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किसान हठधर्मिता छोड़ें, बाकी मांगों पर सरकार से बात करें : स्वामी रामदेव

योग गुरु स्वामी रामदेव ने आंदोलनरत किसानों से शनिवार को अपील की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों विवादास्पद कृषि कानून की वापसी की उनकी प्रमुख मांग मान ली है इसलिए उन्हें हठधर्मिता छोड़ आंदोलन खत्म करना चाहिए और बाकी मांगों को लेकर सरकार से बातचीत शुरू करनी चाहिए।स्वामी रामदेव ने पतंजलि विश्वविद्यालय के नवनिर्मित परिसर के उद्घाटन एवं प्रथम दीक्षांत समारोह की पूर्वसंध्या पर कहा कि किसानों की मूल मांग यह थी कि तीनों कृषि कानून वापस लिए जाएं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे मान लिया है और तीनों कानूनों की वापसी की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस के बाद गतिरोध खत्म हो जाना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि बाकी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) आदि अन्य मांगों को लेकर सरकार से संवाद करना चाहिए। काम हठधर्मिता से नहीं बनेगा। सहयोग और सदभावना के साथ इस दिशा में आगे बढ़ेंगे तो काम बनेगा।

तीनों कृषि कानूनों के बारे में प्रधानमंत्री श्री मोदी के वक्तव्य कि वह किसानों को समझा नहीं पाये, उनकी राय पूछे जाने पर स्वामी रामदेव ने कहा, “जिसको मोदी जी ही नहीं समझा पाये। उसमें मैं अपना सिर कैसे खपाऊं।”स्वामी रामदेव ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब आदि पांच राज्यों के आगामी विधानसभा चुनावों के बारे में भी दिलचस्प राय साझा की और कहा कि ये पांचों राज्यों के चुनाव 2024 के लोकसभा चुनाव और भविष्य के भारत की राजनीति की बिसात सजाएंगे। उत्तर प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य के बारे में उन्होंने कहा कि राज्य में योगी आदित्यनाथ की भारतीय जनता पार्टी और श्री अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के बीच मुकाबला है। बहन मायावती के दलित वोट प्रधानमंत्री श्री मोदी के अंत्योदय के कार्यक्रम के कारण बड़ी संख्या में भाजपा से आकर्षित हो रहे हैं।एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अभी तक देश में राजनीतिक दल दलित, शोषित, वंचित लोगों की बैसाखियों पर चढ़ कर वोटों का ध्रुवीकरण कर सत्ता हासिल करने की कोशिश करते रहे हैं और इसे वे सोशल इंजीनियरिंग के नाम से पुकारते रहे हैं। लेकिन अब तस्वीर बदल गई है। श्री मोदी की सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपये मुफ्त में बांट दिये हैं।कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी वाड्रा की राजनीति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि राजनीति के कई आयाम होते हैं और यह एक दीर्घकालिक गतिविधि है। मेहनत का फल मीठा होता है।

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