आयकर विभाग नेमहाराष्ट्र के नंदुरबार और धुले जिले के दो व्यापारिक समूहों पर तलाशी और जब्ती अभियान चलाया। ये समूह सिविल निर्माण कार्य और भूमि विकास के कारोबार में लगे हैं। यह तलाशी अभियान नंदुरबार, धुले और नासिक में स्थित 25 से अधिक परिसरों में चलाया गया।तलाशी और जब्ती अभियान के दौरान कई आपत्तिजनक दस्तावेज, लूज पेपर और डिजिटल साक्ष्य मिले हैं जिन्हें, जब्त कर लिया गया है।
पहले समूह से संबंधित संस्थाओं के मामले में जब्त किए गए दस्तावेज़ स्पष्ट रूप से यह दर्शाते हैं कि इन्होंने अप्रमाणित पुराने फुटकर क्रैडिटर्स तथा गैर-वाजिब उप-अनुबंध खर्चों के दावे और अपने खर्चों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने के माध्यम से बड़े पैमाने पर कर योग्य आय का छिपाव किया है। तलाशी दल को यह भी पता चला है कि ये उप-अनुबंध परिवार के उन सदस्यों और उनके कर्मचारियों को दिए गए हैं जिन्होंने इस संबंध में सेवाएं भी प्रदान नहीं की हैं। ऐसे सबूत भी एकत्र किए गए हैं जो नगद राशि में किए गए अघोषित खर्चों को दर्शाते हैं। प्रारंभिक जांच से यह संकेत मिलता है कि इस समूह ने उपरोक्त कदाचार के कारण 150 करोड़ रुपये की सीमा तक आय की चोरी की है।
भूमि विकासकर्ताओं के मामले में यह पाया गया है कि इन्होंने भूमि के लेन-देन का अधिकांश कार्य नगदी रूप से किया गया है जिसका नियमित लेखाबहियों में कोई हिसाब नहीं है। इसके अलावा भूमि लेनदेन में ‘ऑन-मनी’ प्राप्ति तथा 52 करोड़ रुपये से अधिक के नगदी ऋणों के आपत्तिजनक दस्तावेजी सबूत पाए गए हैं, जिन्हें जब्त किया गया है।इस तलाशी अभियान में अब तक 5 करोड़ से अधिक की बेहिसाबी नगदी और 5 करोड़ मूल्य के आभूषण जब्त किए जा चुके हैं। आगे की जांच जारी है।
आयकर विभाग ने दो समूहों और उनकी व्यावसायिक संस्थाओं की तलाशी ली तथा जब्ती अभियान चलाया। इनमें से एक समूह राजस्थान, महाराष्ट्र और उत्तराखंड में बिजली के स्विच, तार, एलईडी, रियल एस्टेट तथा होटल व्यवसाय से संबंधित व्यापारिक कार्यों में लगा हुआ है, जबकि दूसरा समूह जयपुर और इसके आसपास के शहरों में धन उधार देने की गतिविधियों में संलग्न है। तलाशी अभियान के तहत जयपुर, मुंबई और हरिद्वार सहित विभिन्न स्थानों में फैले 50 से अधिक परिसरों में छापेमारी की गई है। तलाशी की कार्रवाई के दौरान बड़ी संख्या में आपत्तिजनक दस्तावेज एवं डिजिटल डाटा मिले हैं और उन्हें जब्त कर लिया गया है।
जब्त किए गए साक्ष्यों के प्रारंभिक विश्लेषण से पता चलता है कि स्विच, वायर, एलईडी आदि के निर्माण के कारोबार में लगी कई संस्थाएं ऐसे सामान बेच रही हैं जो नियमित खातों में दर्ज नहीं किये गए हैं। जांच के दौरान यह भी पाया गया कि वे कर योग्य आय को कम करने के लिए फर्जी खर्चों का दावा प्रस्तुत कर रहे थे। माल की बेहिसाब बिक्री पर नकद राशि प्राप्त होने के सबूत भी मिले हैं। इस समूह के मामले में तलाशी दल ने 150 करोड़ रुपये से अधिक की अघोषित आय वाले लेनदेन का पता लगाया है। समूह के प्रमुख व्यक्ति ने 55 करोड़ रुपये को अघोषित आय के रूप में स्वीकार किया है और उस पर कर का भुगतान करने की पेशकश की है।
दूसरे समूह से संबंधित जब्त किये गए तथा अन्य प्राप्त हुए दस्तावेजों के विश्लेषण से पता चला है कि अधिकांश ऋण नकद में दिए गए हैं और इन ऋणों पर अपेक्षाकृत उच्च ब्याज दर वसूल की गई है। इस कार्य में लगे व्यक्तियों की आय की विवरणी में न तो अग्रिम ऋण और न ही उस पर अर्जित ब्याज की आमदनी का खुलासा किया गया है। इस समूह में 150 करोड़ रुपये से अधिक की अघोषित आय के प्रमाण मिले हैं। अब तक की गई तलाशी कार्रवाई में कुल 17 करोड़ रुपये की बेहिसाबी नकदी व जेवरात बरामद किए गए हैं।