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भारत और अमेरिका को महत्वपूर्ण दीर्घकालिक मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत: राजनाथ

भारत और अमेरिका को महत्वपूर्ण दीर्घकालिक मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत: राजनाथ

The Union Minister for Defence, Shri Rajnath Singh, the Union Minister for External Affairs, Dr. Subrahmanyam Jaishankar, US Secretary of Defence Mr Lloyd Austin and US Secretary of State Mr Antony Blinken ahead of 5th India-US 2+2 Ministerial Dialogue, in New Delhi on November 10, 2023.

नयी दिल्ली : भारत और अमेरिका के बीच शुक्रवार को यहां पांचवीं टू प्लस टू मंत्रिस्तरीय वार्ता हुई जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन और विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के साथ सह-अध्यक्षता की।रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपनी आरंभिक टिप्पणी में कहा कि दोनों देशों को महत्वपूर्ण और दीर्घकालिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित की जरूरत है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र, खुला और नियम आधारित हिन्द प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने के लिए यह साझेदारी महत्वपूर्ण है।

श्री सिंह ने दावा किया कि भारत-अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों में रणनीतिक हितों का महत्व बढ़ने के साथ साथ रक्षा, सुरक्षा और खुफिया क्षेत्र में सहयोग बढ़ा है।उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र द्विपक्षीय संबंधों के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक है। श्री सिंह ने कहा , “आपकी भारत यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत और अमेरिका पहले से कहीं अधिक करीब हैं। उभरती भू-राजनीतिक चुनौतियों के बावजूद, हमें महत्वपूर्ण और दीर्घकालिक मुद्दों पर अपना ध्यान केंद्रित रखने की आवश्यकता है।”विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने भी उनके विचारों को दोहराते हुए कहा, “ आज की बातचीत हमारे नेताओं के दूरदर्शी साझेदारी के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने का अवसर होगी और हम एक साझा वैश्विक एजेंडा का निर्माण करेंगे।

“उन्होंने कहा, “ टू प्लस टू वार्ता में हम रणनीतिक रक्षा और सुरक्षा संबंधों, प्रौद्योगिकी और आपूर्ति श्रृंखला क्षेत्र में सहयोग तथा लोगों के बीच आदान-प्रदान जैसे मुद्दों की व्यापक समीक्षा करेंगे। ”श्री जयशंकर ने कहा कि दोनों देश महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों , अंतरिक्ष सहयोग और महत्वपूर्ण खनिजों जैसे क्षेेत्रों में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चर्चा का मुख्य केन्द्र हिन्द प्रशांत क्षेत्र रहेगा।द्विपक्षीय व्यापार पर उन्होंने कहा, “ हमारी बैठक ऐसे समय हो रही है जब हम व्यापार पर अपने द्विपक्षीय एजेंडे के सभी पहलुओं में तेजी से प्रगति कर रहे हैं जो आज 200 अरब डॉलर से अधिक है।

“श्री ब्लिंकन ने भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते संबंधों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गत जून में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रधान मंत्री मोदी ने व्यापक रणनीतिक साझेदारी बनाने के लिए बहुत ही महत्वाकांक्षी एजेंडा निर्धारित किया था।उन्होंने कहा कि दोनों देश स्वतंत्र, खुले और समृद्ध भारत-अमेरिका प्रशांत क्षेत्र को बढ़ावा दे रहे हैं और क्वाड के माध्यम से साझेदारी को मजबूत कर रहे हैं।श्री ऑस्टिन ने कहा, “ भारत और अमेरिका के बीच सहयोग का दायरा समुद्र से लेकर अंतरिक्ष तक विशाल है।

”उन्होंने कहा, “ दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों की ताकत लोगों के परस्पर संबंधों में निहित है और सहयोग के माध्यम से दोनों देश आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सेमीकंडक्टर और नवीकरणीय ऊर्जा सहित नए क्षेत्रों में अपनी साझेदारी का विस्तार कर रहे हैं।”मंत्रिस्तरीय वार्ता से पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से मुलाकात की। एक सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने कहा , “ हमारी रणनीतिक साझेदारी को और बढाने पर एक खुली और सार्थक बातचीत हुई। साथ ही पश्चिम एशिया, हिन्द प्रशांत और अन्य क्षेत्रीय मुद्दों पर भी बात की गयी। ”

चीन , हिन्द प्रशांत, इजरायल- हमास और कनाड़ा के मुद्दों पर बात की भारत- अमेरिका ने

