भारत, ब्राज़ील ने गिर गाय प्रजनन के लिये किये समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर
सोहना (हरियाणा) : भारत और ब्राजील ने शनिवार को गिर गाय प्रजनन और वैदिक कृषि के क्षेत्र में सहभागिता के लिये एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये। इसके तहत हरियाणा के सोहना क्षेत्र स्थित गिर अमृतफल गौशाला में 20 लाख डॉलर का निवेश किया जायेगा।दोनों देशों के बीच इस सहभागिता से सतत पशुपालन को बढ़ावा देने में तेजी आयेगी। इस समझौते से कृषि क्षेत्र में नयी तकनीकों को शामिल कर नये-नये तरीके अपनाने में मदद मिलेगी।इस समझौते पर गिर अमृतफल गौशाला के संस्थापक मदन मोहन और ब्राजीलियन जेबू ब्रीडर्स एसोसियेशन (एबीसीजेड)के अध्यक्ष ग्रेबियल गार्सिया ने यहां हस्ताक्षर किये।
इस समझौते के तहत हरियाणा के सोहना क्षेत्र में 15 एकड़ के विशाल क्षेत्र को कवर करने वाली जेनेटिक लैब में 20 लाख डालर का निवेश होगा।गौरतलब है कि ब्राजील के कृषि एवं पशुधन मंत्री कार्लोस फेवरो के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय ब्राजील के प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में अमृतफल गौशाला का दौरा किया था। इस दौरान वैदिक कृषि को प्रोत्साहित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय कृषि साझेदारी को बढ़ावा देने और गिर और अन्य ज़ेेबू गाय प्रजनन की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करने पर आगे की रणनीति पर भी चर्चा की गयी थी। दोनों देशों ने इस दिशा में नयी रणनीति भी तय की है।
150 एकड़ क्षेत्र में फैली अमृतफल गौशाला 500 से अधिक गिर गायों और 600 अन्य आठ नस्लों (साहीवाल, हरियाणा, थारपारकर, कांकरेज, पुंगनोर, राठी, नारी) ज़ेबू गायों का घर है। जेबू गायों की संख्या यहां बढ़ रही है। वर्ष 2030 तक यहां 10,000 गायों तक पहुंचने की संभावना है। फार्म प्राचीन वैदिक कृषि सिद्धांतों को बनाये रखने के लिए भी प्रतिबद्ध है। यहां गायों के लिए पूरी तरह से जैविक चारा तैयार किया जाता है।ग्रेबियल गार्सिया ने इस मौके पर कहा कि यह समझौता ज्ञापन भारत को गिर और अन्य ज़ेबू गाय प्रजनन के लिए प्राथमिक केंद्र के रूप में फिर से स्थापित करने मेें मददगार साबित होगा। यह रणनीतिक कदम गिर और अन्य ज़ेबू गायों की बढ़ती वैश्विक मांग के साथ पूरी तरह से मेल खाता है, जिससे भारत एक बार फिर ज़ेबू गायों का बड़ा वैश्विक केन्द्र बन जाएगा।
श्री मदन मोहन ने इस अवसर गायों और वैदिक कृषि के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए कहा कि इन गायों के प्रति उनकी गहरा प्यार है। उनका दृष्टिकोण है कि सदियों पुरानी वैदिक कृषि तकनीक को फिर से स्थापित किया जाये। वैदिक खेती न केवल इकोलॉजिकल संतुलन को बहाल करती है बल्कि मिट्टी को उपनाऊ बनाती है।उन्होंने कहा कि चालीस एकड़ भूमि विशेष रूप से जैविक चारे और चारे के भंडारण के लिये समर्पित है। यहां हल्दी, मोरिंगा, क्यूरी-पत्ता, सतावरी, अश्वगंधा, जीवंती, शंखपुष्पी और गिलोय की भी खेती की जाती है। गिर अमृतफल गौशाला, जिसे भारत के सबसे बड़े और सबसे आधुनिक गिर गाय फार्म के रूप में जाना जाता है, ने स्वदेशी गिर गाय की नस्ल और वैदिक कृषि के सिद्धांतों के संरक्षण और प्रचार के लिए अपनी अटूट प्रतिबद्धता के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता और प्रशंसा प्राप्त की है।(वार्ता)