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रेरा का प्रभावी कार्यान्‍वयन खरीददार और विक्रेता के बीच विश्‍वास बहाल कर सकता है : हरदीप एस. पुरी

नई दिल्ली । आवास एवं शहरी कार्य मंत्री  हरदीप एस पुरी ने कहा कि रेरा के प्रमुख उद्देश्यों में से एक खरीदार और विक्रेता के बीच विश्वास बहाल करने में मदद करना है और यह विश्वास केवल रेरा के सही और प्रभावी कार्यान्वयन द्वारा ही बहाल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इससे न केवल इस क्षेत्र में इन्वेंट्री पाइल-अप के बोझ को कम करने में मदद मिलेगी, बल्कि लंबित परियोजनाओं को पूरा करने के लिए डेवलपर्स को आवश्यक वित्तीय सहायता भी मिलेगी। वह आज यहां रियल एस्टेट क्षेत्र के हितधारकों के साथ “रेरा की तीसरी वर्षगांठ” पर एक वेबिनार को सम्‍बोधित कर रहे थे। इस वेबिनार में आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय में सचिव   दुर्गा शंकर मिश्रा, अपर सचिव  शिव दास मीणा, उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण के अध्‍यक्ष  राजीव कुमार, मध्य प्रदेश रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण के  अध्यक्ष  एंथनी डे सा, महाराष्ट्र आरईआरए के अध्यक्ष  गौतम चटर्जी, तमिलनाडु रियल एस्टेट अपीलीय न्यायाधिकरण के अध्‍यक्ष न्यायमूर्ति बी. राजेंद्रन, और एसोचेम,सीआरईडीएआई, एनएआरईडीसीओ, फिक्‍की, होम बायर्स एसोसिएशन, नेशनल हाउसिंग बैंक और एचडीएफसी के प्रतिनिधियों  ने भाग लिया।

रियल एस्टेट क्षेत्र की पृष्‍ठभूमि का उल्‍लेख करते हुए आवास एवं शहरी कार्य मंत्री ने कहा कि रेरा से पहले के दौर में भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र 2016 तक काफी हद तक अनियंत्रित था, जिसके कारण कई विसंगतियां और उनके परिणामस्वरूप विभिन्न अनुचित व्यवहार हुए, जिनका अंततः घर खरीदने वालों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। इसलिए इस क्षेत्र को विनियमित करने की आवश्यकता महसूस की गई, ताकि पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके। उन्‍होंने कहा, “रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 (रेरा) के अधिनियमन के साथ ही देश को अपना पहला रियल एस्टेट नियामक मिला। रेरा ने भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र में एक नए युग का सूत्रपात किया और इस क्षेत्र में सुधार की दिशा में कदम उठाया गया, अधिक पारदर्शिता, नागरिक केंद्रितता, जवाबदेही और वित्तीय अनुशासन को प्रोत्साहित किया गया। इस परिवर्तनकारी कानून का मुख्य उद्देश्य कुशल और पारदर्शी तरीके से रियल एस्टेट क्षेत्र के विनियमन और संवर्धन को सुनिश्चित करना और घर खरीदने वालों के हितों की रक्षा करना है।”

रेरा के सफल कार्यान्वयन का विवरण प्रदान करते हुए, आवास एवं शहरी कार्य मंत्री ने बताया कि 31 राज्यों / संघशासित प्रदेशों ने रेरा के तहत नियमों को अधिसूचित किया है। जहां 30 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण की स्थापना की है वहीं 24 राज्यों/संघशासित प्रदेशों ने रियल एस्टेट अपीलीय न्यायाधिकरण की स्थापना की है। उन्होंने बताया, “देश भर में 52,000 से अधिक रियल एस्टेट परियोजनाओं और 40,517 रियल एस्टेट एजेंटों ने रेरा के अंतर्गत पंजीकरण किया है। उन्होंने कहा कि देश भर में रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरणों द्वारा 46,000 से अधिक शिकायतों का निपटारा किया गया है।

