वाराणसी । काशी तमिल संगमम में भाग लेने के लिए तमिलनाडु से 11वां जत्था भी काशी पहुंच चुका है। दल में ग्रामीण और महिलाएं शामिल है। मंगलवार देर रात दल ट्रेन से कैंट स्टेशन पहुंचा तो हर-हर महादेव व वणक्कम् काशी से उनका अभिनंदन किया गया। अगवानी में स्टेशन के निदेशक गौरव दीक्षित, एडीएआरएम लालजी चौधरी, जिला प्रशासन व भाजपा के नेता खड़े रहे।
दल श्री काशी विश्वनाथ धाम में पहुंचा। मंदिर की परंपरा के अनुसार सभी लोगों का भव्य स्वागत पुष्प वर्षा और डमरू वादन कर किया गया। इसके बाद सभी ने मंदिर में जाकर बाबा का जल और दूध से अभिषेक किया। अभिषेक करने के पश्चात सभी अतिथियों का स्वागत अंग वस्त्र और रुद्राक्ष की माला भेंट करके किया गया। मंदिर चौक में दल में आई महिलाओं ने पारम्परिक लोकनृत्य से भी बाबा के प्रति अगाध श्रद्धा दिखाई। इसके बाद दल में शामिल लोगों ने विश्वनाथ धाम की दिव्यता और भव्यता को देखा और गंगागेट पर जाकर मां गंगा का पूजन किया।
दल में शामिल लोगों ने इस दौरान कहा कि बाबा की इच्छा से हम लोगों को यह दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त हुआ है। इस यात्रा के दौरान सभी को माता अन्नपूर्णा का दर्शन और भोगशाला में प्रसाद ग्रहण कराया गया। तमिलनाडु से आये मेहमानों को शाम को बनारस के विभिन्न पर्यटन स्थलों पर घुमाया जाएगा । रविदास घाट से क्रूज़ के द्वारा बनारस के सभी 84 गंगाघाटों का दल को अवलोकन कराते हुए मां गंगा की आरती में शामिल किया जाएगा।
सांस्कृतिक संध्या में लोकगीत की प्रस्तुति पर झूमे श्रोता
काशी तमिल संगमम में आयोजित सांस्कृतिक महोत्सव में मोहक लोकगीत, गायन और सामूहिक नृत्य पर श्रोता झूम रहे हैं। उत्तर और दक्षिण के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का क्रेज उनके सिर चढ़कर बोल रहा है। तमिलनाडु और काशी की माटी की खुशबू से लबरेज गीतों, पारंपरिक लोक नृत्य की प्रस्तुति कर कलाकार भी दर्शकों के दिल जीत रहे हैं।
एम्फीथियेटर बीएचयू के मुक्ताकाशी प्रांगण में बने पंडाल में सोमवार शाम फिर ये नजारा देखने को मिला। सांस्कृतिक निशा में बीएचयू के प्रोफेसर पंकज शर्मा एवं उनके सहायक कलाकारों ने लोकगीत हमरी अटरिया पे, आजा रे सांवरिया की दमदार प्रस्तुति की, जिस पर श्रोता झूम उठे। सांस्कृतिक संध्या की द्वितीय प्रस्तुति बीएचयू की प्रोफेसर तनुश्री राय द्वारा दी गई, जिसमें उन्होंने भक्ति एवं लोक संगीत गीतों की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम की तृतीय प्रस्तुति जवाहर नवोदय विद्यालय सोनभद्र के छात्रों द्वारा शिव तांडव की प्रस्तुति रही। प्रस्तुति से पूरा सभागार शिवमय हो उठा। कार्यक्रम के अंत में पूरा सभागार हरहर महादेव के नारे से गूंज उठा।
कार्यक्रम की चतुर्थ प्रस्तुति जवाहर नवोदय विद्यालय भदोही के छात्राओं द्वारा तमिलनाडु के लोक नृत्य की प्रस्तुति दी गई। इस प्रस्तुति में उत्तर भारत के छात्रों द्वारा दक्षिण भारत के लोक नृत्य की खुबसूरत प्रस्तुति दी। कार्यक्रम की पांचवीं प्रस्तुति थुदुम्बट्टम थुडुम्बु कलाई कुझु का हुआ। इसकी प्रस्तुति के. भास्कर एवं उनके साथी कलाकारों ने दी। इसमें थुडुम्बु ध्वनि और लोगों के तालियों से सभागार गूंज उठा। कार्यक्रम की छठवीं प्रस्तुति ऐतिहासिक संगीत नाटक ‘वल्ली थिरुमानम’, ‘साथियावन सावित्री’ और ‘कोवलन’ की रही। जिसे आर.एम. बालासुब्रमण्यन, एमआरएम नतागा मंद्रम, पलामेडु, वडिपट्टी, मदुरल एवं उनके समूह ने प्रस्तुत किया। आठवीं प्रस्तुति पट्टीमंद्रम, वलक्कडू मंद्रम और कवि आरंगम पाल गांधी और टीम की रही। इसमें कोठमंगलम, शिवगंगा की प्रस्तुति हुई। नौवीं प्रस्तुति कैलासवद्यम की रही, जिसे शिवकुमार एवं उनके साथी कलाकारों ने पेश किया।
मुख्य अतिथियों ने कार्यक्रम को सराहा
सांस्कृतिक कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री अन्नपूर्णा देवी, विशिष्ट उत्तर प्रदेश सरकार में पर्यावरण एवं वन मंत्री अरुण कुमार सक्सेना, बीएचयू के कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन, पद्मश्री चमू कृष्ण शास्त्री, पूर्व सांसद सीपी राधाकृष्णन ने कार्यक्रम को सराहा। इस दौरान केन्द्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि हमारी भाषा, संस्कृति भले ही अलग है, लेकिन हम सबसे पहले भारतीय हैं। अतिथियों ने कहा कि काशी के धरती पर एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना चरितार्थ हो रही है।(हि.स.)।