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वर्ष 2047 में विकसित राष्ट्र बनाने में प्रौद्योगिकी की महत्ती भूमिका: मोदी

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र माेदी ने 21वीं सदी को टेक्नालॉजी ड्रीवन सदी बताते हुये आज कहा कि 2047 में विकसित भारत के लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने में टेक्‍नोलॉजी बहुत बड़ी ताकत देती है और भारत के पास यह प्राकृतिक उपहार है।श्री मोदी ने अगले वित्त वर्ष के आम बजट पर किये गये प्रावधानों और उपायों पर वेबीनार की कड़ी के आज राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर टेक्नालॉजी से जीवनयापन में सरलता विषय पर वेबीनार को संबोधित करते हुये कहा कि 21वीं सदी का बदलता हुआ भारत, अपने नागरिकों को टेक्नालॉजी की ताकत से लगातार सशक्त कर रहा है। बीते वर्षों में हर बजट में टेक्नालॉजी की मदद से देशवासियों के जीवन यापन को सरल बनाने पर जोर दिया गया है। इस बार के बजट में भी प्रौद्योगिकी लेकिन साथ-साथ मानव स्पर्श को प्राथमिकता देने दी गयी है।

उन्होंने कहा कि आजकल 5 जी और कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) की चर्चा तो काफी दिनों से हो रही है। ये भी कहा जा रहा है कि इंडस्ट्री, मेडिसिन, एजुकेशन, एग्रीकल्चर और तमाम सेक्टर में बड़े बदलाव आने वाले हैं। लेकिन अब हमें अपने लिए कुछ विशेष लक्ष्य तय करने होंगे। वो कौन से तरीके हैं जिससे इस टेक्नॉलजी का उपयोग सामान्य मानव की बेहतरी के लिए किया जा सकता है। वो कौन से सेक्टर हैं जिन पर हमें ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। क्या हम समाज की 10 ऐसी समस्याओं की पहचान कर सकते हैं, जिनका समाधान एआई के माध्यम से हो सकता है। जब हैकेथॉन करते हैं देश के नौजवानों के सामने टेक्‍नोलॉजी के द्वारा समाधान की बात करते हैं और लाखों नौजवान जुड़ते हैं और बहुत अच्‍छे समाधान देते हैं।

उन्होंने कहा कि टेक्नॉलजी की मदद से हर व्यक्ति के लिए डिजिलॉकर की सुविधा लेकर आए हैं और अब उद्यमियों के लिए डिजिलॉकर की सुविधा है। यहां कंपनियां, एमएसएमई अपनी फाइलों को स्टोर कर सकते हैं और उसे विभिन्न नियामकों और सरकारी विभागों के साथ साझा कर सकते हैं। डिजिलॉकर के कॉन्सेप्ट को और विस्तार देने की जरूरत है ताकि लोगों तक इसका फायदा पहुंचाया जा सकता है। पिछले कुछ वर्षों में एमएसएमई को सपोर्ट करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गये हैं। इस बात पर मंथन की जरूरत है कि भारत के लघु उद्योगों को बड़ी कंपनी बनने में कौन-कौन सी बाधाएं आती हैं। छोटे व्यवसायों और छोटे उद्योगों के लिए अनुपालन लागत को कम करने की जरूरत है।

