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‘फ्रेजाइल फाइव’ वाले भारत की पहचान अब एंटी फ्रेजाइल के रूप में : मोदी

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि सरकार के नये ढंग से सोचने एवं नये तरीके खोजने से ही एक समय विश्व की पांच सबसे नाज़ुक अर्थव्यवस्थाओं में एक आने वाली भारतीय अर्थव्यवस्था आज ऐसी अर्थव्यवस्था मानी जा रही है जो कभी खतरे में नहीं आ सकती है।श्री मोदी ने इकॉनोमिक टाइम्स ग्लोबल बिज़नेस समिट को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि बीते तीन साल में पूरे विश्व ने एक बहुत लंबा सफर तय किया है। कोविड महामारी के बाद कुछ ही समय में पूरी दुनिया ही बदल गई। इन तीन वर्षों में वैश्विक व्यवस्थाएं बदल गई हैं और भारत भी बदल गया है।

उन्होंने कहा, “बीते कुछ समय में हम सभी ने ‘एंटी फ्रेजाइल’ के दिलचस्प अवधारणा पर ढेर सारी चर्चाएं सुनी हैं। आप बिजनेस की दुनिया के ग्लोबल लीडर्स हैं। आप ‘एंटी फ्रेजाइल’ का अर्थ और इसकी भावना भलीभांति समझते हैं। एक ऐसा सिस्टम जो ना सिर्फ विपरीत परिस्थितियों का मुकाबला करे, बल्कि उन परिस्थितियों का ही उपयोग करके और ज्यादा मजबूत हो जाए, विकसित हो जाए।”उन्होंने कहा कि एंटी फ्रेजाइल की अवधारणा के बारे में सुन कर उनके मन में 140 करोड़ भारतीयों की सामूहिक संकल्पशक्ति की छवि उभरी थी। बीते तीन वर्षों में जब विश्व, कभी कोरोना, कभी युद्ध, कभी प्राकृतिक आपदा की चुनौतियों से गुजर रहा था, तो उसी समय भारत ने और भारत के लोगों एक अभूतपूर्व शक्ति का प्रदर्शन किया। भारत ने दुनिया को दिखा दिया है कि एंटी फ्रेजाइल होने का असली मतलब क्या होता है। सोचने वाली बात है कि कहां पहले फ्रेजाइल फाइव की बात होती थी, वहीं अब भारत की पहचान एंटी फ्रेजाइल से होने लगी है। भारत ने दुनिया को पूरे विश्वास से दिखाया है कि आपदा को अवसरों में कैसे बदला जाता है।

उन्होंने कहा कि सौ साल में आए सबसे बड़े संकट के समय भारत ने जो सामर्थ्य दिखाया, उसका अध्ययन करके सौ साल बाद मानवता भी खुद पर गर्व करेगी। आज इस सामर्थ्य पर विश्वास करते हुए भारत ने 21वीं सदी के तीसरे दशक की बुनियाद बनाई है।प्रधानमंत्री ने इस वर्ष के ईटी ग्लोबल बिज़नेस समिट की थीम ‘रिइमेजिन बिज़नेस, रिइमेजिन दि वर्ल्ड’ की सराहना करते हुए कहा, “वैसे मुझे नहीं पता कि ये रिइमेजिन वाली थीम सिर्फ दूसरों के लिए ही है या फिर विचारकों के लिए भी है वो भी क्या लागू करेंगे?” उन्होंने कहा कि रिइमेजिन आज के समय के लिए बहुत ही प्रासंगिक थीम है। क्योंकि जब देश ने हमें सेवा का अवसर दिया, तो हमने पहला काम यही किया, रिइमेजिन करने का। 2014 में स्थिति ये थी कि लाखों करोड़ के घोटालों की वजह से देश की साख दांव पर लगी हुई थी। भ्रष्टाचार की वजह से गरीब, अपने हक की चीजों के लिए भी तरस रहा था। युवाओं की आकांक्षाएं परिवारवाद और भाई-भतीजावाद की बलि चढ़ रही थीं।

