नेताओं का रुख भांप गुपकार गठबंधन को साधेंगे मोदी

कश्मीरी नेताओं संग प्रधानमंत्री मोदी की आज 3 बजे बैठक। बैठक से पहले भाजपा मुख्यालय में होगा मंथन।

नई दिल्ली । दिल्ली में आज होने वाली जम्मू-कश्मीर के नेताओं की सर्वदलीय बैठक से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई निशाने साध सकते हैं। बैठक से 370 और 35ए की बहाली पर उठ रही चर्चाओं को विराम देने की कोशिश होगी। हाल में दिग्विजय सिंह के सरकार में आने पर 370 पर विचार करने के बयान के बाद उठे विवाद को शांत कर कांग्रेस को भी साधने की रणनीति है। इसके साथ ही बैठक में कश्मीर की क्षेत्रीय पार्टियों नेकां व पीडीपी समेत अन्य दलों का रुख भांपने के साथ उन्हें साधने की भी कोशिश होगी।

प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से बुलाई गई 8 राजनीतिक दलों के 14 नेताओं की सर्वदलीय बैठक में परिसीमन के विषय पर चर्चा हो सकती है। सूत्रों की मानें तो इस बैठक में प्रधानमंत्री के अलावा, गृह मंत्री अमित शाह, जम्मू कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा, प्रधानमंत्री के प्रिंसिपल सेक्रेटरी पीके मिश्रा, गृह सचिव अजय भल्ला के अलावा कुछ अन्य बड़े अधिकारी बैठक में शामिल रह सकते हैं।

कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री के साथ 14 नेताओं की इस सर्वदलीय बैठक में जम्मू-कश्मीर में चल रहे विकास कार्यों पर भी बात होगी। बैठक में देश के बाकी राज्यों के मुकाबले केंद्र शासित प्रदेश में सड़क, बिजली और पानी की स्थिति पर भी विस्तृत ब्योरा रखा जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक ऑल पार्टी मीटिंग की शुरुआत में एलजी मनोज सिन्हा अपनी बात रख सकते हैं और अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सभी दलों के नेताओं के सामने अपनी बात रखेंगे।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अनुच्छेद 370 के प्रावधान हटने के बाद खुद को छला गया मान रहे आम कश्मीरियों में विश्वास बहाली की कोशिश होगी। मुख्यधारा की पार्टियों के नेताओं का दुख-दर्द सुन यह संदेश देने की कोशिश की जाएगी कि सब अपने हैं। किसी से भेदभाव नहीं है और न ही केंद्र सरकार किसी के अधिकार छीनने के हक में है। इस बातचीत का उद्देश्य प्रदेश में राजनीतिक प्रक्रिया को तेज करने के साथ ही विश्व समुदाय को भी संदेश देना है कि मोदी सरकार कश्मीरियों के हित में है। 370 के प्रावधान हटाने के बाद भी केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर के लोगों के हित में काम कर रही है।

पिछले दिनों दौरे पर आए विदेशी राजनयिकों ने 370 के प्रावधान हटने के बाद के हालात पर तो संतोष जताया था, लेकिन राजनीतिक प्रक्रिया बहाल करने तथा विधानसभा चुनाव जल्द कराने को कहा था। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार 370 के प्रावधान हटने के करीब दो साल बाद पहली बार केंद्र की ओर से कश्मीर के मुख्यधारा के नेताओं को आमंत्रित किया जाना शुभ संकेत है। इससे अलग-थलग महसूस कर रहे नेकां, पीडीपी समेत गुपकार गठबंधन में शामिल दलों को यह अहसास दिलाने की कोशिश है कि केंद्र उनको भी तवज्जो दे रहा है।

मोदी सरकार और गुपकार गठबंधन दोनों के लिए बैठक महत्वपूर्ण
राजनीतिक विश्लेषक प्रो. हरिओम का मानना है कि सर्वदलीय बैठक मोदी सरकार और गुपकार गठबंधन दोनों के लिए अहम है। जिस प्रकार से गुपकार गठबंधन ने 370 के प्रावधान व 35 ए की बहाली, राज्य का विशेष दर्जा बहाल करने, पहले की तरह राज्य की बहाली, पाकिस्तान से बातचीत और राजनीतिक बंदियों की रिहाई की मांग की है उससे मोदी सरकार सहमत होती नहीं दिख रही है। एजेंडा तो केंद्र सरकार को तय करना चाहिए था, लेकिन तय कर दिया गुपकार गठबंधन ने। यदि मोदी सरकार ने गठबंधन की एक भी मांग पूरी की तो वह भाजपा के लिए किरकिरी होगी, क्योंकि अगले साल उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में चुनाव होने हैं। ऐसे में कोई जोखिम उठाने की संभावना कम दिखती है। यदि गुपकार की मांग पूरी नहीं हुई तो वे कश्मीर में अवाम को जवाब नहीं दे पाएंगे।

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