Off BeatSociety

आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक ने बनाया अनोखा मैट, भारतीय पेटेंट के लिए आवेदन किया

आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की सहायता से मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत एक मैट विकसित किया है। जो कि ऐसा स्टिकी यानी चिपकने वाला मैट है, जो संपर्क में आने वाली सतह के धूल कणों को समेट कर घर, कार्यालय, अस्पताल और प्रयोगशाला में स्वच्छ, स्वास्थ्यकर और तरोताजा वातावरण को सुनिश्चित करता है। यह महंगे और संवेदनशील उपकरणों को भी स्वच्छ रखकर उनकी सुचारू कार्यशीलता को सुनिश्चित करता है। यह मैट सस्ता होने के साथ ही इसे धोया जा सकता है तथा बार-बार इस्तेमाल किया जा सकता है।

छिपकली के पंजों में चिपकने वाले पैड से हुए प्रेरित

आईआईटी कानपुर के रसायन इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर अनिमांगशु घटक ने इस मैट को विकसित किया है। उन्होंने दीवार पर चढ़ने वाले जीव जंतुओं जैसे कि घरों में मिलने वाली छिपकली के पंजों में चिपकने वाले पैड को देख कर और उससे प्रेरित होकर इसे विकसित किया।

कैसे करें दोबारा इस्तेमाल

मैट में मौजूद एड्हेसिव (चिपकने वाला) अपनी सतह पर मौजूद अति सूक्ष्म पिरामिड आकार के बंप की मदद से धूल कणों को अपनी ओर खींच लेता है। जिससे कि जब हम उस पर कदम रखते हैं तो हमारे जूतों के सोल साफ हो जाते हैं। जब एड्हेसिव पूरी तरह से धूल कणों से भर जाता है तो इसे उसी तरह से साफ कर लिया जाता है जैसे कि हम अपने कपड़े धोते हैं। इसके बाद उसकी सतह एक बार फिर से अपना काम दोबारा काम शुरू करने के लिए तैयार हो जाती है और इस तरह से सैकड़ों बार इसे इस्तेमाल किया जा सकता है।

भारतीय पेटेंट के लिए आवेदन दायर

वैज्ञानिकों ने मेट के विकास के लिए बड़े क्षेत्र, सरल पद्धति द्वारा सतह के आकार के नियंत्रण, धोने की संभावना और पुनः उपयोग जैसी बातों का ध्यान रखते हुए इसे विभिन्न आकारों में तैयार करने की सोच पर काम किया है। इसको प्रमाणित किया गया है तथा स्टिकी मैट के लिए भारतीय पेटेंट का आवेदन भी दायर किया गया है। यह तैयार करने और धोने में आसान, पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल, सस्ता है और इस उद्देश्य से आयात किए जाने वाली सामग्री की जगह ले सकता है। स्टिकी मेट की तरह का सबसे करीबी उत्पाद 3एम स्टिकी मेट है लेकिन इसे धोया नहीं जा सकता और दोबारा उपयोग में नहीं आ सकता।

मैट का किया जाएगा व्यवसायीकरण

यह मेट अस्पतालों के आईसीयू में उपयोग किया जा सकता है। संवेदनशील उपकरण को रखने वाले कक्ष और सुविधाओं में एयर फिल्टर के एक घटक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह प्रौद्योगिकी ऐसी हर जगह के लिए महत्वपूर्ण है जहां साफ सफाई और स्वच्छता की आवश्यकता है। टेक्नोलॉजी रेडीनेस लेवल के स्तर पर यह उत्पाद 7-8 के स्तर पर है और इसका अभी व्यवसायीकरण किया जाना है। बड़े स्तर पर इसका उत्पादन करने के लिए प्रायोगिक संयंत्र का निर्माण किया जा रहा है।

VARANASI TRAVEL
SHREYAN FIRE TRAINING INSTITUTE VARANASI

Related Articles

Back to top button
%d bloggers like this: