खाद्य प्रणालियों के पुनर्निर्माण में भारत बना विश्व का मार्गदर्शक
खाद्य प्रणाली शब्द का उपयोग अक्सर पोषण, भोजन, स्वास्थ्य, समुदाय, आर्थिक विकास और कृषि संबंधित बातों में किया जाता है। एक खाद्य प्रणाली में आबादी के पोषण में शामिल सभी प्रक्रियाएं- कटाई, प्रसंस्करण, पैकेजिंग, परिवहन, विपणन, खपत, वितरण और भोजन और खाद्य-संबंधित वस्तुओं का निपटान शामिल हैं। इन सभी के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे भी इस प्रणाली के अंतर्गत आते हैं। कृषि-खाद्य प्रणाली-उन्नतशील आजीविका पर पहली राष्ट्रीय स्तर की वार्ता 12 अप्रैल, 2021 को आयोजित की गई। दिन भर के विचार-विमर्श में किसान संगठनों, किसान उत्पादक संगठनों, नागरिक समाज संगठनों, अनुसंधान संस्थानों और विशेषज्ञों व सरकारी एजेंसियों ने भाग लिया।
पहला संयुक्त राष्ट्र खाद्य प्रणाली शिखर सम्मेलन सितम्बर में किया जाएगा आयोजित
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने घोषणा की है कि पहला संयुक्त राष्ट्र खाद्य प्रणाली शिखर सम्मेलन इस वर्ष सितम्बर माह में आयोजित किया जाएगा। इसका उद्देश्य विश्व में कृषि-खाद्य प्रणालियों में सकारात्मक बदलाव लाना है। इसके लिए 2030 एजेंडा फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट को ध्यान में रखते हुए कार्यों को रणनीतिक बनाना होगा। इस शिखर सम्मेलन में विभिन्न तरीकों और उपायों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा ताकि सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने की प्रक्रिया को गति देने के लिए राष्ट्रीय स्तर और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर खाद्य प्रणालियों को आकार दिया जा सके। समिट 2021 को अनिवार्य रूप से सहभागी और परामर्शी बनाने की योजना है। सितंबर, 2021 में खाद्य प्रणाली शिखर सम्मेलन में परामर्श प्रक्रियाएं समाप्त हो जाएंगी, जिसमें प्रधानमंत्री के साथ अन्य वैश्विक नेताओं के भाग लेने की संभावना है।
भारत खाद्य प्रणाली शिखर सम्मेलन का सबसे बड़ा हिस्सेदार
विश्व की 18% जनसंख्या के साथ भारत इस खाद्य प्रणाली शिखर सम्मेलन में सबसे बड़ा भागीदार है। भारत ने स्वेच्छा से एक्शन ट्रैक 4 :संयुक्त राष्ट्र खाद्य प्रणाली शिखर सम्मेलन 2021 के लिए कृषि-खाद्य प्रणाली-उन्नतशील आजीविका के लिए पहल की है लेकिन यह इसी तक सीमित नहीं है। इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए सरकार ने नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय अंतर विभागीय दल का गठन किया है, जिसमें कृषि और किसान कल्याण (एमओएएफडब्ल्यू), ग्रामीण विकास और अन्य मंत्रालयों के प्रतिनिधि शामिल हैं। इस समूह को सौंपा गया मुख्य कार्य भारत में टिकाऊ और न्यायसंगत खाद्य प्रणाली तैयार करने की दिशा में राष्ट्रीय तौर-तरीकों की खोज के लिए कृषि खाद्य प्रणालियों के सभी हितधारकों के साथ राष्ट्रीय संवाद का संचालन करना है और भविष्य तथा वर्तमान समय की जरूरतों को पूरा करने के लिए वैश्विक खाद्य प्रणालियों में परिवर्तन के लिए उपयुक्त योगदान देना है।
राज्य सरकारों से भी कृषि-खाद्य प्रणालियों संबंधित संवाद आयोजित करने का किया गया अनुरोध
राष्ट्रीय संवाद की तरह राज्य सरकारों से भी भारत में कृषि-खाद्य प्रणालियों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल सभी हितधारकों के साथ राज्य-स्तरीय संवाद करने का अनुरोध किया गया है। इस तरह के आधारभूत संवाद विभिन्न हितधारकों को भारत में स्थायी खाद्य प्रणालियों के लिए इनपुट प्रदान करने का एक अनूठा अवसर उपलब्ध कराते हैं। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने एक्शन ट्रैक 4 और समूह के संयुक्त राष्ट्र खाद्य प्रणाली शिखर सम्मेलन -2021 के अन्य एक्शन ट्रैक पर सभी हितधारकों और जनता के इनपुट और विचारों को प्राप्त करने के लिए एक वेबसाइट बनाई है। समूह के अध्यक्ष ने हितधारकों, विशेषज्ञों और जनता से इस उद्देश्य के लिए विशेष रूप से बनाए गए वेब पेज https://farmer.gov.in/fss/index.aspx पर अपने विचार और सुझाव देने की अपील की है।
यह अन्य 17 सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में भी करेगा मदद
सतत विकास लक्ष्य 2 “भूख को खत्म करने, खाद्य सुरक्षा और बेहतर पोषण प्राप्त करने तथा सतत कृषि को बढ़ावा देने” पर आधारित है। लेकिन ऐसे कई अन्य लक्ष्य भी हैं जो खाद्य प्रणाली की चुनौतियों से संबंधित हैं। स्थायी खाद्य प्रणाली केवल भूख को समाप्त करने में मदद नहीं करती है बल्कि वह अन्य सभी 17 सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में भी मदद करती है। 2019 के अंत में लगभग 69 करोड़ लोग कुपोषित पाए गए थे और तेजी से फैलती COVID-19 महामारी के वजह से अन्य 13 करोड़ लोगों के जीर्ण भूख के चपेट में आने की आशंका है। हमारी खाद्य प्रणालियों का पुनर्निर्माण उन्हें लंबी अवधि की भूख संबंधित चुनौतियों को हल करने और आपदाओं जैसे महामारी, सूखा आदि का प्रबंधन करने में सक्षम बनाएगा।