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विकसित भारत के लिए विकसित कृषि जरूरी, सहकार की भूमिका महत्वपूर्ण: मोदी

PM addressing at the inauguration and laying the foundation stone of multiple key initiatives for Cooperative sector at Bharat Mandapam, in New Delhi on February 24, 2024.

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को सहकारी क्षेत्र के लिए कई बड़ी पहल उद्घाटन और शिलान्यास करते हुए राजधानी में एक कार्यक्रम में कहा कि विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कृषि क्षेत्र का विकसित औार आधुनिक होना आवश्यक है।प्रधानमंत्री ने प्रगति मैदान के भारत मंडपम में सहकारिता मंत्रालय द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में ‘सहकारी क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना’ के पायलट प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया। यह योजना जो 11 राज्यों की 11 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) में लागू की जा रही है।

श्री मोदी ने इसके लिए देश भर में अतिरिक्त 500 प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पैक्स) में गोदामों और अन्य कृषि बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिएआधारशिलाएं रखीं।मंत्रालय का कहना है कि इस पहल का उद्देश्य पैक्स गोदामों को खाद्यान्न आपूर्ति श्रृंखला के साथ निर्बाध रूप से एकीकृत करना, खाद्य सुरक्षा को मजबूत करना और नाबार्ड द्वारा समर्थित और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) के नेतृत्व में सहयोगात्मक प्रयास के साथ देश में आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। इस पहल को कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ), कृषि विपणन अवसंरचना (एएमआई) आदि जैसी विभिन्न मौजूदा योजनाओं के अभिसरण के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है ताकि परियोजना में भाग लेने वाले पैक्स को बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सब्सिडी और ब्याज छूट लाभ प्राप्त करने में सक्षम बनाया जा सके।

प्रधानमंत्री ने सरकार के ‘सहकार से समृद्धि’ के दृष्टिकोण के अनुरूप देश भर में 18,000 पैक्स में कम्प्यूटरीकरण के लिए एक परियोजना का भी उद्घाटन किया, जिसका उद्देश्य सहकारी क्षेत्र को फिर से जीवंत करना और छोटे और सीमांत किसानों को सशक्त बनाना है।कार्यक्रम में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमितशाह, कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा और वाणिज्य उद्योग एवं खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं कपड़ा विभागों के मंत्री पीयूष गोयल तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “कृषि प्रणालियों का आधुनिकीकरण भी विकसित भारत के निर्माण के लिए बराबरी का महत्व रखता है।” उन्होंने कहाकि कृषि और खेती-बाड़ी की नींव को मजबूत करने में सहकारिता व सहयोग की शक्ति की बहुत बड़ी भूमिका है। इसी लिए उनकी सरकार ने सहकारिता के लिए एक अलग मंत्रालय बन गया है।

उन्होंने कहा कि आज शुरू की गयी ‘सहकारी क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना’ के परिणामस्वरूप देश के हर कोने में हजारों गोदाम और गोदाम होंगे। यह और पीएसी के कंप्यूटरीकरण जैसी अन्य परियोजनाएं कृषि को नए आयाम देंगी और देश में खेती को आधुनिक बनाएंगी।श्री मोदी ने कहा, “सहकारिता भारत के आत्मनिर्भर समाज की नींव थी। यह सिर्फ कोई प्रणाली नहीं है, बल्कि एक विश्वास, एक भावना है।” उन्होंने कहा कि इसमें दैनिक जीवन से जुड़ी एक सामान्य प्रणाली को एक विशाल औद्योगिक प्रणाली में बदलने की क्षमता है । प्रधानमंत्री ने कहा कि इस नए मंत्रालय के माध्यम से सरकार का लक्ष्य भारत के कृषि क्षेत्र की खंडित शक्तियों को एक साथ लाना हैकिसान उत्पादक संगठन (एफपीओ)की सफलता का उदाहरण देते हुए, प्रधान मंत्री ने गांवों में छोटे किसानों के बीच बढ़ती उद्यमशीलता का उल्लेख किया।

उन्होंने कहा कि अलग मंत्रालय होने के कारण देश में 10,000 एफपीओ बनाने के लक्ष्य की दिशा में तेजी से प्रगति हुई है और 8000 एफपीओ शुरू हो चुके हैं ।उन्होंने कहा कि सहकारिता का लाभ अब मछुआरों और पुशुपालकों तक भी पहुंच रहा है। मत्स्य पालन क्षेत्र में 25,000 से अधिक सहकारी इकाइयाँ कार्यरत हैं। उन्होंने आने वाले वर्षों में 200,000 सहकारी समितियों की स्थापना के सरकार के लक्ष्य को दोहराया।उन्होंने भंडारण के बुनियादी ढांचे की कमी के कारण किसानों को होने वाले नुकसान की ओर इशारा करते हुए कहा कि सहकारी क्षेत्र में 700 लाख टन की दुनिया की सबसे बड़ी भंडारण योजना से किसानों को अपनी उपज का भंडारण करने और अपनी जरूरत के मुताबिक सही समय पर बेचने में मदद मिलेगी तथा उन्हें भंडार पर बैंकों से ऋण लेने में भी मदद मिलेगी। यह सुविधा 1.25 लाख रुपये की लागत से पांच वर्ष में पूरी की जानी है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने पैक्स जैसे सरकारी संगठनों के लिए एक नई भूमिका बनाने के सरकार के प्रयास पर प्रकाश डालते हुए कहा, “विकसित भारत के निर्माण के लिए कृषि प्रणालियों का आधुनिकीकरण भी उतना ही महत्वपूर्ण है।” उन्होंने कहा कि ये पैक्स अब नयी भूमिका में जन औषधि केंद्रों तथा किसान समृद्धि केंद्रों आद का भी परिचालन कर रही है।” उन्होंने कहा कि सहकारी समितियां प्राकृतिक खेती, सौर ऊर्जा जैविक अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पादन , तथा उर्वरक उत्पादन के क्षेत्र में भी योगदान कर रही है और वे ऊर्जादाता तथा उर्वरकदाता बन रही है।श्री मोदी ने सहकारिता क्षेत्र में युवाओं की भूमिका को भी रेखांकित किया। (वार्ता)

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