लैंगिक भेदभाव : “जूस” लघु फ़िल्म के माध्यम से संवाद कार्यक्रम आयोजित
वाराणसी : घरेलू महिला उत्पीड़न व लैंगिक भेदभाव के मुद्दों पर जागरुकता एवं संवेदनशीलता प्रसार हेतु आर्य महिला महाविद्यालय की छात्राओं के बीच दखल संगठन और महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में फ़िल्म प्रदर्शन के माध्यम से संवाद का आयोजन किया गया।महिला उत्पीड़न व लैंगिक भेदभाव के मुद्दों पर जागरुकता एवं संवेदनशीलता प्रसार हेतु छात्राओं के बीच में “जूस” नामक लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया। करीब 14 मिनट की ये फिल्म समाज के पारम्परिक रूढ़िवादी ढाँचे पर सोचने को मजबूर करती है। फ़िल्म सवाल पैदा करती है कि घर में काम करने वाली गृहणी है क्या ? उसकी जरूरत क्या है वो कौन है ? क्या उसकी अपनी कोई जिंदगी है ? जिसके श्रम की कोई कद्र नहीं करता।
‘जूस ‘ मूवी एक परिवार की कहानी है। ये परिवार देश का कोई भी परिवार हो सकता है। बच्चों को कभी उनकी पसंद का तो कभी उनकी नापसंद का ख्याल रखते हुए नाश्ता खिलाने वाली गृहणी,छुट्टी के दिन पति और उनके दोस्तों के लिए गर्मी में खाना बनाने के लिए जूझती हुई ।कूलर में पानी भरती है ताकि घर के मर्दों को ठंढी हवा मिल पाए और खुद गर्मी में किचन में तरह तरह के व्यंजन बना रही है और हर एक आवाज पर दौड़ कर जा रही है,फिल्म एक महिला की खोई हुई अहमियत को अंत में उस बल के साथ पेश करती है, जिसकी चाह हर उस महिला को होती है जो घर को बुनती-संजोती है।फिल्म प्रदर्शित करने के बाद खुली चर्चा की गई। छात्राओं ने सिनेमा देखकर मन मे जो विचार उतपन्न हुए उन्हें साझा किया।
एक छात्रा मंजुला ने बताया की हम अक्सर पितृसत्ता पितृसत्ता सुनते थे लेकिन उसका अर्थ नही समझ पाते थे। आज के इस आयोजन से पितृसत्तात्मक सोच होती क्या है ये समझने को मिला। ये व्यवस्था हर घर मे महिलाओं को प्रताड़ित करती है।छात्रा शिवि श्रीवास्तव ने कहा कि ये व्यवस्था तो सदियों से चली आ रही है। इसमे पत्नी मां बनकर हम सभी महिलाएं इसी चक्की में खपने को ट्रेंड की जाती हैं। इसका रास्ता क्या है ?संवाद कार्यक्रम की ही सहभागी छात्रा ईशा कुमारी ने कहा कि प्रश्न तो जटिल है लेकिन शायद शिक्षा और स्वावलम्बन कोई रास्ता निकाल सके जो भेदभाव हटाकर समतापूर्ण और शांतिमूलक समाज बनाने में मदद कर सके।
एक छात्रा आयुषी पाण्डेय ने कहा कि क्यो हर बार महिला ही त्याग करें चाहे वो जॉब हो या पढ़ाई, क्यो हर बार बच्चे को संभालने की जिम्मेदारी महिला की हो पुरूष की क्यो नही,और इसकी शुरुआत हमे अपने घरों से करनी होगी। कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों से सोशल मिडिया को फॉलो करने का निवेदन किया गया और कार्यक्रम में शामिल सहभागियों ने एक दूसरे से ये वादा किये की हम सभी मिलकर समाज के इन विषयों पर चर्चा करेंगे और जागरूक नजरिया अपनाएंगे। क्योंकि हम बदलेंगे तभी कुछ हो पायेगा,सबसे पहले खुदके अंदर बदलाव लाने की जरूरत है।
महाविद्यालय में महिला मुद्दों को देखने के लिए बनी इंटरनल महिला सेल ‘तेजस्वनी’ का सहयोग रहा। कॉलेज की अध्यापिका ऋचा मिश्रा मैम और डॉ मंजू मल्होत्रा मैम,सुचिता तिवारी मैम,प्रिंसपल मैम का सहयोग रहा।कॉलेज की छात्राये काफी संख्या में शामिल रहीं। कार्यक्रम का संचालन नीति ने किया। दख़ल का उद्देश्य मैत्री ने और फ़िल्म पर चर्चा विजेता ने कराया, धन्यवाद ज्ञापन इन्दु ने दिया।