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पांच साल में सात बार टीकाकरण का बताएं महत्व बताएं

कुशीनगर। नियमित टीकाकरण के प्रति उदासीन परिवार को समझा कर शत प्रतिशत टीकाकरण के लिए ब्लॉक रिस्पांस टीम ( बीआरटी) को शनिवार को प्रशिक्षित किया गया। स्वास्थ्य विभाग द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से सीएमओ कार्यालय सभागार में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ.सुरेश पटारिया ने कहा कि बीआरटी के सभी स्वास्थ्य अधिकारी और कर्मचारी उदासीनता बरतने वाले परिवार को समझाएं। टीके के महत्व को बताएं। उन्हें टीकाकरण के लिए राजी करके शत टीकाकरण कराएं, ताकि कोई भी पात्र बच्चा और गर्भवती टीकाकरण से वंचित न रहने पाएं। उदासीन परिवार को मनाने के लिए उच्चाधिकारियों, पंचायत प्रतिनिधियों, सम्भावित व्यक्तियों और धर्मगुरूओं से भी सहयोग लिया जाएं।

उन्होने बताया कि बच्चों को पोलियो, टीबी, पीलिया, दस्त, निमोनिया, गलागोटू, काली खांसी, टिटनेस, दिमागी बुखार, खसरा आदि बीमारियों से बचाने के लिए नियमित टीकाकरण जरूरी है। पांच साल में सात बार टीकाकरण कराने से बच्चों को उपरोक्त गंभीर बीमारियों से बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि नियमित टीकाकरण के बेहतर प्रबंधन एवं सुदृढ़ीकरण के लिए अनुश्रवण और मूल्यांकन जरूरी है। अनुश्रवण और मूल्यांकन के माध्यम से नियमित टीकाकरण पर आच्छादन बढ़ाया जा सकता है।

जिले में चिन्हित हैं करीब 956 उदासीन परिवार – डीआईओ

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डाॅ.संजय गुप्ता ने बताया कि जिले में करीब 956 ऐसे परिवार चिन्हित किए गए है जो नियमित टीकाकरण का प्रतिरोध कर रहें हैं । इन सभी परिवारों को मना कर शत प्रतिशत टीकाकरण के लिए ब्लॉक रिस्पांस टीम को प्रशिक्षित किया गया है। टीम के लोग उदासीन परिवार के लोगों के मन की भ्रांतियाँ दूर करेंगे। टीके के फायदे बताएं। लाभार्थियों को यह भी बताएं कि कौन टीका कब और कितने बार लगना है। टीका लगने के बाद बुखार या सूजन आना स्वाभाविक है। इससे घबराएं नहीं, यह एक या दो दिन में स्वतः ठीक हो जाता हैं । बच्चे को खांसी या जुकाम होने की स्थिति में भी टीकाकरण कराया जा सकता है।

उन्होंनेे बताया कि छोटे बच्चों के शरीर में बीमारियों से लड़ने की ताकत कम होती है। टीके नहीं लग पाने की दशा में बीमारी होने का खतरा अधिक रहता है। कुछ बीमारियों उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर या दिव्यांग बना सकती है। बीमार पड़ने पर बच्चा तो परेशान होता ही है परिजनों को भी बच्चे के इलाज के लिए अस्पताल का चक्कर लगाना पड़ता है। बच्चों का टीकाकरण करा कर कई परेशानियों से बचा जा सकता है। प्रशिक्षण कार्यक्रम को यूनिसेफ के डीएमसी शाहबाज मिनहाज ने भी संबोधित किया।

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