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विश्व युद्ध में भारत से भेजे गए थे हथियार, आज स्मॉल आर्म्स के लिए भी दूसरे देशों की तरफ देखना पड़ता है: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को बजट को लेकर एक रक्षा वेबीनार को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा वैसे तो आप सब जानेते होंगे कि बजट के बाद भारत सरकार अलग-अलग क्षेत्र के लोगों के साथ वेबीनार करके बजट को जल्द से जल्द कैसे इंप्लीमेंट किया जाए, बजट को इंप्लीमेंट करते समय किस प्रकार से प्राइवेट कम्पनियों को भागीदार बनाया जाए और बजट को इंप्लीमेंट करने का साथ मिलकर इस पर रोड मैप कैसे बने इस पर चर्चा चल रही है। मुझे खुशी है कि आज रक्षा मंत्रालय के वेबीनार में भाग ले रहे सभी पार्टनर व स्टेक होल्डर्स से मिलने का अवसर मिला है। मेरी तरफ से आप सभी को अनेक-अनेक शुभकामनाएं।

रक्षा क्षेत्र में किस तरह से आत्मनिर्भर बनें इस संदर्भ में यह संवाद बहुत अहम

प्रधानमंत्री ने कहा, भारत रक्षा क्षेत्र में किस तरह से आत्मनिर्भर बनें इस संदर्भ में आज का यह संवाद मेरी तरफ से बहुत अहम है। बजट के बाद डिफेंस सेक्टर में क्या नई संभावनाएं बनी है, हमारी आगे की दिशा क्या होगी, इस बारे में जानकारी और मंथन दोनों जरूरी हैं। जहां हमारे वीर जांबाज ट्रेनिंग लेते हैं, वहां हम अक्सर कुछ ऐसा लिखा हुआ देखते हैं कि शांति काल में बहाया हुआ पसीना युद्ध काल में रक्त बहने से बचाता है। यानी शांति की प्री-कंडिशन है वीरता और वीरता की प्री कंडिशन है सामर्थ्य और सामर्थ्य की प्री-कंडिशन है पहले से की गई तैयारी। बाकी सब उसके बाद आता है।

हमारे यहां यह भी कहा गया है…

“सहनशीलता, क्षमा, दया को तभी पूजता जग है,
बल का दर्प चमकता उसके पीछे जब जगमग है।”

भारत विश्व के सबसे बड़े डिफेंस इम्पोर्टस में से एक

उन्होंने कहा, हथियार और मिलिट्री इक्विपमेंट बनाने का भारत के पास सदियों पुराना अनुभव है। आजादी के पहले हमारे यहां सैंकड़ो ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियां होती थीं। दोनों विश्व युद्ध में भारत से बड़े पैमाने पर हथियार बनाकर भेजे गए थे लेकिन आजादी के बाद अनेक वजहों से इस व्यवस्था को उतना मजबूत नहीं किया गया जितना किया जाना चाहिए था। हालत ये है कि स्मॉल आर्म्स के लिए भी हमें दूसरे देशों की तरफ देखना पड़ता है। भारत आज विश्व के सबसे बड़े डिफेंस इम्पोर्टस में से हैं। यह कोई बड़े गौरव की बात नहीं है। ऐसा नहीं है कि भारत के लोगों में टेलेंट नहीं हैं। ऐसा भी नहीं है कि भारत के लोगों में सामर्थ्य नहीं है।

मंगल तक पहुंचने की क्षमता रखने वाला भारत आधुनिक हथियार भी बना सकता था…

पीएम मोदी ने कहा जब कोरोना शुरू हुआ तब भारत एक भी वेंटिलेटर नहीं बनाता था। आज भारत हजारों वेंटिलेटर का निर्माण कर रहा है। मंगल तक पहुंचने की क्षमता रखने वाला भारत आधुनिक हथियार भी बना सकता था लेकिन बाहर से हथियार मंगवाना बहुत इजी-वे हो गया था। मनुष्य का स्वभाव भी ऐसा ही है कि जो सरल है और जो आसानी से मिलता है उसी रास्ते पर चल पड़ता है। आप भी अगर अपने घर जाकर गिनेंगे तो पाएंगे कि जाने-अनजाने ऐसी कितनी ही विदेशी चीजों का आप बरसों से इस्तेमाल कर रहे हैं। डिफेंस के साथ भी ऐसा ही हुआ है। लेकिन अब आज का भारत इस स्थिति को बदलने के लिए कमर कस के काम कर रहा है। अब भारत अपनी कैपेसिटी और कैपेबिलिटी को तेज गति से बढ़ाने में जुटा है।

