नयी दिल्ली : केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिमी क्षेत्र को देश का महत्वपूर्ण हिस्सा बताते हुए कहा है कि यह सकल घरेलू उप्ताद में 25 प्रतिशत योगदान करता है और पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद के सदस्य राज्यों में अतिसंवेदनशील संस्थान तथा उद्योगों को देखते हुए इनकी कड़ी सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रयास किये जाने चाहिए।श्री शाह ने सोमवार को गुजरात के गांधीनगर में पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद की 26वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह बात कही। इस अवसर पर श्री शाह ने गृह मंत्रालय के अंतरराज्यीय परिषद सचिवालय के ई-रिसोर्स वेब पोर्टल का शुभारंभ किया। इस पोर्टल से क्षेत्रीय परिषदों के कार्य में सुगमता आएगी।
बैठक में गुजरात, महाराष्ट्र और गोवा के मुख्यमंत्रियों तथा दादरा व नगर हवेली और दमन व दीव के प्रशासक, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और अन्य मंत्रीगण, पश्चिमी क्षेत्र के सदस्य राज्यों के मुख्य सचिव,केन्द्रीय गृह सचिव, सचिव, अंतरराज्यीय परिषद सचिवालय सहित केन्द्र और राज्यों के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया।उन्होंने कहा , “ पश्चिमी क्षेत्र देश का एक महत्वपूर्ण ज़ोन है, देश की जीडीपी में 25 प्रतिशत योगदान के साथ यह क्षेत्र फाइनेंस, आईटी, डायमंड, पेट्रोलियम, ऑटोमोबाइल और डिफेंस का हब है। पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद के सदस्य राज्य लंबी तटीय सीमाएं साझा करते हैं जहां अतिसंवेदनशील संस्थान और उद्योग हैं और इनकी कड़ी सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में लगातार प्रयास करने की आवश्यकता है।
”पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद की 26वीं बैठक के दौरान कुल 17 मुद्दों पर चर्चा हुई, जिनमें से 9 का समाधान निकाल लिया गया और राष्ट्रीय महत्व के विषयों सहित शेष मुद्दों पर गहन चर्चा कर निगरानी के लिए रखा गया। बैठक में पूरे देश और विशेष रूप से सदस्य राज्यों से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ जिनमें भूमि संबंधी मुद्दों का हस्तांतरण, जलापूर्ति, नीलाम की गई खदानों का संचालन, सामान्य सेवा केंद्र में नकद जमा सुविधा, बैंक शाखाओं, डाक द्वारा गांवों में बैंकिंग सुविधाएं पहुंचाना, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन अपराध, बलात्कार के मामलों की त्वरित जांच, बलात्कार और पोक्सो अधिनियम के तहत दर्ज मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों की योजना का कार्यान्वयन,गांवों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए राज्यों द्वारा भारत नेट बुनियादी ढांचे का उपयोग, 5 जी सेवा शुरू करने की सुविधा के लिए राज्यों द्वारा दूरसंचार नियम अपनाना, मोटर वाहन (वाहन स्क्रैपिंग सुविधा संशोधन का पंजीकरण और कार्य) नियम, 2022 पर अमल और प्राथमिक कृषि ऋण समितियों को मजबूत करना आदि शामिल है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने क्षेत्रीय परिषद के सदस्य राज्यों से राष्ट्रीय महत्व के तीन मुद्दों पोषण अभियान, स्कूली बच्चों की ‘ड्रॉपआउट’ दर को कम करने और आयुष्मान भारत पर संवेदनशीलता के साथ काम करने को कहा। उन्होंने कहा कि देश के 60 करोड़ लोगों को अर्थतंत्र के साथ जोड़ने का एकमात्र माध्यम सहकारिता है जिससे करोड़ों लोग देश की प्रगति में अपना योगदान दे सकते हैं।श्री शाह ने कहा कि 2014 से 2023 के बीच क्षेत्रीय परिषदों की कुल 23 और इनकी स्थायी समितियों की 29 बैठकें हुईं, जबकि 2004 से 2014 तक क्षेत्रीय परिषदों की 11 और स्थायी समितियों की 14 बैठकें हुई थीं। उन्होंने कहा कि 2014 से 2023 के बीच हुई क्षेत्रीय परिषदों की बैठकों के दौरान 1143 मुद्दों का समाधान निकाला गया, जो कुल मुद्दों के 90 प्रतिशत से भी अधिक है, ये क्षेत्रीय परिषदों के महत्व को दर्शाता है। क्षेत्रीय परिषदों की भूमिका की सराहना करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि यद्यपि क्षेत्रीय परिषदों की प्रकृति सलाहकार की है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में, क्षेत्रीय परिषदें विभिन्न क्षेत्रों में आपसी समझ और सहयोग के स्वस्थ समन्वय को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण कारक साबित हुई हैं।
श्री शाह ने कहा कि क्षेत्रीय परिषदें सदस्यों के बीच उच्चतम स्तर पर व्यक्तिगत बातचीत का अवसर प्रदान करती हैं और सौहार्द और सद्भावना के माहौल में कठिन और जटिल प्रकृति के मुद्दों को हल करने के लिए एक उपयोगी मंच के रूप में कार्य करती हैं। क्षेत्रीय परिषदें, चर्चा और विचारों के आदान-प्रदान के माध्यम से, सामाजिक और आर्थिक विकास के महत्वपूर्ण मुद्दों पर राज्यों के बीच एक समन्वित दृष्टिकोण विकसित करने में मदद करती हैं। क्षेत्रीय परिषदें राज्यों के सामान्य हित के मुद्दों पर भी चर्चा और सिफारिशें करती हैं। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय परिषद केन्द्र और राज्यों के बीच तथा राज्यों के बीच सरकार के समावेशी दृष्टिकोण के साथ मुद्दों के समाधान के लिए सहयोगी संघवाद का महत्वपूर्ण मंच है, जो संविधान की भावना के अनुरूप सहमति से समाधान में विश्वास करता है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा हाल ही में संसद में पेश किए गए तीन नए विधेयक भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 पारित होने के बाद कोई भी मामला दो वर्ष से अधिक नहीं चलेगा। उन्होंने सभी राज्यों से इन कानूनों को लागू करने के लिए ज़रूरी आधारभूत ढांचा तैयार करने की दिशा में काम करने को कहा। (वार्ता)