श्री मोदी ने कहा कि समय धन है। इसलिए अनुपालन में लगने वाले समय की बचत का मतलब है अनुपालन लागत की बचत। अगर आप अनावश्यक अनुपालनों की लिस्ट बनाना चाहते हैं, तो यही सही समय है, क्योंकि पहले ही 40 हजार अनुपालन खत्म किये जा चुके हैं। उन्होंंने कहा कि सरकार और लोगों के बीच विश्वास की कमी गुलामी की मानसिकता का परिणाम है। लेकिन आज छोटी गलतियों को अपराध की श्रेणी से हटा करके और एमएसएमई लोन के गारंटर के तौर पर सरकार ने लोगों का भरोसा जीता है। लेकिन यह भी देखना होगा कि दुनिया के दूसरे देशों में समाज के साथ विश्वास मजबूत करने के लिए क्या किया गया है। उनसे सीखकर अपने देश में भी वैसे प्रयास कर सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि बजट या किसी सरकारी पॉलिसी की सफलता कुछ हद तक इस बात पर निर्भर करती है कि उसे कितने अच्छे तरीके से तैयार किया गया है। लेकिन इससे ज्यादा उसे लागू करने का तरीका महत्वपूर्ण होता है, इसमें लोगों का सहयोग बहुत अहम है। सभी हितधारकों के इनपुट से जीवनयापन में सुगमता को और ज्यादा बढ़ावा मिलेगा।श्री माेदी ने भारत को विनिर्माण हब बनाने का उल्लेख करते हुये कहा कि जीरो डिफेक्‍ट, जीरो इफेक्‍ट प्राथमिकता होनी चाहिए। क्‍वालिटी में कोई समझौता नहीं होना चाहिए और उसमें टेक्‍नोलॉजी बहुत मदद कर सकती है। टेक्‍नोलॉजी की मदद से प्रोडक्‍शन में बहुत बारीकियों तक बहुत ही फिनिश वे में प्रोडक्‍ट ले करके आ सकते हैं और तभी वैश्विक बाजार पर कब्जा किया जा सकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा “हमें इस बात को स्‍वीकार करना होगा कि 21वीं सदी टेक्‍नोलॉजी ड्रिवन है। जीवन में टेक्‍नोलॉजी का प्रभाव बहुत बढ़ने वाला है। हम सिर्फ अपने आप को इंटरनेट और डिजिटल टेक्‍नोलॉजी तक सीमित न रखे। उसी प्रकार से आज जैसे ऑप्‍टीकल फाइबर नेटवर्क गांव-गांव पहुंच रहा है। पंचायत तक पहुंचेगा, वेलनेस सेंटर पहुंचेगा, टेनी मेडिसन चलेगी, हेल्थ सेक्टर भी पूरी तरह टेक्‍नोलॉजी ड्रिवन हो रहा है। आज देश बहुत बड़ी मात्रा में जैसे डिफेंस में हम बहुत कुछ आयात करते हैं। हम हेल्‍थ में भी बहुत कुछ आयात करते हैं। क्‍या मेरे देश के उद्योग जगत के लोग टेक्‍नोलॉजी में उन्नयन करके उस दिशा में नहीं जा सकते हैं। और इसलिए अब जैसे ऑप्टिकल फाइबर गांव-गांव पहुंच रहा है। जब तक प्राइवेट पार्टी सेवाएं लेने के लिए नहीं आती हैं, नए-नए सॉफ्टवेयर ले करके नहीं आतें हैं। सामान्‍य नागरिक उस ऑप्टिकल फाइबर से क्‍या सेवाएं ले सकता है, क्‍या फायदा उठा सकता है। उसके मॉडल को हम डेवलप कर सकते हैं। और हम सब कुछ में जन भागीदारी चाहते हैं।”

उन्होंने कहा कि सरकार को ही सब ज्ञान है यह न हमारी सोच है न हमारा दावा है। और इसलिए सभी हितधाारकों से आग्रह है कि आप 21वीं सदी जो कि टेक्‍नोलॉजी ड्रीवन सदी है उसको हम जितना जल्‍दी फैलाएं, जितना जल्‍दी सरल बनाएं, जितना जल्‍दी जन सामान्‍य को सशक्त करने वाला बनाए, उतना देश का भी, लोगों का भी कल्‍याण होने वाला है और 2047 में विकसित भारत के लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने में टेक्‍नोलॉजी हमें बहुत बड़ी ताकत देती है। हम भाग्‍यवान है कि भारत के पास यह प्राकृतिक उपहार है।उन्होंने कहा कि देश में दक्ष युवा हैं, कुशल मानवश्रम है। भारत के गांव के लोगों को भी टेक्‍नोलॉजी का एडप्‍शन की क्षमता बहुत बड़ी है। इसका फायदा उठाने पर विचार करने की अपील करते हुये उन्होंने कहा “मैं चाहता हूं कि आप लोग विस्‍तार से इसकी चर्चा करे, बारीकियों से चर्चा करें और जो बजट आया है उसका उत्‍तम से उत्‍तम आउट कम कैसे हो, उसका उत्‍तम से उत्‍तम लाभ लोगों तक कैसे पहुंचे। इस पर आपकी चर्चा जितनी गहन होगी, यह बजट सार्थक होगा।”(वार्ता)

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