भारत और अमेरिका के रक्षा तथा विदेश मंत्रियों ने शुक्रवार को यहां जेट इंजन बनाने , चीन, हिन्द प्रशांत क्षेत्र, इजरायल- हमास युद्ध , कनाड़ा और रक्षा क्षेत्र में सहयाेग को बढाने सहित विभिन्न मुद्दों के तमाम पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की।रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन और विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के साथ भारत तथा अमेरिका के बीच पांचवीं टू प्लस टू मंत्रिस्तरीय वार्ता की सह-अध्यक्षता की।वार्ता के बाद श्री सिंह ने कहा कि अमेरिकी रक्षा मंत्री के साथ दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों को और मजबूत बनाने के बारे में अच्छी बातचीत हुई।

उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र में सहयोग की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देश रक्षा उद्योग के क्षेत्र में मजबूत साझेदारी और आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित कर सहयाेग का नया मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं।डा जयशंकर ने कहा कि वार्ता के दौरान रक्षा संबंधों को मजबूत बनाने , अंतरिक्ष और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में मिलकर आगे बढने तथा लोगों के बीच परस्पर संपर्क बढाने सहित रणनीतिक साझेदारी को पुख्ता करने पर व्यापक बातचीत हुई। दोनों पक्षों ने हिन्द प्रशांत , दक्षिण एशिया , मध्य एशिया और यूक्रेन संघर्ष पर भी विचारों का आदान प्रदान किया। बातचीत में अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सहयोग बढाने तथा अल्पविकसित देशों के संबंध में प्रतिबद्धता की भी पुष्टि की गयी।

श्री आस्टिन ने कहा कि वार्ता के दौरान देशों ने किसी भी तरह की वैश्विक चुनौती की स्थिति से निपटने के लिए विचारों के आदान प्रदान को महत्वपूर्ण बताते हुए साझा लक्ष्यों को हासिल करने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत पर बल दिया।वार्ता के बाद विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा और रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने ने सवालों के जवाब में कहा कि दोनों देशों ने जेट इंजन बनाने में सहयोग, चीन, हिन्द प्रशांत क्षेत्र, इजरायल- हमास युद्ध , कनाड़ा और रक्षा क्षेत्र में सहयाेग को बढाने सहित विभिन्न मुद्दों के तमाम पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की।श्री क्वात्रा ने कहा कि कनाड़ा के मामले में भारत की सभी सहयोगी तथा मित्र देशों के साथ निरंतर बातचीत हो रही है।ये सभी भारत की स्थिति तथा उसकी चिंताओं को समझते हैं। भारत इस बारे में पहले भी अपनी स्थिति स्पष्ट कर चुका है । सुरक्षा को लेकर भारत की ठोस चिंताएं हैं। इस संबंध में उन्होंने गुरपतवंत सिंह पन्नुन के वीडियो का भी उल्लेख किया।

उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने खुले, मुक्त , समृद्ध और नियम आधारित हिन्द प्रशांत क्षेत्र के प्रति वचनबद्धता व्यक्त की।उन्होंने कहा कि वार्ता के दौरान इजरायल और हमास युद्ध के बार में भी चर्चा हुई और दोनों पक्षों ने अपनी अपनी चिंता तथा अपना दृष्टिकोण रखा। भारत इस मामले में दो देश के समाधान और संकट के शीघ्र समाधान के लिए जल्द बातचीत का पक्षधर है। भारत ने इजरायल पर हमास के हमले की भी निंदा की थी और कहा कि वह आतंकवाद को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करने की नीति का पक्षधर है। साथ ही भारत मानवीय आधार पर फलस्तीन में सहायता भेजने की भी वकालत करता है।चीन से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि चीन और भूटान के मुद्दों पर भी व्यापक बातचीन हुई , हालांकि उन्होंने इस बारे में विस्तार से जानकारी नहीं दी।

श्री अरमाने ने कहा कि लड़ाकू विमानों के लिए एफ 414 इंजन बनाने के बारे में सौदे को अंतिम रूप दिया जा रहा है। प्रीडेटर ड्रोन की खरीद पर भी प्रक्रिया को आगे बढाया जा रहा है। इसके अलावा भारतीय सेना की जरूरतों के अनुरूप बख्तरबंद वाहनों के सहविकास पर भी दोनों देश तेजी से आगे बढ रहे हैं।(वार्ता)

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