सिंंगरौली। गर्दभ राज जिन्हें आमतौर पर गधा कहा जाता है, देश की अर्थव्यवस्था में इनका भी महत्वपूर्ण योगदान है। यह बात अटपटी जरूर लग रही होगी, लेकिन यह सच है। गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष गधों ने कारोबार में दो करोड़ से भी अधिक की वृद्धि दर्ज कराई है।
गधे का कारोबार
धर्मनगरी चित्रकूट से आप परिचित हैं। यहाँ पवित्र मंदाकिनी नदी के तट पर एक अनोखा पशु मेला मुगल काल से लगता चला आ रहा है। इस ऐतिहासिक मेले का विशेष आकर्षण ‘गधा मेला‘ होता है। यह कोई काल्पनिक कथा नहीं बल्कि रोचक सत्य है। इस मेले में इस बार लाए गए हजारों भिन्न भिन्न प्रजाति के गधे विशेष आकर्षण का केंद्र बने रहे। मेला संचालकों के अनुसार गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष यहाँ इनके कारोबार में 2 करोड़ रुपयों की वृद्धि दर्ज की गई है।
धनतेरस व दीपावली के दौरान बाजार में भले ही मंदी रही हो और गत वर्ष की तुलना में कम कारोबार हुआ हो लेकिन चित्रकूट के गधा मेला गुलजार रहा। कोरोना काल की मंदी का यहाँ कोई असर नहीं दिखा। अलबत्ता कारोबार में बढ़ोत्तरी देखी गई। इस मेले में गधों की बोली पांच हजार से लेकर लाखों तक रहती है। पशु व्यापारियों के अनुसार अगले तीन दिनों में करीब आठ हजार और गधे बिकने की उम्मीद है। बताया गया कि इस मेले की शुरुआत औरंगजेब ने कराई थी। इस मेले में मध्यप्रदेश उत्तरप्रदेश छत्तीसगढ़ बिहार आदि के विभिन्न जिलों के व्यापारी खरीद-बिक्री करने यहाँ आते हैं।