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#Kashi_Tamil_Sangamam: काशी में मनाया जाएगा दक्षिण भारत का प्रसिद्ध कार्तिगई दीपम उत्सव

वाराणसी । काशी तमिल संगमम में एक और भव्य उत्सव मनाने की तैयारी चल रही है। बीएचयू के एम्फीथियेटर मैदान में दक्षिण भारत का प्रसिद्ध कार्तिगई दीपम उत्सव मंगलवार को उत्साह से मनाया जाएगा।दक्षिण भारतीय समुदाय के लोग विश्व में कहीं भी रहते हैं। वह इस उत्सव को मनाते हैं। इस वर्ष कार्तिगई दीपम उत्सव छह दिसंबर को पड़ रहा है। उत्तर भारतीय कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा तिथि को पर्व आयोजित होता है। पर्व पर मेहमानों द्वारा पूरे कार्यक्रम स्थल को दीपों सजाया जायेगा।

पर्व की यह है मान्यता

पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि सृष्टि के आरम्भ में ब्रह्म का भेद बताने के लिए भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए। ब्रह्मा और विष्णु जो अपने को श्रेष्ठ साबित करने के लिए संघर्ष कर रहे थे, उनके सामने आकाशवाणी हुई कि जो इस लिंग के आदि या अंत का पता करेगा वही श्रेष्ठ होगा। भगवान विष्णु वाराह रूप में शिवलिंग के आदि का पता करने के लिए भूमि खोदकर पाताल की ओर जाने लगे और ब्रह्मा हंस के रूप में अंत का पता लगाने आकाश में उड़ चले लेकिन वर्षों बीत जाने पर भी दोनों आदि अंत का पता नहीं कर पाए।

भगवान विष्णु हार मानकर लौट आए लेकिन ब्रह्माजी ने भगवान शिव के शीश पर गिरकर आने वाले केतकी के फूल से पूछा कि शिवलिंग का अंत कहां है। केतकी ने बताया कि वह युगों से नीचे गिरता चला आ रहा है लेकिन अंत का पता नहीं चला है। ब्रह्माजी को लगा कि वह पराजित हो जाएंगे तो वह लौटकर आ गए और झूठ बोल दिया कि उन्होंने शिवलिंग के अंत का पता कर लिया है। ब्रह्माजी के झूठ से ज्योर्तिलिंग ने प्रचंड रूप धारण कर लिया। इससे सृष्टि में हाहाकर मचने लगा।

देवताओं द्वारा क्षमा याचना करने पर यह ज्योति तिरुमल्लई पर्वत पर अरुणाचलेश्व लिंग के रूप में स्थापित हो गया। कहते हैं कि यहीं से शिवरात्रि का त्योहार मनाना भी आरम्भ हुआ। कार्तिगई त्योहार हर साल कार्तिगई महीने तमिल कैलेंडर के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस त्योहार को पेरुविज्शा के रूप में मनाया जाने की सूचना है और इसका उल्लेख संगम काल के साहित्य अकनंद्रु में किया गया है।

इस त्योहार के दौरान कार्तिकई दीपम समारोह के दौरान सभी घरों को अगल विलक्कुस से सजाया जाता है। जलता हुआ दीपक शुभ प्रतीक माना गया है। ऐसा माना गया है कि यह बुरी शक्तियों को दूर भगाता है और समृद्धि और आनंद की ओर ले जाता है। इसके अलावा, कार्तिक पुराणम का पाठ किया जाता है और पूरे महीने हर दिन सूर्यास्त तक उपवास रखा जाता है। तमिलनाडु के सभी मंदिरों और विशेष रूप से तिरुवन्नामलाई में कार्तिगई दीपम भव्य तरीके से मनाया जा रहा है।

काशी तमिल संगमम में उत्तर और दक्षिण के खिलाड़ियों का भी संगम

काशी तमिल संगमम में उत्तर और दक्षिण के खिलाड़ियों का भी संगमम आठ दिसम्बर से देखने को मिलेगा। काशी और तमिलनाडु के बीच संस्कृति, सभ्यता एवं धार्मिक यात्रा के साथ-साथ खिलाड़ी भी प्रतिभा दिखायेंगे। संगमम में आठ दिवसीय खेलों की शुरूआत आठ दिसम्बर से बीएचयू के हॉकी स्टेडियम में होगी।

भारतीय खेल प्राधिकरण की पहल पर 15 दिसंबर तक चलने वाले इस महोत्सव में कुल आठ प्रकार के खेलों का आयोजन किया जा रहा है। इस खेल महोत्सव में उत्तर और दक्षिण के खिलाड़ियों का खेल आयोजित कराया जा रहा है। महोत्सव में 8 दिसंबर को हॉकी की प्रतियोगिता कराई जाएगी। 9 दिसंबर को फुटबॉल स्टेडियम में फुटबॉल की प्रतियोगिता कराई जाएगी। 10 दिसंबर को बास्केटबॉल का आयोजन किया जाएगा या बीएचयू के एमपी हॉल में आयोजित होगा। 11 दिसंबर को क्रिकेट मैच का आयोजन होगा जिसमें उत्तर और दक्षिण के खिलाड़ी बीएचयू के आईआईटी क्रिकेट स्टेडियम में मैच खेलेंगे।

वही, 12 दिसंबर को टेबल टेनिस और बैडमिंटन का आयोजन होगा यह आयोजन बीएचयू के एमपी हॉल में आयोजित होगा। 13 दिसंबर को वॉलीबॉल का आयोजन होगा जो बीएचयू के मैदान में आयोजित होगा। 14 दिसंबर को खो खो का आयोजन होगा जो बीएचयू के मैदान में आयोजित होगा। 15 दिसंबर को कबड्डी का आयोजन होगा जो बीएचयू के मैदान में आयोजित किया जाएगा। इस पूरे खेल आयोजन में दोनों ही तरफ से महिला और पुरुष की टीम बनाई गई है। जिसमें उत्तर और दक्षिण के खिलाड़ी इन सभी मैचों में प्रतिभाग करेंगे। (हि.स.)।

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