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ज्वालामुखी में हुआ विस्फोट, 4,000 मीटर ऊंचाई तक उठी राख

जकार्ता/नई दिल्ली : कोरोना काल में एक तो वैसे ही लोगों पर पर मुसीबतों के पहाड़ टूट पड़ा है, वहीं इंडोनेशिया में एक पहाड़ ही फूट पड़ा। यहां काफी संख्या में सक्रिय ज्वालामुखी मौजूद है और हाल ही में 29 नवम्बर को एक सक्रिय ज्वालमुखी में विस्फोट हो गया।

जानकारी के मुताबिक पूर्वी इंडोनेशिया में रविवार को एक ज्वालामुखी फट गया जिसकी राख आसमान में 4,000 मीटर ऊंचाई तक उठी। हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। `डिजास्टर मिटिगेशन एजेंसी` के प्रवक्ता रादित्य जैती ने बताया कि ज्वालामुखी ईस्ट नुसा तेंगारा प्रांत में फटा। माउंट इली लेवोटोलोक नाम के ज्वालामुखी के आसपास स्थित कम से कम 28 गांवों से करीब 2,800 लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया। अभी तक किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं है। परिवहन मंत्रालय ने बताया कि ज्वालामुखी के फटने के बाद स्थानीय हवाईअड्डे को बंद कर दिया गया, क्योंकि राख आसमान में छितरी हुई है। इंडोनेशिया में 120 से अधिक सक्रिय ज्वालामुखी हैं।

देश के ज्वालामुखी और भूगर्भीय खतरा न्यूनीकरण केंद्र के अधिकारियों ने क्षेत्र में सतर्कता के स्तर को तीन से चार तक बढ़ा दिया। यह दूसरा उच्चतम स्तर है। सरकार ने लोगों से आंखों और त्वचा को राख के हानिकारक प्रभावों से बचाने के लिए मास्क के उपयोग की सिफारिश की। उन्होंने निवासियों को ज्वालामुखी के गड्ढे से 4 किलोमीटर दूर रहने की चेतावनी दी क्योंकि क्षेत्र `गर्म बादलों, लावा धारा, लावा हिमस्खलन, और जहरीली गैस` के साथ बाढ़ की संभावना थी।

5,423 मीटर का माउंट इली लेवोतोलोक हाल के महीनों में जावा द्वीप पर मेरापी ज्वालामुखी और सुमात्रा पर सिनाबुंग ज्वालामुखी के बाद फटने वाला तीसरा ज्वालामुखी है। इंडोनेशिया के 17,000 द्वीपों में 400 ज्वालामुखी हैं। 129 सक्रिय ज्वालामुखी हैं, जिनमें से कुछ 65 को खतरनाक के रूप में वर्गीकृत किया गया है। द्वीपसमूह राष्ट्र तथाकथित `रिंग ऑफ फायर` पर स्थित है – प्रशांत महासागर के रिम के साथ ज्वालामुखियों और फॉल्ट लाइनों की एक श्रृंखला।

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