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केन्द्र , त्रिपुरा और टिपरा मोथा के बीच त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर

नयी दिल्ली : केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में शनिवार को यहां केन्द्र सरकार, त्रिपुरा सरकार और द इंडीजिनीयस प्रोग्रेसिव रिजनल एलासंय (तिपरा) जिसे टिपरा मोथा के नाम से जाना जाता है तथा अन्य हितधारकों के बीच राज्य के मूल निवासियों की समस्याओं के समाधान के लिए एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किये गये।श्री शाह ने इस मौके पर कहा कि यह त्रिपुरा के लिए ऐतिहासिक दिन है। उन्होंने कहा कि इस समझौते से इतिहास का सम्मान, गलतियों में सुधार और वास्तविकता को स्वीकार करते हुए तीनों का सामंजस्य कर भविष्य की ओर देखने का काम किया गया है।

उन्होंने कहा कि इतिहास को कोई बदल नहीं सकता लेकिन गलतियों से सीखकर वास्तविकताओं को ध्यान में रखकर आगे ज़रुर बढ़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि टिपरा मोथा और सभी जनजातीय पार्टियों ने इस दिशा में बहुत रचनात्मक भूमिका निभाई है।केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि त्रिपुरा सरकार ने इसके लिए शुरू से बहुत प्रय़ास किए हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि विकसित भारत के प्रधानमंत्री के स्वप्न में त्रिपुरा भी अपने योगदान और हिस्से के प्रति कटिबद्ध होगा और एक विकसित त्रिपुरा के रूप में आगे बढ़ेगा। गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में गृह मंत्रालय ने उग्रवादमुक्त, विवादमुक्त और हिंसामुक्त पूर्वोत्तर की कल्पना को साकार करने का प्रयास किया है। लगभग 10 हज़ार लोग हथियार छोड़कर मुख्यधारा में आए हैं और इसी के कारण पूर्वोत्तर में विकास का माहौल बना है।

श्री शाह ने कहा कि चाहे ब्रू-रियांग समझौता हो या सीमाओं का समझौता हो, इनकी शुरूआत त्रिपुरा से ही हुई थी और अब ये समझौता भी त्रिपुरा का ही हो रहा है। उन्होंने कहा कि 2019 में एनएलएफटी (एसडी), 2020 में ब्रू और बोडो समझौते, 2021 में कार्बी-आंगलोंग, 2022 में आदिवासी समझौता और अमस –मेघालय सीमा समझौता, 2023 में असम अरुणाचल सीमा समझौता, दिमासा समझौता, यूएनएलएफ और उल्फा समझौता हुआ। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने कुल 11 अलग-अलग समझौतों के माध्यम से सीमाओं, पहचान, भाषा, संस्कृति के लिए संघर्ष कर रहे लोगों के साथ बात कर संघर्ष समाप्त करने की दिशा में काम किया है। उन्होंने कहा कि इस समझौते के साथ ही राज्य एक विवादमुक्त त्रिपुरा की ओर आगे बढ़ा है।

गृह मंत्री ने कहा ,“ आपके अधिकारों के लिए अब आपको संघर्ष, नहीं करना पड़ेगा और भारत सरकार दो कदम आगे बढ़कर सभी के अधिकारों की रक्षा हो, इस प्रकार का तंत्र विकसित करेगी।”समझौते के तहत त्रिपुरा के मूल निवासियों के इतिहास, भूमि और राजनीतिक अधिकारों, आर्थिक विकास, पहचान, संस्कृति और भाषा से संबंधित सभी मुद्दों को सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाने पर सहमति बनी। इसके साथ ही सम्माननीय समाधान सुनिश्चित करने के लिए, समझौते के तहत इन मुद्दों से संबंधित पारस्परिक सहमति वाले बिंदुओं पर निर्धारित समयसीमा में अमल के लिए एक संयुक्त कार्य समूह अथवा समिति के गठन पर भी सहमति बनी।

समझौते पर अमल के लिए अनुकूील माहौल बनाए रखने के लिए सभी हितधारकों के बीच समझौता लागू होने के दिन से किसी भी प्रकार के विरोध या आंदोलन का सहारा नहीं लेने पर भी सहमति बनी।तिपरा की ओर से इसके संस्थापक प्रद्युत देबबर्मा और अन्य ने समझौते पर हस्ताक्षर किए। समझौते पर हस्ताक्षर के दौरान त्रिपुरा के मुख्यमंत्री प्रोफेसर माणिक साहा, त्रिपुरा और केन्द्रीय गृह मंत्रालय और त्रिपुरा सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। (वार्ता)

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