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कमलनाथ की दिल्ली वापसी तय ? सोनिया-राहुल के करीबी नाथ बनाए जा सकते हैं कांग्रेस के कोषाध्यक्ष

भोपाल। कांग्रेस की नियंता, आलाकमान सोनिया व राहुल गांधी के बेहद करीबी रहे अहमद पटेल के निधन के बाद मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की कांग्रेस पार्टी में भावी जिम्मेदारी को लेकर हलचल देखी जा रही है। प्रदेश के कांग्रेसी कैम्प में कमलनाथ के दिल्ली जाने की अटकलें तेज हैं। माना जा रहा है कि अहमद पटेल के निधन के बाद पार्टी हाईकमान को दिल्ली की राजनीति में अहमद पटेल जैसे ही भरोसेमंद व्यक्ति की जरूरत है। ऐसे में दिल्ली में कमलनाथ की आवश्यकता को कांग्रेस अनुभव कर रही है। कमलनाथ को उनके 40 साल की राजनीति, नेतृत्व के प्रति समर्पण और अनुभव के चलते 2018 में केंद्र की राजनीति से उनके गृह प्रदेश, मध्यप्रदेश भेजा गया था।

कांग्रेस की कार्यवाहक अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 31 दिसंबर 2019 को अहमद पटेल के कामकाज में सहयोग देने के लिए पंजाब सरकार में मंत्री विजय सिंघल को सचिव नियुक्त किया था। परंतु वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में पार्टी को एक विश्वासपात्र कोषाध्यक्ष की भी जरूरत है। यह जिम्मेदारी किसी वरिष्ठ नेता सौंपी जा सकती है। कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष पद के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, केसी वेणुगोपाल और मिलिंद देवड़ा व अन्य कुछ नाम चर्चा में हैं।

ऐसे में खास ध्यान देने वाली बात यह है कि वरिष्ठ कांग्रेसी होने के साथ ही गांधी परिवार से करीबी के पैमाने में कौन आगे है। वेणुगोपाल वर्तमान में महासचिव के पद पर हैं। उन्हें संगठन के इस महत्वपूर्ण पद से मुक्त नहीं किया जा सकता। जबकि पार्टी को उनकी जरूरत है दूसरे नंबर पर कमलनाथ का नाम आता है। कमलनाथ वरिष्ठ है, गांधी परिवार के नजदीकी हैं, मैनेजमेंट में माहिर हैं। सभी गुटों और सभी किस्म के नेताओं को साथ लेकर चलने की कला में माहिर हैं। फिलहाल कमलनाथ के पास कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं भी है, यह भी एक महत्वपूर्ण पहलू है।

यदि कमलनाथ गांधी परिवार के बजाय मध्य प्रदेश को चुनते हैं और कोषाध्यक्ष मिलिंद देवड़ा को बनाया जाता है तो इससे कमलनाथ को नुकसान हो सकता है। ऐसी स्थिति में वे अपने पुत्र नकुलनाथ के लिए मध्यप्रदेश में सियासी ज़मीन तैयार करने से वंचित हो जाएंगे दूसरी ओर पार्टी से अपने रिटायरमेंट को रोकना भी कमलनाथ के लिए एक चुनौती होगी। कमलनाथ ने यदि स्व. अर्जुन सिंह की तरह दिल्ली कूच कर दिया तो नकुलनाथ के लिए मध्यप्रदेश की राजनीतिक प्रासाद में माकूल कुर्सी का इंतजाम आसानी से कर सकेंगे , देखना होगा कि देश की राजनीति में धीरे धीरे अप्रासंगिक होती जा रही कांग्रेस अपना कोष संभालने का काम किसे सौंपती है।

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