वर्तमान कोविड-19 महामारी के कारण चुनौतियों और रियल एस्टेट क्षेत्र पर इसके प्रभाव के बारे में मंत्री ने कहा कि कोविड-19 ने रियल एस्टेट क्षेत्र को कमजोर किया है और परियोजना में देरी का कारण बनी है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की शुरुआती अवधि के दौरान निर्माण गतिविधियों को रोक दिया गया था। स्थिति की समीक्षा करने के बाद सरकार ने 20 अप्रैल, 2020 से निर्माण गतिविधियों को प्रभावी बनाने के लिए कुछ उपाय किए हैं। आवास एवं शहरी कार्य मंत्री ने रियल एस्‍टेट को बढ़ावा देने के लिए कई अन्य सक्रिय सुधारवादी नीतिगत फैसलों जैसे नियामक, कार्यक्रम के अनुसार, राजकोषीय और दिवाला और दिवालियापन संहिता 2016  (आईबीसी) जैसी वित्तीय पहलों  का विवरण भी प्रदान किया, जिसमें घर के खरीदारों को ‘वित्तीय ऋणदाताओं’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है। हाल ही में वित्त मंत्रालय द्वारा उद्योग के लिए किए गए फैसलों में कर और प्रत्‍यक्ष कर की रिटर्न भरने में तारीखों का विस्तार, घर खरीदने वालों के ईएमआई भुगतान में छूट और कुछ शुल्क/प्रशुल्‍कों की छूट,लोन डिफाल्‍ट  की सीमा को एक लाख रुपये से एक करोड़ रुपये  तक बढ़ाया जाना शामिल है, जिससे कम राशि के लिए दिवालियापन की कार्यवाही को शुरु करने को रोका जा सकेगा।

निर्माण गतिविधियों के संबंध में आवास एवं शहरी कार्य मंत्री ने बताया कि देश के कुछ हिस्सों में इन्हें अनुमति दी गई है और देश के बाकी हिस्सों में निर्माण गतिविधियां चरणबद्ध तरीके से और सावधानीपूर्वक आकलन करके फिर से शुरू होंगी। उन्होंने सभी हितधारकों से सरकार द्वारा जारी सावधानियों से संबंधित दिशा-निर्देशों जैसे – मास्क या कपड़े से चेहरा ढंकना, आपस में 2 गज की दूरी बनाए रखना, प्रत्येक व्यक्ति द्वारा अरोग्यसेतु एप्लिकेशन डाउनलोड करना, निगरानी, स्वच्छता आदि का सख्ती से पालन करने की अपील की, ताकि इस महामारी को फैलने से रोकने में मदद मिल सके। उन्‍होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना हमारा सामूहिक कर्तव्य है कि रेरा के दौर में आम्रपाली, जेपी और यूनिटेक जैसे उदाहरण दोबारा कभी न हों; क्षेत्र के घर खरीदारों/उपभोक्ताओं को उनका देय प्राप्त हो; और क्षेत्र अपनी वास्तविक क्षमता के अनुरूप उन्‍नति करे। उन्होंने संतोष व्यक्त किया कि रेरा ने अपनी शुरुआत से 3 वर्षों में वास्तव में अच्छा प्रदर्शन किया है और इसकी सफलता का श्रेय समस्‍त  हितधारकों के कठिन परिश्रम को जाता है।

