- महाकुम्भ के अंतिम स्नान पर्व पर पवित्र स्नान के लिए जुटने लगे विदेशी श्रद्धालु
महाकुम्भ नगर । महाकुम्भ के आखिरी के स्नान पर्व महा शिवरात्रि पर त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान करने के लिए विदेशी श्रद्धालुओं के कई समूह महाकुम्भ नगर पहुंच गए हैं। ब्राजील से आया भगवान शिव के भक्तों का एक ग्रुप भी महा शिवरात्रि के स्नान पर्व की बाट जोह रहा है।
महाकुम्भ के अंतिम स्नान पर्व के लिए जुटने लगे विदेशी मेहमान
जिस दिव्यता और भव्यता के साथ प्रयागराज महा कुम्भ की शुरुआत हुई, समापन भी उसी अंदाज में होने जा रहा है। महाकुम्भ के अंतिम स्नान पर्व महा शिवरात्रि में संगम में मुक्ति की डुबकी लगाने के लिए विदेशी श्रद्धालुओं का जमावड़ा फिर महाकुम्भ में होने लगा है। ब्राजील से महाकुम्भ के अंतिम स्नान पर्व महा शिवरात्रि में त्रिवेणी में पवित्र स्नान करने के लिए दो दर्जन से अधिक ब्राजीली युवाओं का एक ग्रुप पहुंच चुका है। ग्रुप के कॉर्डिनेटर हेनरिक मोर का कहना है ये सभी युवा लॉर्ड शिवा की भक्ति धारा से जुड़े हुए हैं । इसमें ज्यादातर रियो दि जनेरियो और साओ पाउलो शहर से हैं जहां शिव मंदिर भी हैं। लॉर्ड शिवा से प्रेरित होने की वजह से इन्होंने महा शिवरात्रि पर्व को चुना है जहां 12 वर्षों के बाद महाकुम्भ का विशेष अवसर आया है।
तन पर भगवान शिव के प्रतीकों का श्रृंगार और मन में भोले बाबा की भक्ति की मस्ती
ब्राजील के यूथ में धार्मिक पर्यटन का खासा क्रेज माना जाता है। भारत और एफ्रो-ब्राजील परंपराओं के बीच कुछ समानताएं इन्हें महाकुम्भ खींच लाई है। ब्राजीली ग्रुप के सदस्य पाओ फेलिपे का कहना है कि ग्रुप में अधिकतर युवा लार्ड शिवा के फॉलोवर हैं। सभी के शरीर में लॉर्ड शिवा के विभिन्न प्रतीकों को टैटू के रूप में स्थान दिया गया है। कानों में त्रिशूल की आकृति के चंद्राकार कुंडल और पूरे बदन में शिव जी के प्रतीक डमरू और महाकाल की आकृतियां इन्हें अलग पहचान प्रदान कर रही हैं। ग्रुप की महिला सदस्य इसाबेला बताती है कि ब्राजील में कयापो समुदाय की संस्कृति से इसके यूथ प्रभावित हैं जिसमें शरीर में प्रतीकों को गुदवाने की परम्परा है।
महाकुम्भ के दिव्य और भव्य आयोजन ने किया आकर्षित
ब्राजीली युवाओं का यह ग्रुप हर साल महा शिवरात्रि में बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी आता रहा है लेकिन इस बार प्रयागराज में महाकुम्भ के आयोजन की दुनिया के कोने कोने में चर्चा से ये लोग प्रयागराज आए हैं। ग्रुप के कॉर्डिनेटर हेनरिक मोर का कहना है कि महा कुम्भ की दिव्य अनुभूति से सभी लोग अभीभूत हैं इसलिए सभी लोगों ने महाशिव रात्रि का स्नान महा कुम्भ की त्रिवेणी की पवित्र धारा में करने का फैसला किया है।
महाकुम्भ में मंगल भूमि फाउंडेशन ने जल संरक्षण और गंगा की निर्मलता को लेकर विशेष अभियान चलाया
महाकुम्भ 2025 के पावन अवसर पर जहां करोड़ों श्रद्धालु संगम में पुण्य स्नान कर रहे हैं, वहीं मंगल भूमि फाउंडेशन ने जल संरक्षण और गंगा की निर्मलता को लेकर विशेष अभियान चलाया। इस अभियान के तहत कुम्भ क्षेत्र में प्रत्यक्ष रूप से 1 लाख से अधिक श्रद्धालुओं को जल संचयन के प्रति जागरूक किया गया।
नुक्कड़ नाटक और प्रभात फेरी से दिया संदेश
मंगल भूमि फाउंडेशन के कार्यकर्ताओं ने महाकुम्भ नगरी में पर्चा वितरण, नुक्कड़ नाटक, प्लास्टिक की बोतलें एकत्रित करना, प्रभात फेरी निकालना और छोटे-छोटे मंचों पर कार्यक्रम आयोजित कर जल संरक्षण का संदेश दिया।
संस्थाओं का हरित महाकुंभ में योगदान
फाउंडेशन के अध्यक्ष रामबाबू तिवारी ने कहा कि इस बार महाकुम्भ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के तहत ‘एक थाली-थैला अभियान’ चलाया गया, जिससे हरित महाकुम्भ को सफल बनाने में बड़ी मदद मिली। इसी प्रकार, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने दो दिवसीय हरित महाकुम्भ के आयोजन के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।
देशभर से 30 इंटर्न बना रहे हैं रिपोर्ट
मंगल भूमि फाउंडेशन के 30 इंटर्न अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर पर्यावरण गतिविधियों की एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। साथ ही, वे पर्यावरण चेतना अभियान, स्वच्छता अभियान और यात्रा के माध्यम से हरित महाकुम्भ में अपना योगदान दे रहे हैं।
गंगा की सहायक नदियों के संरक्षण पर बल
फाउंडेशन की इंटर्न यशी राजपूत ने कहा, “गंगा की अविरलता और निर्मलता को बनाए रखने के लिए हमें इसकी सहायक नदियों के संरक्षण और संवर्धन की बात करनी होगी। हर संस्था को अपने क्षेत्र की नदियों को निर्मल बनाने का संकल्प लेना चाहिए।”