- बंद कमरे में माफी मांगने से अपराध खत्म हो जाता है क्या!
- डॉक्टरों की शिकायत भी ठंडे बस्ते में
- दबंग कोतवाल को कब तक खेले जनता
बलिया: जनपद बलिया के सीयर सीएचसी में प्रभारी अधीक्षक डॉक्टर साजिद हुसैन, डॉक्टर लाल चंद शर्मा और फार्मासिस्ट महेश पांडे को धमकी देने और मनमाना फिटनेस सर्टिफिकेट के लिए जलील करने के मामले में बलिया एसपी अब तक खामोश है। जबकि डाक्टरों ने मामले की लिखित शिकायत बलिया सीएमओ और एसपी से किया था। बावजूद अब तक कार्रवाई नहीं हो सका। हालाकि बंद कमरे में आरोपी इंस्पेक्टर ज्ञानेश्वर मिश्र ने डॉक्टर से माफी मांग लिया लेकिन एसपी साहब बताएं क्या सिर्फ माफी मांग लेने मात्र से अपराध खत्म हो जाता है क्या ! डॉक्टरों को धमकाने वाले इंस्पेक्टर जनेश्वर मिश्र ने पत्रकारों को भी धमकाया, जिसका वीडियो भी वायरल हुआ।
इसके पहले भी इंस्पेक्टर ज्ञनेश्वर मिश्र रसड़ा और नरही थाना क्षेत्र में भी पत्रकारों से बदतमीजी कर चुके हैं। अपने दुर्व्यवहार और अनैतिक कार्यों की खबर चलने पर ये पत्रकारों को धमकाकर ही काम चलाते है। जबकि जनता से अक्सर इनकी तूतू मैंमैं होती रहती है। हिंदू युवा वाहिनी नेता संजीत शर्मा ने भी इसी इंस्पेक्टर के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग एसपी से पहले ही कर चुके हैं। आश्चर्य ये की ऐसे बदतमीज कोतवाल बवाल के बाद भी अपने थाने में बने हुए है। जो अक्सर एसपी साहब के लिए फजीहत खड़ी करते रहे है।
शांति व्यवस्था कायम करने वाले कोतवाल के कारण ही अब अशांति हो, डॉक्टर हड़ताल पर चले जाए, पत्रकारों को खुलेआम धमकी मिलने से मीडिया खफा हो, नेताओं को थाने से भगाया जाए, फरियादी ही थाने में पुलिस द्वारा पीटने का आरोप लगाए और एसपी साहब, सबकुछ जानकर अंजान बने रहे। ऐसे में रामराज्य बताने वाले योगी सरकार की भी किरकिरी होनी ही है। उभांव इंस्पेक्टर ज्ञानेश्वर मिश्र के खिलाफ तमाम जनविरोध के मामले सामने आने के बाद भी क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि की चुप्पी भी इंस्पेक्टर की दबंग होने का मानो प्रमाण देती है। इंस्पेक्टर साहब के हर व्यवहार से झलकता है कि शासन सत्ता, एसपी और डीजीपी तक उनकी मजबूत पकड़ उनके हर दबंगई को जारी रखने के लिए काफी है।