तीन दिन की तेज लग्न में फूलों का दाम आसमान पर, सजावट ठेकेदारों के पसीने छूटे
जौनपुर। तीन दिन की तेज लग्न में फूलों का दाम आसमान पर चढ़ गया। हालत यह हो गई कि दूल्हे की कार, मंडप और स्टेज पर फूलों की सजावट करने वाले ठेकेदारों के होश उड़ गए। शहर के चाचकपुर मोहल्ले में स्थित बड़ी फूल मंडी में सजावट ठेकेदार फूल के दुकानदारों से मिन्नतें करके उन्हें एडवांस पकड़ा कर किसी तरह अपना काम चला पाए। फूल मंडी के सूत्रों ने बताया कि तेज लग्न के बीच फूलों की अनुपलब्धता ने इस तरह के हालात बना दिए कि मौके पर सजावट के लिए वांछित मात्रा में मनपसंद फूल मिल भी पाएंगे या नहीं यह संकट खड़ा हो गया। नतीजे में मांग पूरी करने के लिए बाहर से बड़ी मात्रा में फूल मंगाने पड़े।
कई सजावट वालों को फूल इतनी महंगी कीमत पर खरीदने पड़े कि उनका बजट बिगड़ गया। जितने का उन्होंने सजावट का ठीका लिया था उतने में सिर्फ फूल मिल पाए, बाकी खर्च और अपनी मेहनत उन्होंने कैसे एडजस्ट किया होगा यह वही बता सकते हैं। अच्छे किस्म के गुलाब पुणे से प्लेन के जरिए आए। मध्यम किस्म के गुलाब और गेंदे के फूल पिंडरा (वाराणसी) से ग्लैडिलस, डेज़ी, आर्किड जैसे कुछ अन्य सजावटी फूल रायबरेली, लखनऊ आदि से मंगवाना पड़ा। सजावट में इस्तेमाल होने वाली कामिनी, सोनम इंडिया, विक्टोरिया, गोल्डन, पान पत्ता, घोड़ा पत्ता आदि पत्तियां पहले ही कोलकाता से मंगवाई जाती हैं। गौरतलब है कि चाचकपुर में फूल मंडी के साथ-साथ अच्छे पैमाने पर फूलों की खेती भी होती है।
लाकडाउन लगने के बाद फूलों की खेती करने वाले किसानों और दुकानदारों की दोनों की माली हालत खराब हो गई। यहां तक कि उन्हें कर्ज लेकर अपने खाने-पीने की व्यवस्था करनी पड़ी। अनलॉक के बाद यह व्यवसाय धीरे-धीरे ही गति पकड़ पा रहा है। शादी-ब्याह का यह पहला सीजन है जिसमें फूलों का व्यवसाय अच्छा हो रहा है, लेकिन लाकडाउन में झटका खा चुके किसानों ने बहुत ही थोड़ी मात्रा में गेंदे और गुलाब की खेती की। इसलिए स्थानीय उत्पादन बाजार की सिर्फ 10 फीसदी मांग ही पूरी कर पा रहा है। फूल विक्रेताओं के मुताबिक यहां के देसी गुलाब फूल का जीवन महज चार पांच घंटे होने के कारण उसके कम ही दाम मिल पाते हैं, पिंडरा से आने वाले गुलाब के फूल 7- 8 घंटे तक नहीं सूखते। जबकि पुणे से आने वाले गुलाब के फूल प्रयोग हो जाने के बाद भी दो दिन तक हरे भरे दिखाई देते हैं।