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शर्मनाक : कांग्रेस ने मांगा कोटा से बच्चों को उप्र की सीमा तक पहुंचाने वाली बसों का लिया किराया

गिरीश पांडेय 

लखनऊ, : लॉकडाउन के चौथे चरण में अपने मजदूर-प्रेम की नुमाइश करने के बाद आखिरकार कांग्रेस ने अपने चेहरे से पर्दा हटा ही दिया। राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने यूपी सरकार से कोटा से उत्तर प्रदेश की सीमा तक बच्चों के पहुंचाए जाने का किराया तक नही छोड़ा। यह हाल तब है जबकि 1,000 बसों के मामले को लेकर देश में प्रियंका गांधी की राजनीतिक सूझ-बूझ पर सवाल खड़े होने लगे हैं, यहां तक कि उनके अपने ही दल में कइयों ने बगावती रुख अख्तियार किया है।

इसमें दो राय नहीं कि कोरोना काल के इस संकट के बीच उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अपनी जिम्मेदारियों का जिस तरह से निर्वहन किया है, वह अभूतपूर्व है। न केवल समर्थन, बल्कि धुर विरोधियों ने भी कोरोना काल में योगी नीति की सराहना की है। प्रवासी श्रमिकों और कामगारों के ससम्मान और सुरक्षित वापसी के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुआई वाली प्रदेश सरकार पहले दिन से ही पूरी शिद्दत से लगी है। इस क्रम में विभिन्न राज्यों से अब तक एक हजार से अधिक ट्रेनों के जरिए 16 लाख और बसों के जरिए 6 लाख से अधिक प्रवासी श्रमिकों एवं कामगारों की वापसी करा चुकी हैं। यह खुद में एक रिकॉर्ड है। यह सिलसिला लगातार जारी है। अब तो हर रोज लगभग दो लाख श्रमिकों की वापसी हो रही है।

तो क्या अब तक पंचर थीं प्रियंका की बसें :
बावजूद इसके,कांग्रेस की घटिया राजनीति जारी है। दरअसल इस तरह की राजनीति कांग्रेस का शगल रही है। कोरोना के अभूतपूर्व संकट के दौरान भी वह अपने घटियापन से बाज नहीं आयी। जो कांग्रेस आज राजस्थान सीमा पर बसें लगाकर श्रमिकों के लिए अपने घडिय़ाली आंसू बहा रही है उसे यह भी बताना चाहिए कि वह अब तक कहां थी? अप्रैल के अंत में जब दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में लाखों की संख्या में श्रमिक घर जाने के लिए सडक़ों पर आ गये थे तब क्या कांग्रेसी बसें बसें पंचर हो गयी थी? राजस्थान में तो कांग्रेस की ही सरकार है, वहां की कोचिंग से देश भर के बच्चों को सुरक्षित घर वापसी के लिए उसने क्या किया? इस संबंध में लोग उसके घटियापन को जानें यह जरूरी है। क्योंकि यही कांग्रेस का असली चरित्र भी है।
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मालूम हो कि कोटा में फंसे बच्चों को उनके घर वापसी के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर उत्तर प्रदेश सरकार ने 10 हजार बसें भेजी थीं। सरकार को उम्मीद थी कि इतनी बसों से बच्चों की वापसी हो जाएगी। पर बच्चों की संख्या अधिक थी। तमाम बच्चे यह सोचकर फूट-फूट कर रोने लगे कि शायद मेरा नंबर न आये। अजीब सा दृश्य हो गया। ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार ने राजस्थान सरकार से अनुरोध किया कि अपनी कुछ बसों से बचे हुए बच्चों को प्रदेश की सीमा स्थित फतेहपुर सिकरी तक पहुंचा दें। वहां से हम इनको घर भेजने की व्यवस्था कर लेंगे।

राजस्थान सरकार ने इसके लिए 70 बसें उपलब्ध करायीं। इस मानवीय सहयोग के लिए भी उसने प्रदेश सरकार से 36 लाख रुपये से अधिक का भुगतान भी मांग लिया। यही है कांग्रेस का असली चरित्र। बाकी पिछले कुछ दिनों से वह जो कर रही है वह सिर्फ राजनीति है।

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