भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के कुटुंब न्यायालय में एक दंपती का ऐसा अनूठा मामला पहुंचा जिसने न्यायपीठ को न केवल हक्का बक्का कर दिया अपितु अब यह ऐतिहासिक प्रसंग व्यापक चर्चा में है।
क्या है प्रकरण ?
एक अधेड़ महिला ने कुटुंब न्यायालय में गुहार लगाई कि उसके बेटे और बहू का तलाक करा दिया जाय। काउंसिलर तब और हैरान हो गए जब उस महिला के बेटे के साथ ब्याही बहू ने कहा कि उसे अपने पति में भाई और सास में मां की छवि दिखाई देती है, इसलिए वह पति से पत्नी का संबंध नहीं बना पा रही है। उसने अपने बयान में कहा कि पति भले ही उसे तलाक देकर दूसरा विवाह कर लें, किंतु वह यह घर, पति और मां जैसी सास को छोड़कर अपने माइके नहीं जाएगी।
काउंसिलिंग में उसके पति ने बताया कि उसके विवाह को डेढ़ साल हो गए हैं। लेकिन उसकी पत्नी अभी भी उसे करीब नहीं आने देती। अब तक उनके बीच पति-पत्नी का रिश्ता कभी नहीं बन पाया। पत्नी हमेशा कहती है कि तुम्हें भाई मानती हूं और वह मुझसे भाई की तरह ही व्यवहार करती है। उसके पति का कहना है कि पत्नी की सोच और व्यवहार में परिवर्तन की आस में उसने डेढ़ साल बिता दिया। यहां तक कि पत्नी को अच्छे चिकित्सक, यहाँ तक कि मनोविज्ञानी के पास भी ले गया। लेकिन पत्नी के स्वभाव में कोई बदलाव नहीं आया। अंततः क्षुब्ध होकर अब वह तलाक लेकर इस संबंध को समाप्त करना चाहता है।
बहू-बेटे के तलाक की गुहार लगा रही सास की बातों को सुनकर काउंसिलर की सांसें अटकने लगीं। ब्याहता की सास ने काउंसिलर से कहा कि ऐसी बहू किस्मत वालों को मिलती है। बहू उसकी खूब सेवा करती है और मां का दर्जा देती है। लेकिन वह अपना पत्नी धर्म नहीं निभा रही है। काउंसिलिंग में पत्नी ने कहा कि वह न तो किसी और को पसंद करती है, न ही माता-पिता के दबाव का कोई मामला है। वह इतनी जल्दी शादी करना नहीं चाहती थी। लेकिन जब घर वालों के फैसले पर उसने हामी भर दी।
उसने कहा कि, उसे वर पक्ष के लोग जिस दिन देखने आने वाले थे, उस दिन वह बहुत घबराई हुई थी। लेकिन होने वाली सास का व्यवहार मुझे बहुत पसंद आया था। विवाह के बाद पति का केयरिंग स्वभाव ने उसे अद्भुत सुख दिया। इनके व्यवहार से मुझे अहसास होता है कि एक भाई अपनी बहन की फिक्र कर रहा हो। पत्नी ने कहा कि यही वजह है कि वह पति से दांपत्य का रिश्ता नहीं निभा पा रही है। पत्नी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वह अपना यह घर छोड़कर नहीं जाएगी। पति चाहें तो दूसरी शादी कर लें, मुझे कोई आपत्ति नहीं है।