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अंतरिक्ष, साइबर क्षेत्र में सामरिक संवाद स्थापित करेंगे भारत फ्रांस

पेरिस : भारत और फ्रांस ने रक्षा से जुड़े सभी क्षेत्रों में जारी ‘सघन सहयोग’ का स्वागत किया और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत रक्षा प्रौद्योगिकी, विनिर्माण क्षेत्र और निर्यात में फ्रांसीसी कंपनियों की ‘वृहद सहभागिता’ के लिये रास्ते तलाशने पर सहमति व्यक्त की ।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों के बीच बुधवार को हुई वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में रेखांकित किया गया कि अस्त्र शस्त्र संबंधी दीर्घकालिक सहयोग दोनों देशों के बीच साझा भरोसे का परिचायक है।

बयान में कहा गया है कि दोनों पक्ष रक्षा से जुड़े सभी क्षेत्रों में जारी ‘गहन सहयोग’ का स्वागत करते हैं । बयान के अनुसार, ’’ इसमें शक्ति, वरूण, पेगासे, डेजर्ट नाइट, गरूड जैसे संयुक्त अभ्यास यथासंभव बेहतर समन्वय एवं सूचनाओं के आदान प्रदान की दिशा में प्रयासों को रेखांकित करते हैं ।’’इसमें कहा गया है कि महामारी के बावजूद राफेल लड़ाकू विमानों की समय पर आपूर्ति के दौरान रक्षा क्षेत्र में दोनों पक्षों के बीच बेहतर तालमेल देखा गया ।

संयुक्त बयान के अनुसार, ‘‘ इस गति को आगे बढ़ाते हुए और आपसी विश्वास के आधार पर, दोनों पक्षों ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत रक्षा प्रौद्योगिकी, विनिर्माण और निर्यात में फ्रांसीसी कंपनियों की ‘वृहद सहभागिता’ के लिये रास्ते तलाशने पर सहमति व्यक्त की । इसमें उद्योग से उद्योग के बीच वृहद गठजोड़ को प्रोत्साहित करना शामिल है । ’’

वहीं, विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने विशेष संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारत और फ्रांस का रक्षा सहयोग केवल विभिन्न मंचों पर कारोबार से ही परिभाषित नहीं होता है बल्कि इसका विस्तार सह-विकास, सह-डिजाइन और सह-उत्पादन तक है ।एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘ मैं समझता हूं कि यह काफी हद तक हमारी घरेलू ‘आत्मनिर्भरता’ की नीति के अनुरूप है जो वास्तव में रक्षा क्षेत्र में मजबूती से दिखता है। ’’

संयुक्त बयान में दोनों पक्षों ने जैंतापुर ईपीआर परियोजना की सफलता के लिए प्रतिबद्धता की पुन: पुष्टि की जो विश्वसनीय, वहनीय एवं निम्न कार्बन ऊर्जा तक पहुंच से संबंधित है । दोनों पक्षों ने पिछले महीनों में हुई प्रगति का स्वागत किया और कहा कि आगे की प्रगति के लिये आने वाले महीनों में सम्पर्क को बढ़ाया जायेगा ।

बयान में कहा गया है कि भारत और फ्रांस के बीच नौवहन सहयोग ‘विश्वास की नयी ऊंचाइयों’ तक पहुंच गया है और यह हिन्द महासागर में अभ्यास, आदान प्रदान और संयुक्त अभियान के जरिये जारी रहेगा ।इसमें कहा गया है कि मुम्बई में एमडीएल में निर्मित छह स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियां फ्रांस से भारत को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के स्तर को प्रदर्शित करती हैं जो ‘मेक इन इंडिया’ के अनुरूप है।भारत और फ्रांस ने तेजी से बढ़ते डिजिटल युग में अपनी साइबर सुरक्षा एजेंसियों के बीच सहयोग को मजबूत बनाया है।

संयुक्त बयान में कहा गया है कि अपने अपने दृष्टिकोण के आधार पर दोनों पक्षों ने साइबर नियमों एवं सिद्धांतों को प्रोत्साहित करने के लिये आपसी सहयोग पर सहमति व्यक्त की ताकि साइबर खतरों का मुकाबला किया जा सके । दोनों पक्षों ने शांतिपूर्ण, सुरक्षित एवं मुक्त साइबर क्षेत्र में योगदान के लिये द्विपक्षीय साइबर वार्ता को उन्नत बनाने पर सहमति व्यक्त की ।

भारत फ्रांस साइबर सुरक्षा एवं डिजिटल प्रौद्योगिकी खाका लागू करने के संबंध में दोनों देशों ने प्रौद्योगिकी उन्नयन में सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की जो सी-डीएसी और एटॉस के बीच सार्थक सहयोग पर आधारित हो और जिसमें भारत में सुपर कम्प्यूटर का निर्माण करना शामिल है।दोनों पक्षों ने सुरक्षित एवं सम्प्रभु 5जी/6जी दूरसंचार प्रौद्योगिकी के लिये साथ मिलकर काम करने पर भी सहमति व्यक्त की ।

भारत और फ्रांस ने जी20 के ढांचे के तहत मजबूत समन्वय स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की । फ्रांस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता तथा परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता के लिये भारत के प्रयासों का समर्थन किया।

भारत और फ्रांस ने अंतरिक्ष से जुड़े मुद्दों पर द्विपक्षीय सामरिक वार्ता स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की जिससे अंतरिक्ष एवं रक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों, प्रशासन एवं विशेषज्ञता वाली व्यवस्था को साथ आने का अवसर मिल सके और वे सुरक्षा, आर्थिक एवं वाह्य अंतरिक्ष की चुनौतियों के बारे में चर्चा कर सकें ।(भाषा)

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