता से देखा जा रहा है, क्योंकि इसके सात पेलोड सौर घटनाओं का व्यापक अध्ययन करेंगे और वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय को डाटा मुहैया कराएंगे, जिससे सभी सूर्य के विकिरण, कणों और चुंबकीय क्षेत्रों का अध्ययन कर पाएंगे। अंतरिक्ष यान में एक कोरोनोग्राफ है, जो वैज्ञानिकों को सूर्य की सतह के बहुत करीब देखने और नासा व यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के सौर और हेलिओस्फेरिक वेधशाला (एसओएचओ) मिशन के डाटा को पूरक डाटा मुहैया कराएगा। क्योंकि, आदित्य एल-1 अपनी स्थिति में स्थित एकमात्र वेधशाला है।

18 सितंबर से शुरू कर दिया काम

शुक्रवार को आदित्य एल-1 को अंतरिक्ष में सफर करते हुए 126 दिन पूरे हो गए। अपनी यात्रा शुरू करने के 16 दिन बाद यानी 18 सितंबर से आदित्य ने वैज्ञानिक डाटा एकत्र करना और सूर्य की इमेजिंग शुरू कर दी थी। वैज्ञानिकों को अब तक एल-1 से सौर ज्वालाओं के हाई-एनर्जी एक्स-रे, फुल सोलर डिस्क इमेज मिल चुके हैं। पीएपीए और एएसपीईएक्स के सोलर विंड आयन स्पेक्ट्रोमीटर सहित चार उपकरण फिलहाल सक्रिय हैं और अच्छी तरह से काम कर रहे हैं। हेलो आर्बिट में पहुंचने के बाद सूईट पेलोड सबसे पहले सक्रिय होगा।

सात पेलोड हैं तैनात

आदित्य पर सात वैज्ञानिक पेलोड तैनात किए गए हैं। इनमें विजिबल एमिशन लाइन कोरोनोग्राफ (वीईएलसी), सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (सूइट), सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (सोलेक्सस), हाई-एनर्जी एल1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (हेल1ओएस) शामिल हैं, जो सीधे तौर पर सूर्य को ट्रैक करें। वहीं, तीन इन-सीटू (मौके पर) मापने वाले उपकरण हैं, जिनमें आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (एएसपीईएक्स), प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (पीएपीए), और एडवांस थ्री डाइमेंशनल हाई रिजोल्यूशन डिजिटल मैग्नेटोमीटर (एटीएचआरडीएम) शामिल हैं।(वीएनएस)

मुर्मु , मोदी ने आदित्य एल1 को हेलो कक्षा में स्थापित करने पर इसरो की सराहना की

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू , प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की अपने पहले सौर खोज मिशन अंतरिक्ष यान आदित्य-एल1 को लैग्रेंज-एल1 बिंदु पर हेलो कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित करने पर सराहना की।सुश्री मुर्मू ने एक्स पर एक पोस्ट में, कहा कि इसरो ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है।उन्होंने कहा ‘इसरो द्वारा हासिल की गई एक और बड़ी उपलब्धि , भारत के पहले सौर मिशन, आदित्य एल1 के हिस्से के रूप में, वेधशाला को अंतिम कक्षा में स्थापित किया गया है और लैग्रेंज प्वाइंट 1 पर अपने गंतव्य पर पहुंच गया है।’उन्होंने कहा, ‘इस महान उपलब्धि के लिए पूरे भारतीय वैज्ञानिक समुदाय को बधाई।

‘राष्ट्रपति ने कहा, यह मिशन सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के बारे में हमारे ज्ञान को बढ़ाएगा और पूरी मानवता को लाभान्वित करेगा।उन्होंने यह भी कहा कि इसरो मिशनों में महिला वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भागीदारी महिला सशक्तिकरण को भी नई ऊंचाई पर ले जाती है।श्री मोदी ने पोस्ट किया, ‘भारत ने एक और मील का पत्थर बनाया।’श्री मोदी ने एक्स पर पोस्ट किया ‘भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल1 अपने गंतव्य तक पहुंच गई है। यह सबसे जटिल और पेचीदा अंतरिक्ष अभियानों को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का एक प्रमाण है। मैं इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करने में राष्ट्र के साथ शामिल हूं। हम मानवता की भलाई के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे।’

आदित्य-L1 स्पेसक्राफ्ट के डेस्टिनेशन तक पहुंचने की उपलब्धि पर सीएम योगी ने दी टीम इसरो को बधाई

लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आदित्य-L1 स्पेसक्राफ्ट के सन-अर्थ लैग्रेंज पॉइंट 1 (L1) पर पहुंचने की ऐतिहासिक उपलब्धि पर इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन (इसरो) को बधाई दी है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर अपने आधिकारिक हैंडल से किए गए पोस्ट में कहा, “भारत की पहली सोलर ऑब्जरवेटरी #AdityaL1 के अपने गंतव्य पर पहुंचने की इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए टीम इसरो को बधाई। उनका डेडीकेशन और एक्सपर्टीज निस्संदेह महत्वपूर्ण सोलर इनसाइट्स को उजागर करेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  की वैज्ञानिक प्रगति के प्रति प्रतिबद्धता ने भारत के स्पेस एक्सप्लोरेशन के प्रयासों को प्रेरित किया है और हमारा देश ग्लोबल स्टेज पर नई ऊंचाइयों को छू रहा है। उल्लेखनीय है कि इसरो का आदित्य-L1 स्पेसक्राफ्ट 126 दिनों में 15 लाख किमी की दूरी तय करने के बाद शनिवार को सन-अर्थ लैग्रेंज पॉइंट 1 (L1) पर पहुंच गया है। L1 अंतरिक्ष में ऐसा स्थान है, जहां पृथ्वी और सूर्य की गुरुत्वाकर्षण शक्तियां संतुलित होती हैं। आदित्य L1 को 2 सितंबर को सुबह 11.50 बजे PSLV-C57 के XL वर्जन रॉकेट के जरिए श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था।

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