काशीवासियों को मोदी से उम्मीद: सुब्बुलक्ष्मी के ‘सुप्रभातम’ से भोले बाबा का जागरण गान फिर सुनें
भारत रत्न एम एस सुब्बुलक्ष्मी अपनी सुरीली आवाज में ‘सुप्रभातम’ गाकर काशी विश्वनाथ को जगाती थीं। भगवान शिव, माँ अन्नपूर्णा और काशी के असंख्य देवी देवताओं के साथ ही काशीवासी भी ब्रह्ममुहूर्त में सुब्बुलक्ष्मी की अमृत स्वरलहरी में ‘श्री काशी विश्वनाथ सुप्रभातम’ का रसास्वादन करते थे।दुर्भाग्य से काशी विश्वनाथ मंदिर से इस सुप्रभातम का प्रसारण कालांतर में अज्ञात कारणों से बंद कर दिया गया है। प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी की पहल पर नवनिर्मित काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण से काशीवासियों में यह आशा जगी है कि उन्हें सुब्बुलक्ष्मी की सुरीली आवाज में फिर सुप्रभातम सुनने को मिलेगा।
‘एमएस’ के नाम से जगप्रसिद्ध सुब्बुलक्ष्मी ने काशी के विशिष्ट नागरिकों के अनुरोध को स्वीकार करते हुए ‘श्री काशी विश्वनाथ सुप्रभातम’ और कुछ भजनों को स्वर दिया था। एमएस ने भगवान विष्णु के प्रातः जागरण के लिए ‘श्री वेंकटेश सुप्रभातम’ को भी अपनी आवाज दी थी। इसका प्रसारण तिरुपति मंदिर में ब्रह्ममुहूर्त में आज भी होता है। प्रारंभिक श्लोक है-कौसल्या सुप्रजा राम पूर्वासन्ध्या प्रवर्तते ।उत्तिष्ठ नरशार्दूल कर्त्तव्यं दैवमाह्निकम् ।।इसका अर्थ है, “कौशल्या पुत्र राम जागो। हे! नरशार्दूल लोक कल्याण के लिए विश्व आपके जागने की प्रतीक्षा कर रहा है।”काशी के कला-संस्कृति प्रेमी डॉ भानु शंकर मेहता और राजकिशोर गुप्ता के मन में 1980 के दशक में यह विचार जागा कि तिरुपति की तरह काशी विश्वनाथ मंदिर से भी ऐसा ही प्रसारण हो।
उन्होंने एमएस से संपर्क कायम किया। स्वर साम्राज्ञी इसके लिए सहर्ष तैयार हो गयीं और चेन्नई में ‘श्री काशी विश्वनाथ सुप्रभातम’ की रिकॉर्डिंग की गयी। इसका प्रसारण काशी विश्वनाथ मंदिर में मंगला आरती के बाद किया जाता था। पूरे नगर में लाउडस्पीकर के नेटवर्क से यह गूँजता था। यह क्रम 10-15 वर्ष चला। फिर एकाएक बंद हो गया।‘श्री काशी विश्वनाथ सुप्रभातम’ के प्रारंभिक श्लोक हैं-विश्वेशं माधवं ढुण्ढिं दण्डपाणिं च भैरवम्।वन्दे काशीं गुहां गंगा भवानीं मणिकर्णिकाम्।।गंगोमि -संगति -शुभैः परिभूषितोऽब्जैः ।श्रीधुण्डि-भैरव-मुखैः सहित अन्नपूर्णामाता च वाञ्छति मुदा तव सुप्रभातम् ॥२॥सुप्रभातम में काशी के देवी देवताओं का स्मरण करते हुए भगवान शिव से जागने की प्रार्थना की गयी है।
नगर की सुप्रभातम संस्था ने वर्ष 1989 में प्रयाग कुम्भ के समय इस सुप्रभातम का प्रसारण किया। साथ ही श्रृद्धालुओं से कहा कि कुम्भ तब तक पूर्ण नहीं होता जब तक कि काशी यात्रा नहीं की जाये। इसके बाद काशी में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी और प्रशासन के लिए समस्या पैदा हो गयी।नवनिर्मित काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद काशीवासी एमएस की आवाज में सुप्रभातम फिर सुनने का इंतजार कर रहे हैं। धार्मिक-आध्यात्मिक नवजागरण के इस दौर में उन्हें अपनी इस अभिलाषा के पूरा होने की आशा है।