वाराणसी । ‘काशी तमिल संगमम’ में भाग लेने आये शैव धर्मगुरूओं (तमिलनाडु के विभिन्न मंदिरों के आदिनम) ने शुक्रवार शाम काशीपुराधिपति के स्वर्णिम दरबार में विधिवत हाजिरी लगाई। बाबा के दरबार में दर्शन पूजन के बाद श्री काशी विश्वनाथ धाम के भव्य विस्तारित स्वरूप को देख आहलदित नजर आये। आदिनम देर तक बाबा धाम के भौतिक और आध्यात्मिक स्वरूप को निहारते दिखे।
धर्मगुरूओं ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तमिल भाषा में मुक्त कंठ से प्रशंसा की और हर—हर महादेव का उद्घोष किया। दरबार में नौ आदिनम का खुद केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने डमरुओं की डिम-डिम और ‘हर-हर महादेव के उदघोष के बीच भव्य स्वागत किया। इस दौरान धर्मगुरूओं ने कहा कि छठवीं शताब्दी में धर्मपुरम आदिनम के प्रतिनिधि काशी आये थे। धर्मपुरम अधिनम मठ और काशी का गहरा संबंध रहा है ।
सायंकाल बाबा दरबार में पहुंचने वालों धरूमापुरम शैव मठाधीश, सुरियानार शैव मठाधीश, वेलंकुरिची शैव मठाधीश, सेनकोल शैव मठाधीश, बोम्मापुरम शैव मठाधीश, थुलावुर शैव मठाधीश, कामाक्षीपुरी शैव मठाधीश, डिंडीगुल शिवापुरम शैव मठाधीश एवं पल्लादम सेनजेरी शैव मठाधीश रहे।इस अवसर पर केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि नव्य-भव्य काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में आप सबका स्वागत है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की निजी तौर पर यह इच्छा थी कि काशी तमिल के बीच जो ज्ञान और संस्कृति का संबंध रहा है उसे आज जन-जन के बीच पहुंचाने की जरूरत है। इसलिए काशी तमिल संगमम का यह आयोजन ऐतिहासिक होने जा रहा है। काशी और तमिल के बीच सदियों पुराने रिश्ते को नए सिरे से पुनर्जीवित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस आयोजन के माध्यम से महाकवि सुब्रमण्यम भारती जी को सच्ची श्रद्धांजलि दी जाएगी।
वहीं, स्वागत से अभिभूत तमिलनाडु के धर्मगुरु गदगद हो उठे। सभी बाबा काशी विश्वनाथ के दिव्य ज्योर्तिलिंग का दर्शन कर अघा उठे। धर्मगुरूओं ने कहा कि काशी तमिल संगमम के पुण्य योग के कारण ही काशी नगरी आने का अवसर प्राप्त हुआ। मां गंगा के तट पर बसी भगवान शंकर की यह नगरी अद्भुत है। इसे जितना समझिए, जितना जानिए, उतनी ही उत्सुकता बढ़ जाती है।
गंगा आरती में 1001 दीप दान
काशी तमिल संगमम में आये अतिथियों के लिए दशाश्वमेध घाट पर गंगा सेवा निधि ने खास व्यवस्था की थी। निधि के पदाधिकारियों की पहल पर विश्व प्रसिद्ध माँ गंगा की आरती में 1001 दीप दान काशी तमिल संगमम (स्वागतम) दीपों से लिखकर किया गया। गंगा सेवा निधि ने काशी तमिल संगमम (स्वागतम)में आने वाले अतिथियों से भी घाट पर दीपदान कराया।
काशी विश्वनाथ धाम में खास व्यवस्था
काशी तमिल संगमम में तमिलनाडु से आने वाले संतों, श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए मंदिर प्रशासन ने खास इंतजाम किया था। संतों और महंतों के धाम में आने पर डमरू वादन कर उनका भव्य स्वागत किया गया। साथ ही पुष्प वर्षा और स्वस्तिवाचन भी किया गया।
‘काशी तमिल संगमम’ के उद्घाटन सत्र में प्रधानमंत्री मोदी के भव्य स्वागत की तैयारी