प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए श्री पुरी ने बताया कि सीएसी (केंद्रीय सलाहकार परिषद) की सिफारिशों, जो दरअसल सभी हितधारकों की आवाज है, को सरकार में उच्चतम स्तर पर भेजा गया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने 12 मई 2020 को राष्ट्र को संबोधित करते हुए 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 10 प्रतिशत है, जो इसे दुनिया में कहीं भी घोषित विशालतम आर्थिक पैकेजों में से एक बनाता है। ‘आत्मानिर्भर भारत अभियान ’की घोषणा करते हुए उन्होंने 5 स्तंभों–  ‘अर्थव्यवस्था’ ‘अवसंरचना’; ‘प्रौद्योगिकी से संचालित प्रणाली’; ‘जीवंत जनसांख्यिकी’; और ‘मांग’ पर आधारित आत्‍मनिर्भरता पर जोर दिया।  उन्होंने यह भी कहा कि सुधारों का यह पैकेज  विशेष रूप से चार महत्वपूर्ण पहलुओं –‘भूमि’ ‘श्रम’; ‘नकदी’; और ‘कानून’, से संबंधित  है और यह आर्थिक पैकेज किसान, मजदूर, मध्यम वर्ग, एमएसएमई, कुटीर उद्योग, उद्योग आदि सहित विभिन्न वर्गों की जरूरतों को  पूरा करता है। प्रधानमंत्री की महत्‍वपूर्ण घोषणा के भाग के रूप में वित्त मंत्री ने 13 मई 2020 की अपनी घोषणाओं में पैकेज को निरुपित किया जिसमें रियल एस्‍टेट क्षेत्र द्वारा की गई समापन की तिथि के विस्तार अथवा संशोधन/ विस्‍तारित समापन तिथि संबंधी मांग को शामिल किया गया है।

उन्होंने वित्‍त मंत्री द्वारा की गई अन्य घोषणाओं जैसे प्रवासी मजदूरों और शहरी गरीबों के लिए किफायती किराये के आवास उपलब्‍ध कराने के लिए कि किफायती किराया आवास परिसर (एआरएचसी) योजना का भी जिक्र किया, जहां शहरों में सरकारी वित्त पोषित आवासों को पीपीपी मॉडल के तहत किफायती किराये के आवास परिसर में परिवर्तित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह एकल कदम उन प्रवासी लोगों को अस्थायी आवास प्रदान करने की समस्या को काफी हद तक दूर करेगा जो इस समय कई शहरी क्षेत्रों में फंसे हुए हैं। उन्होंने बताया कि मध्यम आय वर्ग के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना – शहरी (पीएमएवाई-यू) के तहत क्रेडिट लिंक सब्सिडी योजना (सीएलएसएस) को 31 मार्च 2021 तक बढ़ा दिया गया है जिससे मध्यम वर्ग के 2.5 लाख लोगों को लाभ पहुंचने की संभावना है। उन्होंने कहा कि इन उपायों का उद्देश्य प्रधानमंत्री द्वारा घोषित आत्मनिर्भर भारत अभियान के एक भाग के रूप में आवास क्षेत्र को प्रोत्‍साहन देना है।

सत्र का समापन करते हुए, आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय में सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा कि सरकार रियल एस्‍टेट क्षेत्र में कारोबार करने में सुगमता सुनिश्चित करते हुए घरों के खरीददारों के हितों को बरकरार रखने और उनकी रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने पहले से ही सभी राज्यों / संघशासित प्रदेशों और उनके संबंधित रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरणों को परामर्श जारी किया है कि वे रियल एस्‍टेट की परियोजनाओं के नियमित विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही वर्तमान महामारी कोविड-19  को “अप्रत्‍याशित घटना” के रूप में एक प्राकृतिक आपदा मानें और रेरा के तहत पंजीकृत समस्‍त रियल एस्‍टेट की परियोजनाओं के पंजीकरण 6 महीने तक बढ़ाएं और कोविड-19 महामारी के कारण उपज रहे हालात के मद्देनजर 3 महीने और बढ़ाएं। यह उपाय फ्लैट/घरों की डिलिवरी दिलवा कर घरों के खरीददारों के हितों की रक्षा करेगा, हालांकि इसमें कुछ महीनों की देरी होगी, लेकिन यह निश्चित रूप से परियोजनाओं का पूरा होना सुनिश्चित करेगा।

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