एक समय था जब हमारे अपने लड़ाकू विमान तेजस को फाइलों में बंद करने की आ गई थी नौबत

उन्होंने बताया कि एक समय था जब हमारे अपने लड़ाकू विमान तेजस को फाइलों में बंद करने की नौबत आ गई थी लेकिन हमारी सरकार ने अपने इंजीनियरों, वैज्ञानिकों और तेजस की क्षमताओं पर भरोसा किया और आज तेजस शान से आसमान में उड़ान भर रहा है। कुछ सप्ताह पहले तेजस के लिए 48,000 करोड़ रुपए का ऑर्डर दिया गया है। कितने MSMEs सेक्टर जो इसके साथ जुड़ेंगे उससे कितना बड़ा कारोबार होगा। हमारे जवानों को बुलेट प्रुफ जैकेट तक के लिए भी लंबा इंतजार करना पड़ता था। आज हम न सिर्फ भारत में ही बुलेट प्रुफ जैकेट बना रहे हैं बल्कि दूसरे देशों को भी सप्लाई करने के लिए अपनी कैपेसिटी को बढ़ा रहे हैं। चीए ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद का गठन होने से प्रोक्योरमेंट, प्रोसेस, ट्रायल एंड टेस्टिंग, उपकरणों के इंडक्शन, सर्विसिज की प्रक्रियाओं में यूनिफॉर्मिटी लाना बहुत सरल हो गया है और हमारे सभी डिफेंस फोर्स के सभी तीनों विंग के सहयोग से यह काम बहुत तेजी से आगे भी बढ़ रहा है।

डिफेंस सेक्टर में कैपिटल आउट ले में 19 प्रतिशत की बढ़ोतरी

पीएम मोदी ने कहा इस साल के बजट में सेना का आधुनिकीकरण की एक प्रतिबद्धता और मजबूत हुई है। करीब डेढ़ दशक बाद डिफेंस सेक्टर में कैपिटल आउट ले में 19 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। आजादी के बाद पहली बार डिफेंस सेक्टर में प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी बढ़ाने पर इतना जोर दिया जा रहा है। प्राइवेट सेक्टर को आगे लाने के लिए उनके लिए काम करना और आसान बनाने के लिए सरकार उनके “ईज ऑफ डूइंग बिजनेस” पर बल दे रही है।

प्राइवेट सेक्टर की साझेदारी के बिना 21वीं सदी का डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग इको सिस्टम खड़ा नहीं हो सकता

प्रधानमंत्री ने कहा, मैं डिफेंस सेक्टर में आ रहे प्राइवेट सेक्टर की चिंता भी समझता हूं। अर्थव्यस्था के अन्य सेक्टर के मुकाबले डिफेंस सेक्टर में सरकार का दखल कई गुणा ज्यादा है। सरकार ही एकमात्र Buyer है। सरकार स्वयं मैन्युफैक्चरर भी है और सरकार की अनुमति के बिना एक्सपोर्ट करना भी मुश्किल है। यह स्वभाविक भी है क्योंकि यह सेक्टर नेशनल सिक्यॉरिटी से जुड़ा हुआ है लेकिन साथ ही प्राइवेट सेक्टर की साझेदारी के बिना 21वीं सदी का डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग इको सिस्टम खड़ा नहीं हो सकता। यह मैं भी भलि भांति समझता हूं और अब सरकार के सभी अंग भी समझ रहे हैं। साल 2014 से ही हमारा प्रयास रहा है कि ट्रांसपेरेंसी, प्रिडिक्टेब्लिटि और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के साथ हम इस सेक्टर में लगातार एक के बाद कदम उठाते हुए आगे बढ़ रहे हैं। डीलाइसेंसिंग, डीरेग्यूलेशन, एक्सपोर्ट प्रमोशन, फॉरेन इंवेस्टमेंट लिब्रलाइजेशन ऐसे अनेक उपायों के साथ हमने इस सेक्टर में एक के बाद एक मजबूत कदम उठाए हैं।

