भारत का बैंकिंग क्षेत्र हुआ मजबूत, राष्ट्रीय लक्ष्यों के लिए काम करें बैंक:मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि सरकार ने बैंकों के समक्ष 2014 से पहले आयीं समस्याओं और चुनौतियों का समाधान कर दिया और अब देश का बैंकिंग क्षेत्र पहले से अधिक मजबूत धरातल पर है और इसको विश्व स्तर पर स्वीकार किया जाने लगा है।श्री मोदी ने कहा कि देश में आर्थिक गतिविधियां बढ़ने से आज बैंकों के लिए काम करने का बहुत अच्छा अवसर है। उन्होंने कहा कि कंपनियां और स्टार्टअप जिस गति से बढ़ रहे हैं, वह अभूतपूर्व है, जनाकांक्षाओं को शक्ति प्रदान करने का इससे बढ़िया समय नहीं हो सकता।
उन्होंने कहा,“ आप उन्हें धन दें, उनमें निवेश करें। ”उन्होंने कहा कि बैंकों का लाखों करोड़ रुपये मार कर बैठे लोगों से हाल के वर्षों में पांच लाख करोड़ रुपये की वसूली हो चुकी है, बैंकों के एनपीए ( अवरुद्ध ऋणों) का स्तर पांच साल के न्यूनतम स्तर पर है और आज उनके पास अर्थव्यवस्था की कर्ज की जरूरत पूरी करने के लिए पर्याप्त पूंजी है।उन्होंने बैंक अधिकारियों से आग्रह किया कि वे उनने पास कर्ज के लिए आवेदन करने वाले को याचक न माने बल्कि उनके साथ भागीदार की भावना के साथ काम करें।प्रधानमंत्री ‘निर्बाध ऋण प्रवाह और आर्थिक विकास के लिए तालमेल बनाना’ विषय पर यहां दो दिवसीय सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग द्वारा आयोजित सम्मेलन में विभिन्न मंत्रालय, बैंक, वित्तीय संस्थान और उद्योग जगत के प्रतिनिधि शामिल हुए। इस अवसर पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी उपस्थित थीं। श्रीमती सीतारमण ने कल उद्याेग मंडल सीआईआई की बैठक में कहा था कि सरकारी बैंकों को चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में जितना लाभ हुआ, उतना पिछले वित्त वर्ष के पूरे लाभ के करीब-करीब बराबर है। वित्त मंत्री ने यह भी कहा था कि सरकारी बैंक अब अतिरिक्त पूंजी के लिए सरकार के पास नहीं आ रहे हैं और बैंकों ने बाजार से 10,000 करोड़ रुपये की पूंजी जुटाई है।
श्री मोदी ने कहा,“ पिछले छह-सात साल में सरकार द्वारा किए गए नीतिगत सुधारों से भारत का बैंकिंग क्षेत्र आज मजबूत धरातल पर खड़ा है। ”उन्होंने कहा, “ हमने 2014 से पहले देश के बैंकिंग क्षेत्र के सामने आने वाली सभी समस्याओं और चुनौतियों का समाधान निकाल लिया है। हमने बैंकों में एनपीए की समस्या का समाधान कर दिया है, बैंकों में नयी पूंजी डाली है और उनकी शक्ति बढ़ाई है।”श्री मोदी ने कहा कि बैंक उनकी सरकार से जिस तरह का सुधार चाहते थे, उसे किया गया है। उन्होंने कहा, “हम भविष्य में भी सुधार जारी रखेंगे। आप अब राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के संकल्प के साथ आगे बढ़ें।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि बैंक अब वित्तीय रूप से सुरक्षित हो गए हैं, उन्हें अब ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की मदद के लिए आगे बढ़ना चाहिए।उन्होंने बैंक का कर्ज लेकर उसे इरादतन न चुकाने वालों के साथ सख्ती से वसूली के अच्छे नतीजों का भी उल्लेख किया। उन्होंने परोक्ष रूप से विपक्ष पर तंज करते हुए कहा, “ हमारे देश में जब कोई बैंक का पैसा लेकर फरार होता तो हर काेई उसकी चर्चा करता है, पर जब एक मजबूत सरकार वह पैसा वापस लाती है तो किसी को उस पर चर्चा करने की परवाह नहीं होती।”श्री मोदी ने कहा कि पिछली सरकारों के कार्यकाल में बैंकों के लाखों करोड़ रुपये फंसे हुए थे, उनमें से अब तक पांच लाख करोड़ रुपये से अधिक की वसूली हो चुकी है।
उन्होंने बैंक अधिकारियों से ऋण आवेदन करने वालों के साथ भागीदारी की मानसिकता से काम करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा, “बैंक अधिकारी कर्ज मांगने वालों को याचक और स्वयं को अनुमोदक मानने की मानसिकता से उठें और उनके साथ भागीदार की तरह काम करें। ”प्रधानमंत्री ने कहा कि आज बैंकों के पास कर्ज देने को पर्याप्त मात्रा में नकदी उपलब्ध है, एनपीए के लिए नुकसान का प्रावधान करने के मामले में उन पर कोई बकाया नहीं है। बैंकों का एनपीए पांच साल के न्यूनतम स्तर पर आ गया है।महामारी के बावजूद चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में भारतीय बैंकों की मजबूत रिपोर्ट ने दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है, वैश्विक रेटिंग एजेंसियां भारत के बैंकिंग क्षेत्र के परिदृश्य की रेटिंग ऊंची करने लगी हैं।
उन्होंने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र द्वारा तैयार रिपोर्ट में यह कहा गया है कि जिन राज्यों में जन-धन बैंक खाते अधिक हैं, वहां अपराधों की दर घटी है।श्री मोदी ने कहा कि कंपनियां और स्टार्टअप जिस गति से बढ़ रहे हैं, वह अभूतपूर्व है, जनाकांक्षाओं को शक्ति प्रदान करने का इससे बढ़िया समय नहीं हो सकता। उन्होंने कहा, “आप उन्हें धन दें, उनमें निवेश करें।”श्री मोदी ने कहा कि हमारे देश में कृषि क्षेत्र में कार्पोरेट क्षेत्र का निवेश एक तरह से शून्य के बराबर है जबकि खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में बहुत अधिक संभावनाएं हैं और बहुत बड़ा बाजार भी है।