सोनभद्र से देवेश मोहन
सोनभद्र– जिले के तत्कालीन प्रभारी जिला पंचायत राज अधिकारी के संबंध में संयुक्त निदेशक (पं) विंध्याचल मंडल मिर्जापुर के द्वारा कराई गई जांच आख्या पत्रांक 462/11-9-2020 में धन्नजय जायसवाल के विरुद्ध कई आरोपों में अनुशासनिक कार्यवाही करते हुए,निदेशक पंचायतीराज उप्र शासन लखनऊ ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
सहायक विकास अधिकारी (पं) व तत्कालीन प्रभारी डीपीआरओ धनंजय जायसवाल को कार्य में राजपत्रित ना होते हुए नियम विरुद्ध ग्राम पंचायतों के कार्यों की वित्तीय एवं प्रशासनिक स्वीकृत निर्गत किए गए। श्री जायसवाल द्वारा ग्राम पंचायत पर सहायक विकास अधिकारी के माध्यम से दबाव बनाकर 312 ग्राम पंचायतों में पल्स ऑक्सीमीटर एवं थर्मल स्कैनर का भुगतान कराया गया। जिसमें 294 ग्राम पंचायतों को 6000 की दर से 7 ग्राम पंचायतों में 6000 से अधिक दर पर भुगतान कराया गया। 10 ग्राम पंचायत में ₹6000 से कम दर पर भुगतान कराए गए। इस प्रकार इनके द्वारा उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली के विपरीत अधिकृत किए जाने पर निलंबित किया गया है। निलंबित के दौरान वित्तीय नियम के प्रावधानों के अनुसार जीवन निर्वाह भत्ते की धनराशि अर्ध वेतन प्रदेश अवकाश वेतन की राशि के बराबर देव होगी उनमें भी अनुमन्य होगा किंतु धनंजय जयसवाल के जीवन निर्वाह भत्ते के साथ कोई धनराशि अन्य भत्ते नहीं होगा। उन्हें निलंबन से पूर्व प्राप्त वेतन के आधार पर अन्य प्रति कर भत्ते भी निलंबन की अवधि में इस शर्त पर होंगे जब इसका समाधान हो जाए कि उनके द्वारा मद में वह वास्तव में किया जा रहा है। जिसके लिए उक्त प्रतिकार भत्ते अनुमन्य है। धनन्जय जायसवाल के विरोध कार्यवाही में विधिवत आरोप पत्र देकर जांच कार्यवाही पूर्ण करके जांच आख्या दो माह में उपलब्ध कराए जाने हेतु उत्तर प्रदेश सरकार सेवक नियमावली के प्रावधान अनुसार मंडली उप निदेशक प्रयागराज मंडल नागराज को जांच अधिकारी नामित किया गया है।