यूनिफॉर्म फोर्सेस की लीडरशिप से मिली सबसे ज्यादा मदद

पीएम मोदी ने कहा मैं यह भी कहूंगा कि मुझे सारे प्रयासों के लिए सबसे ज्यादा प्रयोग, सबसे ज्यादा मदद यूनिफॉर्म फोर्सेस की लीडरशिप से मिली है। वे भी एक प्रकार से इस बात को बल दे रहे हैं। जब डिफेंस फोर्स का यूनिफॉर्म पहना व्यक्ति इस बात को कहता है तो इस बात की ताकत बहुत बढ़ जाती है क्योंकि जो यूनिफॉर्म पहन कर खड़ा है उसके लिए तो यह जीवन और मृत्यु की जंग होती है। वह अपना जीवन संकट में डालकर देश की रक्षा करता है और वह जब आत्मनिर्भर भारत के लिए आगे आया हो तो कितना सकारात्मक और उत्सव से भरा हुआ वातावरण होगा इसकी भलि-भांति कल्पना कर सकते हैं।

भारत ने डिफेंस से जुड़े ऐसे 100 आइटम की लिस्ट बनाई, जिसे निगेटिव लिस्ट कहते हैं

पीएम मोदी ने कहा, भारत ने डिफेंस से जुड़े ऐसे 100 आइटम की लिस्ट बनाई है, जिसे निगेटिव लिस्ट कहते हैं। इन्हें हम अपनी स्थानीय इंडस्ट्री की मदद से मैन्युफैक्चर कर सकते हैं। इसलिए टाइमलाइन रखी गई है ताकि हमारी इंडस्ट्री जरूरतों को पूरा करने का सामर्थ्य हासिल करने के लिए प्लान तैयार कर सके। सरकारी भाषा में ये निगेटिव लिस्ट है लेकिन मैं इसे जरा अलग तरीके से देखता हूं। जिसको दुनिया निगेटिव लिस्ट के नाम से जानती है, मेरी दृष्टि से यह आत्मनर्भरता की भाषा में पॉजिटिव लिस्ट है। ये वो पॉजिटिव लिस्ट है जिसके बल पर हमारी अपनी मैन्युफैक्चरिंग कैपिसिटी बढ़ने वाली है। ये वो पॉजिटिव लिस्ट है जो भारत में ही रोजगार निर्माण का काम करेगी। ये वो पॉजिटिव लिस्ट है जो अपनी रक्षा जरूरतों के लिए हमारी विदेशों पर निर्भरता को कम करने वाली है। ये वो पॉजिटिव लिस्ट है जिसकी वजह से भारत में बने प्रोडक्ट्स की भारत में बिकने की गारंटी भी है। ये वो चीजें है जो भारत की आवश्यक्ता के अनुसार, हमारे क्लाइमेट और हमारे लोगों के स्वभाव के अनुसार इसमें निरंतर इनोवेशन होने की संभावनाएं अपने आप समाहित है।

पीएम मोदी ने कहा मैं आज इस बैठक में आप सभी को ये भरोसा देता हूं जिसे बनाने का सामर्थ्य देश में है किसी सरकारी या प्राइवेट कंपनी में है, वो बाहर से लाने की अप्रोच नहीं रखी जाएगी। देश में आज जो डिफेंस कॉरिडोर बनाए जा रहे हैं, वो भी स्थानीय उद्यमियों, लोकल मैन्युफैक्चरिंग को मदद करेंगे। यानि आज हमारे डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता को हमें ‘जवान भी और नौजवान भी’, इन दोनों मोर्चों के सशक्तिकरण के रूप में देखना होगा।

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