पॉलिसी पैरालिसिस की वजह से अवसंरचना परियोजनाओं में बरसों की देरी हो रही थी। ऐसे सोच और रवैये के साथ देश का तेजी से आगे बढ़ना मुश्किल था। इसलिए हमने तय किया कि शासन के हर एक तत्व को रिइमेजिन करेंगे, रिइन्वेंट करेंगे। सरकार, गरीबों को सशक्त करने के लिए कल्याण कार्यक्रमों का क्रियान्वयन कैसे सुधारें, हमने ये रिइमेजिन किया। सरकार अधिक दक्षता से कैसे अवसंरचना बना सके, हमने ये रिइमेजिन किया। सरकार का देश के नागरिकों के साथ कैसा संबंध हो, हमने ये रिइमेजिन किया।श्री मोदी ने रिइमेजिन के बिन्दु पर अपने शासनकाल की पहलों का विस्तार से वर्णन किया और कहा कि हमारे देश में लंबे समय तक जो सरकारें रहीं या जो सरकार चलाने वाले रहे, उन्हें माई-बाप कल्चर बहुत पसंद आता था जो परिवारवाद और भाई-भतीजावाद से अलग है। ये एक अलग ही मनोभाव था। इसमें सरकार अपने ही देश के नागरिकों के बीच मालिक जैसा व्यवहार करती थी।

हाल ये था कि देश का नागरिक भले कुछ भी करे, सरकार उसे शक की नजर से ही देखती थी। और नागरिक कुछ भी करना चाहे, उसे सरकार की अनुमति लेनी पड़ती थी। इस कारण, पहले के समय, सरकार और नागरिकों के बीच परस्पर अविश्वास और संदेह का माहौल बना रहता था।उन्होंने कहा कि एक जमाने में टीवी और रेडियो के लिए भी लाइसेंस लेना पड़ता था। इतना ही नहीं, इसे ड्राइविंग लाइसेंस की तरह ही बार-बार रीन्यू भी करना पड़ता था। और ये किसी एक सेक्टर में नहीं बल्कि लगभग हर सेक्टर में था। तब बिजनेस करना कितना मुश्किल था, लोगों को तब कैसे ठेके मिलते थे, ये आप भलीभांति जानते हैं। 90s में मजबूरी के कारण कुछ पुरानी गलतियां सुधारी गईं, और उन्हें सुधारों का नाम दिया गया, लेकिन ये माई-बाप वाली पुरानी मानसिकता पूरी तरह से गई नहीं। 2014 के बाद हमने इस सरकार प्रथम वाली मानसिकता को जनता प्रथम वाले रुख की तरफ मोड़ा। हमने नागरिकों पर भरोसा के सिद्धांत पर काम किया।

श्री मोदी ने कहा कि 2013-14 में देश का सकल कर राजस्व लगभग 11 लाख करोड़ रुपए था। जबकि 2023-24 में ये 33 लाख करोड़ रुपए से अधिक रहने का अनुमान है। यानि 9 सालों में सकल कर राजस्व में 3 गुना की वृद्धि हुई है। और ये तब हुआ है, जब हमने कर की दरें कम की हैं। इसके बाद भी करदाताओं की संख्या बढ़ी है। उन्होंने कहा कि सीधी सी बात है कि लोग आप पर तब भरोसा करते हैं, जब आप उन पर भरोसा करते हैं। भारत की कर प्रणाली में आज जो बदलाव आया है, वो इसी वजह से आया है। कर रिटर्न के लिए हमने प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए भरोसे के आधार पर ही प्रयास किए। आयकर विभाग ने इस साल साढ़े 6 करोड़ से अधिक रिटर्न्स को प्रोसेस किया है। इनमें से करीब-करीब 3 करोड़ रिटर्न्स चौबीस घंटे के भीतर प्रोसेस हुए हैं। बाकी जो रिटर्न्स थे, वो भी कुछ ही दिन में प्रोसेस हो गए, और पैसा भी री-फंड हो गया। जबकि इसी काम में पहले औसतन 90 दिन लग जाते थे। और लोगों के पैसे 90 दिन पड़े रहते थे। आज वो घंटों में किया जाता है। कुछ साल पहले तक ये अकल्पनीय था।

लेकिन इसे भी रिइमेजिनेशन की ताकत ने सच कर दिखाया है।प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत की समृद्धि में दुनिया की समृद्धि है, भारत की प्रगति में दुनिया की प्रगति है। भारत ने जी-20 की जो थीम तय की है -एक विश्व एक परिवार एक भविष्य, दुनिया की अनेक चुनौतियों का समाधान इसी मंत्र में है। साझा संकल्पों से, सबके हित की रक्षा से ही ये दुनिया और बेहतर हो सकती है। ये दशक और आने वाले 25 साल भारत को लेकर अभूतपूर्व विश्वास के हैं। सबके प्रयास से ही भारत अपने लक्ष्यों को तेजी से प्राप्त करेगा।उन्होंने कहा, “मैं आप सभी का आह्वान करूंगा कि भारत की विकास यात्रा से ज्यादा से ज्यादा जुड़ें। और जब आप भारत की विकास यात्रा से जुड़ते हैं तो भारत आपकी विकास की गारंटी देता है, आज ये भारत का सामर्थ्य है।(वार्ता)

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