केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम और सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने ऐसी नीति या मॉडल के निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया जो सूक्ष्म/ लघु व्यवसायों/ कार्यों को वित्तिय रूप से सहायता प्रदान कर सके जैसे कि मछुआरे, फेरीवाले, रिक्शा चालक, सब्जी विक्रेता, गरीब, स्वयं सहायता समूह आदि। वे वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से, ‘पैन आईआईटी ग्लोबल ई-कॉन्क्लेव ऑन रिइमेजिंग एमएसएमई एंड लाइवलीहुड’ को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि देश की अधिकांश आबादी मछली पकड़ने, मधुमक्खी पालन, बांस उत्पादन जैसे बहुत ही छोटे उद्यमों में लगी हुई है और आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़ी हुई हैं और उनके पास पर्याप्त रूप से वित्तीय सहायता का अभाव है। वे मेहनतकश, प्रशिक्षित, प्रतिभाशाली और ईमानदार हैं लेकिन वित्त के अभाव में वे अपने व्यवसायों/ कार्यों में किसी प्रकार का मूल्यवर्धन नहीं कर पाते हैं। उन्हें अगर थोड़ी सी वित्तीय, तकनीकी और विपणन सहायता मिल जाए तो वे अपने व्यवसायों/ कार्यों को विकसित कर सकते हैं जिससे ग्रामीण, कृषि और जनजातीय क्षेत्रों में निश्चित रूप से रोजगार के अवसर को बढ़ावा मिलेगा और हमारे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को भी मजबूती मिलेगी।
श्री गडकरी ने सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े हुए इन उद्यमियों की सहायता और वित्तपोषण प्रदान करने के लिए एक मॉडल को विकसित करने के लिए सुझावों को आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि यह मॉडल पारदर्शी, भ्रष्टाचार मुक्त, आईटी सक्षम होने के साथ-साथ कम प्रक्रियात्मक और कम से कम अनुमोदनों की आवश्यकता वाला होना चाहिए। उन्होंने आशा व्यक्त किया कि वित्त मंत्रालय और नीति आयोग की तरफ से मंजूरी प्राप्त होने के बाद, यह मॉडल बांस, शहद उत्पादन, वैकल्पिक ईंधन और अन्य क्षेत्रों में लगे हुए कई उद्यमों को सहायता प्रदान कर सकता है। इस वीडियो कॉन्फेंस के दौरान, नोबल शांति पुरस्कार विजेता और ग्रामीण बैंक, बांग्लादेश के संस्थापक, प्रो मुहम्मद यूनुस ने भी अपने दृष्टिकोण को साझा किया।