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वित्त मंत्री ने एमएसएमई के बकाया का जल्द भुगतान करने को कहा

नई दिल्ली । केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यहां अवसंरचना के रोडमैप पर चर्चा करने के लिए वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के साथ एक वर्चुअल बैठक की। यह अवसंरचना के रोडमैप पर मंत्रालयों/विभागों के साथ वित्त मंत्री की पांचवीं समीक्षा बैठक थी। इस बैठक के दौरान मंत्रालयों एवं उनके सीपीएसई की पूंजीगत खर्च (कैपेक्‍स) योजनाओं, बजट में की गई घोषणाओं पर अमल की स्थिति और अवसंरचना या बुनियादी ढांचागत निवेश में तेजी लाने के उपायों पर चर्चा की गई।

बैठक में वित्त सचिव, सचिव (आर्थिक कार्य), सचिव (सार्वजनिक उद्यम), सचिव (सड़क परिवहन एवं राजमार्ग), सचिव (दूरसंचार) और सचिव (परमाणु ऊर्जा) के साथ-साथ इन तीनों मंत्रालयों/विभागों के सीपीएसई के सीएमडी/सीईओ ने भी भाग लिया। मंत्रालयों और उनके सीपीएसई के पूंजीगत खर्च संबंधी प्रदर्शन की समीक्षा करते समय वित्त मंत्री ने विशेष जोर देते हुए कहा कि बढ़ा हुआ पूंजीगत खर्च (कैपेक्‍स) महामारी के बाद अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और इसके साथ ही उन्‍होंने मंत्रालयों को अपना ज्‍यादातर पूंजीगत खर्च शुरू में ही करने के लिए प्रोत्साहित किया।

मंत्रालयों से यह भी अनुरोध किया गया कि वे अपने कैपेक्स लक्ष्यों से अधिक हासिल करने पर फोकस करें। वित्त मंत्री ने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में 5.54 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत परिव्यय का प्रावधान किया गया, जो वर्ष 2020-21 के बजट अनुमान से 34.5% अधिक है। उन्‍होंने कहा कि पूंजीगत खर्च को बढ़ाने के लिए बजटीय प्रयासों को सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों द्वारा पूरित किया जाना है। श्रीमती सीतारमण ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि अवसंरचना खर्च केवल अवसंरचना पर केंद्र सरकार का ही बजटीय खर्च नहीं है, बल्कि इसमें राज्य सरकारों और निजी क्षेत्र का अवसंरचना या बुनियादी ढांचागत खर्च भी शामिल है।

इसमें बजटेतर संसाधनों के जरिए सरकारी व्यय भी शामिल है। अत: मंत्रालयों को अभिनव संरचना या व्‍यवस्‍था एवं वित्तपोषण के माध्यम से परियोजनाओं को वित्त पोषित करने पर सक्रिय रूप से काम करना है और बुनियादी ढांचागत खर्च को बढ़ाने के लिए निजी क्षेत्र को हरसंभव सहायता प्रदान करना है। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि मंत्रालयों को व्यवहार्य या लाभप्रद परियोजनाओं के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड का भी पता लगाने की जरूरत है। वित्त मंत्री ने मंत्रालयों और उनके सीपीएसई से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के बकाया का जल्द से जल्द भुगतान सुनिश्चित करने को भी कहा।

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