एइएस की पुष्टि के बाद स्वास्थ्य महकमा सतर्क

महराजगंज । जिले में जनवरी से लेकर जुलाई माह तक 28 बच्चों में एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (एइएस) की पुष्टि होने के बाद स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है। अब इसके रोकथाम तथा इलाज के लिए प्रभावी कदम उठाया गया है।स्वास्थ्य विभाग ने गांव में टीकाकरण तथा कीटनाशक दवाओं का छिडकाव शुरू कराया है। नगर पंचायतों में फागिंग पर जोर दिया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल की जगह दूषित पानी मिलने वाले हैंडपम्पों को ठीक करने को जल निगम की सहायता लिया जा जा रहा है। सभी गांवों के सफाई कर्मियों को सफाई करने की जिम्मेदारी सुनिश्चित की जा रही है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अलावा जिला अस्पताल में आने वाले बुखार के मरीजों की फीवर ट्रैकिंग शुरू है।
क्या है जेई/एइएस
जानकारों का कहाना है कि इंसेफलाइटिस को जापानी बुखार (जेई) कहते हैं। यह एक प्राण घातक संक्रामक बीमारी है। य़ह फ्लूवी वायरस के संक्रमण से होता है। मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करती है। इसके होने से प्रतिरक्षा प्रणाली वयस्को की तुलना में काफी कमजोर हो जाती है। इधर, इंसेफेलाइटिस के मामले को पुष्ट करने में डॉक्टर एइएस नाम देते हैं, जो अलग-अलग रोगों के लिए प्रयुक्त प्रचलित और अस्थाई संकेत है। इसके वास्तविक कारण का पता लगाने में हिचकते हैं। इसके निष्कर्ष की पुष्टि करने में अधिक डाटा की आवश्यकता है।
कहते हैं आकड़े
केंद्रीय संचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम के आंकड़ों के अनुसार महाराजगंज जिला सबसे ज्यादा प्रभावित है। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2016 में 390 बीमार हुए। उनमें से 70 की मृत्यु हो गई। वर्ष 2017 में 437 बीमार हुए जिसमें 68 की मृत्यु हो गई। वर्ष 2018 में 252 बीमार जिनमें 26 की मौत हुई। 2019 में 189 बीमार में 15 की मृत्यु हुई। 2020 में 185 पीड़ित जिनमें 12 की मौत हो गई। वर्ष 2022 जनवरी से लेकर जुलाई तक 28 बच्चे में से तीन की मौत हो गई है।
बोले सीएमओ
इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर नीना वर्मा ने बताया कि चिन्हित तथा प्रभावित गांवों में वंचित बच्चों का टीका शुरू है। गांवों में कीटनाशक दवाएं और फागिंग कार्य भी शुरू है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षकों को बुखार से पीड़ित बच्चों का फीवर ट्रेकिंग करने का निर्देश दिया गया है।