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रक्षा एवं सुरक्षा आधारित मुद्दों पर मित्र देशों के साथ जुड़ना चाहता है भारत : राजनाथ

बेंगलुरु : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भारत सिर्फ ‘असेंबली कार्यशाला’ बने रहना नहीं बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ और ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ के तहत विशेषज्ञता तथा क्षमताओं को साझा करने के वास्ते रक्षा एवं सुरक्षा आधारित मुद्दों पर मित्र देशों के साथ जुड़ना चाहता है।श्री सिंह ने यहां एयरो इंडिया 2023 के हिस्से के रूप में आयोजित बैठक में स्थानीय और वैश्विक मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) के 70 से अधिक मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) को संबोधित करते हुए यह बात कही।

उन्होंने साझा वैश्विक शांति तथा समृद्धि प्राप्त करने के समग्र उद्देश्य के साथ रक्षा में पूर्ण ‘आत्मनिर्भरता’ प्राप्त करने के लिए देश के भीतर महत्वपूर्ण तकनीकों का उपयोग करते हुए अत्याधुनिक उत्पादों के डिजाइन, विकास और निर्माण के लिए सरकार के प्रयास का समर्थन करने के लिए भारतीय और वैश्विक उद्योग के नेताओं का आह्वान किया।उन्होंने उद्योगपतियों को आश्वासन दिया कि सरकार नए विचारों के लिए खुली है और रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में ऊर्जा, उद्यमशीलता की भावना तथा निजी क्षेत्र के भागीदारों की क्षमता का पूरी तरह से उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है।श्री सिंह ने बाधाओं को दूर करने और व्यवसायों को सुविधाजनक बनाने की दिशा में सरकार की ओर से हरसंभव सहयोग तथा समर्थन का आश्वासन भी दिया।

विकासशील देशों के उत्थान के लिए निरंतर कार्यरत है भारत: राजनाथ

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि भारत ने किसी भी गुट या राष्ट्रों के एक समूह के दूसरे के खिलाफ गठबंधन के बिना सभी देश विशेषकर विकासशील देशों के उत्थान के लिए निरंतर काम किया है।श्री सिंह ने यहां एयरो इंडिया-2023 के मौके पर रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत उन नियमों पर आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का पक्षधर है, जिसमें निष्पक्षता, सहयोग और समानता की प्रतिबद्धता अहम है।

उन्होंने कहा कि भारत के प्राचीन लोकाचार की परंपरा पारस्परिक लाभ के लिए सहयोग की दिशा में काम करने के लिए मार्गदर्शन करता है।कोविड-19 से निपटने के लिए वैश्विक प्रयासों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि महामारी ने इस आवश्यकता पर बल दिया है कि साझा वैश्विक समृद्धि के लिए विभिन्न क्षेत्रों में सभी देशों के बीच अधिक समन्वय की आवश्यकता है, जिनमें से रक्षा और सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है।रक्षा मंत्री ने मजबूत सैन्य राष्ट्रों द्वारा अपनाए गए ऊपर से नीचे के दृष्टिकोण के बजाय नीचे से ऊपर के समाधान की भी पुरजोर वकालत की। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि संस्थानों और क्षमताओं के निर्माण के संदर्भ में सहायता प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।उन्होंने कहा कि भारत अपने मित्र देशों को बढ़ी हुई रक्षा साझेदारी की पेशकश कर इस सिद्धांत के साथ काम कर आगे बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा , “ हम एक साझेदारी की पेशकश करते हैं जो राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और क्षमताओं के अनुकूल है। हम आपके साथ निर्माण करना चाहते हैं। हम आपके साथ शुरुआत करना चाहते हैं।हम आपके साथ विकास करना चाहते हैं। हम सहजीवी संबंध बनाना चाहते हैं, जहां हम एक-दूसरे से सीख सकते हैं, एक साथ बढ़ सकते हैं और सभी के लिए जीत की स्थिति बना सकते हैं।”श्री सिंह ने तेजी से बदलते वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में अधिक सहयोग की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि घटना का विषय ‘स्पीड’ वर्तमान युग की विशेषता है जिसमें भू-राजनीतिक और सुरक्षा वास्तविकताएं अब तक तेज गति से बदल रही हैं।

उन्होंने जोर दिया कि अर्थव्यवस्था, सुरक्षा, स्वास्थ्य या जलवायु के क्षेत्र में किसी भी बड़े बदलाव की वैश्विक प्रतिध्वनि होती है और जब किसी क्षेत्र की शांति और सुरक्षा को खतरा होता है, तो दुनिया पर इसका असर पड़ता है।उन्होंने कहा कि आतंकवाद, अवैध हथियारों का व्यापार, मानव और मादक पदार्थों की तस्करी दुनिया के लिए सुरक्षा खतरे पैदा करते हैं। उन्होंने ऐसे खतरों का मुकाबला करने के लिए नयी रणनीति तैयार करने की जरुरत पर जोर देते हुए कहा “हम सभी राष्ट्रों को समान भागीदार मानते हैं। यही कारण है कि हम किसी देश की आंतरिक समस्याओं के लिए बाहरी या अति-राष्ट्रीय समाधान थोपने में विश्वास नहीं करते हैं।”

उन्होंने सामूहिक सुरक्षा को विकास और समृद्धि के लिए अनिवार्य शर्त बताया।सम्मेलन में 27 देशों के रक्षा और उप रक्षा मंत्रियों, 15 रक्षा और सेवा प्रमुखों तथा 80 देशों के 12 स्थायी सचिवों सहित कई देशों के 160 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।(वार्ता)

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