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गोरखपुर की बेटी ने डेफलिंपिक में दिलाया स्वर्ण पदक

सीएम योगी ने दी बधाई, कहा- हमें आप पर गर्व है

गोरखपुर : ब्राजील के कैक्सियास डो सुल में चल रहे डेफलिंपिक में गोरखपुर की बेटी बैडमिंटन खिलाड़ी आदित्या यादव ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए टीम चैंपियनशिप में देश को स्वर्ण पदक दिलाया है। बृहस्पतिवार को सुबह तीन बजे खेले गए फाइनल मुकाबले में आदित्या और जर्लिन की जोड़ी ने 21-15 अंकों से जापान के डबल्स खिलाड़ियों को पराजित कर इतिहास रचा है। इससे पूर्व देश को टीम चैंपियनशिप में कोई पदक नहीं मिला था।

एक मई से शुरू हुई प्रतियोगिता के मिक्स्ड डबल्स में आदित्या यादव और रोहित भाकर की जोड़ी ने फ्रांस को 21-15, 17-21, 21-16 अंक से पराजित कर विजयी आगाज किया। प्री क्वार्टर फाइनल में 3 मई को ब्राजील के खिलाफ आदित्या को खेलने का मौका नहीं मिला था। उसमें भारत ने 5-0 से ब्राजील को शिकस्त दी थी। क्वार्टर फाइनल में तुर्की के खिलाफ भारत ने पहले ही तीन-एक से मुकाबला जीत लिया, जिसके कारण पांचवां मैच जो आदित्या को खेलना था, उस मैच की जरूरत ही नहीं पड़ी। सेमीफाइनल की डबल्स स्पर्धा में आदित्या ने चीनी ताइपे की टीम को हरा कर फाइनल में जगह पक्की की थी। महिला डबल्स में 7 मई को आदित्या की जोड़ीदार गौरांशी शर्मा के साथ आगाज करेंगी। मिक्स डबल्स में 8 मई को अपने जोड़ीदार ऋतिक आनंद के साथ नेट के एक तरफ संघर्ष करेंगी। आदित्या और उनके जोड़ीदारों की बेहतरीन फॉर्म को देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि इन प्रतियोगिताओं में भी भारत को पदक जरूर मिलेगा।

सीएम योगी ने दी बधाई, लिखा- हमें आप पर गर्व है
अपने ट्वीटर हेंडल से सीएम योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर लिखा, ‘‘ब्राजील #Deaflympics2021 की बैडमिंटन स्पर्धा में भारतीय टीम को स्वर्ण पदक प्राप्त होने पर हार्दिक बधाई और ढेरों शुभकामनाएं! इसमें गोरखपुर की बेटी आदित्या यादव ने जो अद्वितीय प्रदर्शन किया है, वह असंख्य खिलाड़ियों व बच्चों के लिए एक बेमिसाल प्रेरणा है। हमें आप पर गर्व है!’’

सिंगल्स, डबल्स और मिक्स डबल्स में दिखाएंगी जलवा

डेफलिंपिक के अंतर्गत आदित्या बैडमिंटन की सिंगल, डबल्स और मिक्स डबल्स स्पर्धा में दमखम दिखाएंगी। बैडमिंटन में 12 मई तक विभिन्न वर्गों में प्रतियोगिताएं होंगी। आदित्या यादव महज 10 वर्ष की उम्र में वर्ष 2019 में चीनी ताइपे में आयोजित मूकबधिर विश्व चैंपियनशिप खेलकर देश की पहली महिला खिलाड़ी बनीं थीं। जिला और राज्य स्तर पर पिछले तीन वर्षों में आदित्या कभी कोई मुकाबला नहीं हारीं।

दो साल गेम प्रैक्टिस से रहीं दूर, घर पर पिता की निगरानी में प्रैक्टिस

कोरोना महामारी की वजह से पिछले दो साल आदित्या को गेम प्रैक्टिस का ज्यादा मौका नहीं मिला। घर में दीवार पर प्रैक्टिस करती थीं। उस दौरान फिटनेस पर पूरा ध्यान दिया। आदित्या को पिता व रेलवे के बैडमिंटन कोच दिग्विजयनाथ ने ही निखारा है। प्रतिदिन सुबह रेलवे स्टेडियम में और शाम को लेविंस एकेडमी में तीन-तीन घंटे हार्ड प्रैक्टिस करती हैं।

पांच साल की उम्र से करती हैं प्रैक्टिस

रेलवे में कार्यरत बैडमिंटन के राष्ट्रीय खिलाड़ी और आदित्या के पिता दिग्विजय यादव को जब बेटी की सुनने की कमी के बारे में पता चला तो खुद कमजोर होने के बजाय उन्होंने बेटी को मजबूत बनाने की ठानी। आदित्या की मां अंकुर बताती हैं कि दिग्विजय ने आदित्या को सामान्य बच्चों से दो कदम आगे रखने का फैसला किया और पांच साल की उम्र में बेटी के हाथों में बैडमिंटन थमा दिया।
चाट, फुलकी और आइसक्रीम से की तौबा

गेम के साथ शारीरिक अभ्यास पर फोकस किया। पिता ने कोच की भूमिका में आकर फटकार भी लगाई और अनुशासन में रहना सिखाया। चाट, फुलकी, आइसक्रीम और मिठाई से दूरी बनवा दी। थोड़े समय में ही आदित्या कोर्ट में खेलने लगीं। अंकुर बताती हैं कि शुरुआत में लोगों से अपेक्षा के अनुरूप सहयोग नहीं मिला, मगर बेटी के प्रदर्शन ने सबके मुंह बंद कर दिए। अब उनका सपना है कि आदित्या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए बैडमिंटन में पदक हासिल करे।

बधाई देने वालों का लगा तांता

आदित्या की उपलब्धि पर राज्य सभा सांसद और पूर्व वित्तराज्य मंत्री शिवप्रताप शुक्ल,महापौर सीताराम जायसवाल, डीएम विजय किरन आनंद, उत्तर प्रदेश हॉकी संघ के उपाध्यक्ष धीरज सिंह हरीश, अंतरराष्ट्रीय पहलवान दिनेश सिंह, जिला कबड्डी संघ के अध्यक्ष अरूणेश शाही, क्षेत्रीय क्रीड़ाधिकारी आले हैदर आदि लोगों ने बधाई दी है।

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