वाराणसी । काशी-तमिल संगमम में आयोजित सांस्कृतिक निशा के साथ तमिलनाडु से आये डेलीगेट्स के गतिविधियों के साथ सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर उनकी कार्यक्रम पर प्रतिक्रिया और अनुभव पर भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तमाम व्यस्तताओं के बीच समय निकालकर नजर रख रहे हैं। इसका नजारा सोमवार को दिखा। तमिलनाडु से आये दल (डेलीगेट्स) के ट्वीट का जवाब तमिल भाषा में दिया।
प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा कि ‘काशी तमिल संगमम में आपके इस यादगार अनुभव को देखकर हमें खुशी है।’ इसके बाद प्रधानमंत्री ने दो लोगों के ट्वीट को शेयर किया। नागरिकों ने प्रयागराज स्थित त्रिवेणी संगम पर बने सैंड आर्ट की फोटो पोस्ट की थी। इसे प्रधानमंत्री ने भी शेयर किया। इस फोटो के साथ एक डेलीगेट ने लिखा था, मैंने काशी-तमिल संगमम इवेंट में भाग लिया। यह भारत सरकार द्वारा एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना को बनाए रखेगी। काशी और तमिलनाडु के बीच सदियों पुराने संबंधों को जीवंत करने की बड़ी पहल है। संगमम यह एक अद्भुत अनुभव था।
उधर, काशी तमिल संगमम की 9वीं निशा में सोमवार शाम शहनाई वादन की प्रस्तुति आकर्षण का केन्द्र रही। सांस्कृतिक निशा में तमिल लोककला का जादू काशी वासियों के सिर चढ़कर बोलता रहा। वहीं, काशी के कलाकारों का शहनाई वादन को मेहमानों ने सराहा। सांस्कृतिक संध्या की शुरुआत शहनाई वादन से हुई। इसकी प्रस्तुति काशी के उस्ताद फतेह अली खान ने दी। कार्यक्रम की द्वितीय प्रस्तुति काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कलाकारों द्वारा किया गया। संतूर वादन की प्रस्तुति कुमार सरंग ने की। तृतीय प्रस्तुति तमिलनाडु के वेलु नाचियार से आए कलाकारों ने की। चतुर्थ प्रस्तुति तमिलनाडु के कलाकारों ने कोल्लट्टम और कुम्मियट्टम (कुम्मी) का दिया। अंतिम प्रस्तुति तमिलनाडु के कलाकारों ने थप्पट्टम की दी।
इसके पहले, सांस्कृतिक निशा में शामिल बतौर मुख्य अतिथि प्रदेश के आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संगमम की शुरुआत काशी से की है। इसमें दो राज्यों के संस्कृति का आदान-प्रदान हो रहा है। दोनों राज्यों की प्राचीन संस्कृति और सभ्यता है जो यहां आकर मिल मिल रही है। इस आयोजन का केवल एक ही मकसद है कि दोनों राज्यों के संस्कृति और जीवन को हम जाने। उन्होंने कहा कि एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना यहां पर चरितार्थ हो रहा है। निशा में राज्यसभा सांसद जी के वासन भी मौजूद रहे।
काशी तमिल संगमम् में दक्षिण भारतीय व्यंजनों की मांग, मसालों की भी जमकर बिक्री
एक माह तक चलने वाले काशी तमिल संगमम् में लगी प्रदर्शनी के खान—पान के स्टालों पर स्थानीय नागरिकों के साथ तमिलनाडु से आये मेहमानों की भीड़ जुट रही है। स्टालों पर दक्षिण भारत के व्यंजनों के साथ वहां के मसाले भी स्थानीय लोगों को भा रहा है। बीएचयू के एम्फीथियेटर मैदान में लगे स्टाल पर तमिलनाडु के सहजन के पत्ते का सूखा बैंगन , सूखी भिंडी का तड़का लोगों को पसंद आ रहा है। एक स्टाल पर रेडी टू ईट रेडी टू कूक लोगों में आकर्षण बनी हुई है।
संगमम् में ओडीओपी के अंतर्गत प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के तहत एक जिला एक उत्पाद का स्टाल भी लगाया गया है। जो लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है। दुकान खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के अंकित कुमार गुप्ता ने बताया कि तमिलनाडु के 38 जिलों के 19 प्रसिद्ध उत्पादों के स्टाल लगाए गए हैं। तमिलनाडु में जो प्रसिद्ध सब्जियां हैं, उसमें सूखे बैंगन, सूखी भिंडी तथा तड़का के लिए स्पेशल सहजन की पत्ती है। इसमें रेडी टू ईट रेडी टू कुक वहां पर काफी प्रसिद्ध है।
उन्होंने बताया कि जिस तरह उत्तर भारत में तेज पत्ता और कसूरी मेथी का प्रयोग तड़के के लिए किया जाता है, उसी तरह तमिलनाडु में सहजन के पत्ते का प्रयोग तड़के के लिए होता है। इसका अलग स्वाद लोगों को मिलेगा। इसका इस्तेमाल सब्जियों और आटा में कर सकते हैं। हमारे यहां वेस्ट समझकर फेंके जाने वाले सूखे बैगन, भिंडी और करेला का इस्तेमाल भी खाद्य सामग्री बनाने में किया जाता है।
काशी-तमिल संगमम : सांस्कृतिक निशा में कोल्लट्टम और कुम्मियट्टम की शानदार प्रस्तुति
काशी तमिल संगमम में रविवार शाम बीएचयू के एम्फीथिएटर मैदान में बने भव्य पंडाल के मंच पर आयोजित सांस्कृतिक निशा में बीएचयू की छात्राओं ने भी कथक नृत्य से कार्यक्रम को परवान चढ़ाया। विवि की सहायक प्रोफेसर और उनके नेतृत्व में छात्राओं ने शिवोहम-शिवोहम की धुन पर कथक नृत्य की शानदार प्रस्तुति से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, प्रयागराज एवं दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के संयुक्त बैनर तले सांस्कृतिक संध्या में गायन वादन एवं नृत्य की त्रिवेणी बही। निशा की पहली प्रस्तुति तमिल के आध्यात्मिक और इतिहास आधारित ड्रामा, मनुस्वामी का पेरियामेलम नृत्य की हुई। जिसका नेतृत्व मुनुसामी ने किया। तृतीय प्रस्तुति तमिलनाडु से आए कलाकारों ने कोल्लट्टम और कुम्मियट्टम (कुम्मी) का दिया। कुम्मी एक लोक नृत्य है, जो भारत में तमिलनाडु और केरल में लोकप्रिय है, ज्यादातर तमिल महिला कलाकार सर्कल में नृत्य करती हैं।
चौथी प्रस्तुति तमिलनाडु के कलाकारों ने थप्पट्टम की प्रस्तुति करुम्बयिरम के नेतृत्व में किया। कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति एस शांति के नेतृत्व में हरिचंद्र पावलकोडी और वेलु नाचियार की प्रस्तुति रही। आज सांस्कृतिक कार्यक्रम की मुख्य अतिथि सुप्रीम कोर्ट के जज वी सुब्रमण्यम और प्रदेश सरकार में मंत्री बेबी रानी मौर्या रहीं।(हि.स.)।