एक माह तक चलने वाले ‘काशी तमिल संगमम’ की तैयारी पूरी हो चुकी है। बीएचयू के एंफीथियेटर मैदान में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के भव्य समारोह की तैयारी है। शुक्रवार की शाम तक केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने व्यवस्थाओं का जायजा लेने के बाद तैयारियों को जिला प्रशासन के अफसरों के साथ मिलकर अन्तिम रूप (फाइनल टच) दे दिया।काशी तमिल संगमम का शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शुभारंभ करेंगे। बीएचयू के एंफीथियेटर मैदान में आयोजित भव्य समारोह में प्रधानमंत्री तमिलनाडु के प्रमुख मठ मंदिरों के अधीनम (महंत) को सम्मानित करेंगे। वहां के आईआईटी के छात्रों से संवाद भी करेंगे।
इस दौरान तमिल भाषा में लिखी गई धार्मिक पुस्तक तिरुक्कुरल व काशी-तमिल संस्कृति पर लिखी गईं किताबों का प्रधानमंत्री विमोचन भी करेंगे। करीब दो घंटे के ठहराव में प्रधानमंत्री कार्यक्रम स्थल पर 75 स्टालों की प्रदर्शनी भी देखेंगे। इस दौरान तमिलनाडु सहित अन्य प्रदेशों से आए करीब 12 हजार से ज्यादा अतिथियों एवं काशीवासियों को संबोधित करेंगे। कार्यक्रम में मंच पर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी मौजूद रहेंगे।इसके पहले प्रधानमंत्री का स्वागत बाबतपुर एयरपोर्ट पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे।
उल्लेखनीय है कि 16 दिसंबर तक चलने वाले संगमम में चार अलग-अलग सप्ताह में 12 ट्रेनों से ढाई हजार तमिल प्रतिनिधिमंडल वाराणसी आएंगे। हर डेलीगेट दो दिन काशी-तमिल संगमम में रुकेगा। यहां पर बीएचयू के छात्रों, शोध छात्रों और एकेडमिक लोगों के साथ सेमिनार होंगी। वहीं, यहां पर सजे 75 स्टालों पर तमिलनाडु का साहित्य, परिधान, व्यंजन, हस्तकला, हथकरघा, हेरिटेज, वास्तुकला, मंदिर, त्योहार, खानपान, खेल, मौसम, शिक्षा और राजनीतिक जानकारियां दी जाएंगी। प्रतिनिधिमंडल वाराणसी के मंदिर, घाट, सारनाथ, हेरिटेज घूमेंगा। यहां से प्रयागराज संगम और अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर का दर्शन करके सभी लोग वापस काशी आएंगे। यहां से वे तमिलनाडु लौट जाएंगे। माहभर तक तमिलनाडु की संस्कृति से जुड़े सांस्कृतिक कार्यक्रमों में मुख्यतः मीनाक्षी चितरंजन का भरतनाट्यम, तमिलनाडु का फोक म्यूजिक, इरुला व अन्य ट्राइबल नृत्य, विल्लुपाट्ट एक प्राचीन संगीतमय कथा-कथन, पौराणिक ऐतिहासिक ड्रामा, शिव पुराण, रामायण और महाभारत पर आधारित कठपुतली शो आदि लोग देख सकेंगे।
फोटो प्रदर्शनी, शैव और वैष्णव परंपराओं की झलक
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए), संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार काशी तमिल संगमम के अवसर पर एक फोटो प्रदर्शनी का आयोजन कर रहा है। प्रदर्शनी 16 दिसंबर, 2022 तक बीएचयू एम्फीथिएटर ग्राउंड में आयोजित की जाएगी। यह प्रदर्शनी तमिलनाडु और काशी की विभिन्न परस्पर संबंधित और साझा शैव और वैष्णव परंपराओं को प्रदर्शित करेगा, जिसमें तमिलनाडु के प्रमुख मंदिरों को उसी पर डिजिटल प्रस्तुति के माध्यम से चित्रित करने पर विशेष जोर दिया जाएगा। प्रदर्शनी विभिन्न आध्यात्मिक स्कूलों जैसे संत कबीरदास, कीनाराम और कई अन्य के साथ-साथ शाक्त परंपराओं पर भी ध्यान केंद्रित करेगी। (हि.स.)।