प्रकृति के साथ हर इंसान को चलना चाहिए-हृदय नरायण जायसवाल
देवरिया । समाजवादी पार्टी के जिला उपाध्यक्ष हृदय नरायण जायसवाल ने कहा भाजपा सरकार में अनियोजित विकास कार्यक्रम, लेट लतीफी, सरकारी धन के बन्दरबांट की सजा देश की जनता भुगत रही है। बाढ़ बचाव हो, जल भराव की समस्या हो अथवा आपदा प्रबंधन, कंहीं भी जनता को राहत महसूस नहीं हो रही। सरकारी घोषणायें कानों को शकून दे सकती हैं। दिल दिमाग और शरीर को राहत नहीं देती। हृदय नरायण जायसवाल ने कहा की बड़ी नदियों तक बरसात का पानी प्राकृतिक नालों से होकर पहुँचता था। ताल तलैया पानी के संचय का काम करते थे। आबादी के दबाव, कृषि क्षेत्र विस्तार के कार्यक्रम ने उनका अस्तित्व समाप्त करना शुरु कर दिया। जल निकास के रास्ते समतल किये गए, खेत बने। मकान बन गए। गावों को सड़कों से जोड़ने के कार्यक्रम ने मेढ़बन्दी जैसी स्थितियां पैदा कर दी। जल का प्राकृतिक बहाव बाधित हुआ।फसलें जलमग्न होने लगीं। शहरी विकास में नक्शे पास करते समय सम्बन्धित विभाग ने जल निकास के प्राकृतिक साधनों को नजरअंदाज किया। मैदानी इलाका होने के कारण केदारनाथ धाम की त्रासदी जैसी बड़ी घटना से हम सब बचे हुए हैं। सिंचाई विभाग अपने अभिलेख दुरुस्त करे। सभी नालों एवं ताल तलैया काअस्तित्व बहाल कराये। सड़कों के निर्माण के साथ ही जल निकास के स्थान चिन्हित कर पुल और पुलिया का निर्माण भी करा दिया जाय।पूरे जनपद के सभी नालों की सफाई तथा उन्हें मुख्य नदियों तक निर्बाध बहने की ब्यवस्था कर ही इस समस्या से निजात पाया जा सकता है।तात्कालिक धन आवंटन काम के लिए नहीं होता। उसका बिल बाउचर, बंदरबांट ही होता है।कुर्ना नाले का प्रकरण इसका अपवाद नहीं हो सकता। आपदा में अवसर अधिकारी भी तलाश रहे हैं।