आधुनिकता के इस चकाचौंध में एक विवाह ऐसा भी
बैलगाड़ियों में होकर सवार बरातियों ने दशको पूरानी प्रथा की दिलाई याद। पालकी में होके सवार, दूल्हा पहुंचा ससुराल।
रामपुर कारखाना, देवरिया। इस इकीसवी शताब्दी के आधुनिक दौर में जहां लग्जरी गाड़ियों में बारात लेकर दूल्हा बड़ी शान से दुल्हन को लेने जाता है। वहीं रविवार को रामपुर कारखाना क्षेत्र के कुशहरी गांव से एक ऐसी बारात निकली जिसे देख कर लोग जहां थे वहीं रूक गए और दशकों पूरानी परम्पराओं को याद करने लगे । एक ऐसा दूल्हा जो अपनी पुरानी परंपराओं को जीवित रखने और पर्यावरण को बचाने के लिए बैल गाड़ी से बारात लेकर दुल्हन के घर तक पहुंच गया।
लोग अपने अपने बचपनों में यह सुने थे कि दादा और नाना की बारात बैलगाड़ी से गई थी, बारात लेकर उन्हें ससुराल पहुंचने में कई दिन का सफर तय करना पड़ा था। लेकिन आधुनिकता के इस वर्तमान समय में अगर कोई यह कहे कि किसी की बारात बैलगाड़ी में जाएगी तो लोग यकीन नहीं करेंगे और पूराने जमाने की पूरानी ख्यालात वाले कहेगे।
रामपुर कारखाना क्षेत्र के कुशहरी गांव के निवासी छोटेलाल पाल पुत्र स्व. ज्वाहर पाल ने डोली और बैलगाड़ी को एक बहुत ही आकर्षक रूप से सजाकर शादी करने के लिए बारात लेकर निकल गए। बारात कुशहरी से 32 किलोमीटर दूर पकड़ी बाजार के निकट बरडिहा दल गांव में पहुंची, जहां रमानंद पाल की बेटी सरिता से शादी होगी। बैलगाड़ी पर निकली बारात को देखने के लिए क्षेत्र के लोगों की भीड़ लग गई। लोगों ने अपने मोबाइल से दूल्हे और बैलगाड़ी के साथ इस पल को सेल्फी के माध्यम से कैद किया। दशकों बाद पुरानी परंपरा से निकली बारात चर्चा का विषय बन गयी। बारात जिस गांव और चौराहे से निकली वहां लोग उस बारात को देखने के लिए अपने-अपने घरों से बाहर निकल गए।
दूल्हा फिल्म इंडस्ट्री में करता है काम
दूल्हा छोटेलाल ने बताया कि उनकी मां कोईली देवी का निधन 1998 में हो गया। पिता भी 2006 में गुजर गये । वर्ष 1999 में हाईस्कूल की परीक्षा में फेल होने के बाद 2002 में मुंबई चला गया। और फिल्म इंडस्ट्री में आर्ट का काम करते हैं। दूल्हा छोटेलाल ने बताया कि प्रदूषण से जनजीवन पर पड़ रहे असर को लेकर लोगों में जागरूकता आए इसलिए मैंने पुरानी परंपरा को जीवित करने की पहल की। इससे प्रदूषण में कमी, ईंधन की बचत और खर्चीली शादियों पर लगाम लगेगा। इसके लिए भईया और ग्रामीणों के बीच यह प्रस्ताव रखा, तो सभी लोगों ने मेरा साथ दिया। लड़की वालों का भी पूरा सहयोग है। उन लोगों ने भी इस प्रयास को सराहा है।