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कोविड-19 ने हमें यह पाठ पढ़ाया है कि हमारा थोड़े में भी गुजारा हो सकता है-जावडे़कर

प्रथम वर्चुअल पीटर्सबर्ग जलवायु संवाद में भारत ने 30 देशों के साथ जलवायु परिवर्तन से संबंधित मामलों पर विचार विमर्श किया

नई दिल्ली । पीटर्सबर्ग जलवायु संवाद के ग्‍यारहवें सत्र में भारत ने 30 अन्‍य देशों के साथ सामूहिक लचीलेपन को संवर्धित करने और जलवायु परिवर्तन कार्रवाई को उत्‍प्रेरित करते हुए तथा विशेष तौर पर असहाय लोगों की भी सहायता करते हुए कोविड-19 के बाद अर्थव्‍यवस्‍थाओं और समाजों में नई जान डालने की चुनौती से निपटने के तरीकों और साधनों पर विचार-विमर्श किया।

प्रथम वर्चुअल पीटर्सबर्ग जलवायु संवाद में भारत का प्रतिनिधित्‍व करते हुए केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि वर्तमान में जिस तरह समूचा विश्‍व एकजुट होकर नोवल कोरोना वायरस के लिए वैक्‍सीन तलाशने में जुटा है, उसी तरह पर्यावरण संबंधी प्रौद्योगिकी हमारे पास मुक्‍त स्रोत के रूप में होनी चाहिए, जिसे किफायती दाम पर उपलब्‍ध कराया जाना चाहिए।

जलवायु वित्‍त के मामले पर जोर देते हुए श्री जावडे़कर ने कहा कि विश्‍व को अब और ज्‍यादा की जरूरत है। केंद्रीय मंत्री ने कहा, “हमें विकासशील विश्‍व को तत्‍काल प्रभाव से 1 ट्रिलियन डॉलर अनुदान देने की योजना तैयार करनी चाहिए।”

कोविड-19 महामारी का मुकाबला कर रहे विश्‍व के साथ एकजुटता प्रकट करते हुए केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि किस प्रकार कोविड-19 ने हमें यह पाठ पढ़ाया है कि हमारा थोड़े में भी गुजारा हो सकता है। पर्यावरण मंत्री ने अपनी बात दोहराते हुए कहा कि विश्‍व को सतत जीवन शैलियों की आवश्‍यकता के अनुरूप उपभोग की ज्‍यादा टिकाऊ परिपाटियों को अपनाने पर विचार करना चाहिए, जिनका प्रस्‍ताव माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने पेरिस सीओपी ने प्रस्‍तुत किया था।

उन्‍होंने इस बात का उल्‍लेख किया कि भारत के राष्‍ट्रीय स्‍तर पर निर्धारित योगदान की 10 साल की समय-सीमा महत्‍वाकांक्षी है और वह पेरिस समझौते के तापमान संबंधी लक्ष्‍य के अनुरूप भी है। श्री जावड़ेकर ने विश्‍व के सामने मौजूद नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग में तेजी लाने और नवीकरणीय ऊर्जा तथा ऊर्जा दक्षता क्षेत्र में पर्यावरण के अनुकूल नए रोजगारों को सृजित करने के अवसर के बारे में भी चर्चा की।

यह प्रथम वर्चुअल जलवायु संवाद, पीटरबर्ग जलवायु संवाद का ग्यारहवां सत्र था, जिसकी मेजबानी 2010 से जलवायु के संबंध में अंतरराष्ट्रीय विचार विमर्श और जलवायु संबंधी कार्रवाई की उन्नति पर केंद्रित अनौपचारिक उच्च-स्तरीय राजनीतिक चर्चाओं हेतु एक मंच प्रदान करने के लिए जर्मनी द्वारा की जा रही है। वर्चुअल ग्‍यारहवें पीटर्सबर्ग जलवायु संवाद की सह-अध्यक्षता जर्मनी और ब्रिटेन द्वारा की गई थी, जो संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी) के लिए 26वें कॉन्‍फ्रेंस ऑफ पार्टीज (सीओपी 26) का आगामी अध्‍यक्ष है। संवाद में लगभग 30 देशों के मंत्रियों और प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

इस वर्ष का संवाद एक ऐसे महत्वपूर्ण समय में हो रहा है, जब देश लोगों की जान बचाने के लिए कोविड-19 महामारी से निपटने, महामारी के सामाजिक और आर्थिक परिणामों पर काबू पाने के साथ-साथ 2020 के बाद यूएनएफसीसीसी के तहत पेरिस समझौते के कार्यान्वयन चरण में कदम रखने की भी तैयारी कर रहे हैं। संवाद का मुख्य एजेंडा इस बात पर चर्चा करना था कि सामूहिक लचीलेपन को संवर्धित और जलवायु परिवर्तन कार्रवाई को उत्‍प्रेरित करते हुए तथा विशेष तौर पर असहाय लोगों की भी सहायता करते हुए हम संयुक्‍त रूप से कोविड-19 के बाद अर्थव्‍यवस्‍थाओं और समाजों में नई जान डालने की चुनौती से कैसे निपट सकते हैं।

केंद्रीय मंत्री ने जर्मनी की पर्यावरण, प्रकृति संरक्षण और परमाणु सुरक्षा मंत्री  सुश्री स्वेंजा सुल्ज के साथ भारत- जर्मनी द्विपक्षीय बैठक में भी भाग लिया। इस द्विपक्षीय बैठक का आयोजन पीटरबर्ग जलवायु संवाद से ऐन पहले वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से किया गया। इस बैठक में जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता के संरक्षण और जर्मनी के साथ तकनीकी सहयोग के मुद्दों पर चर्चा हुई। इस दौरान कोविड-19 महामारी से उत्पन्न दोनों देशों की स्थिति और उससे उभरने के प्रयासों पर भी विचार विमर्श किया गया।

 

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