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भारत-जापान भागीदारी को गहन करना पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को जापान के साथ भारत की भागीदारी को और गहन किए जाने के महत्व पर बल देते हुए कहा कि यह ना केवल दोनों देशों बल्कि पूरी दुनिया में शांति, समृद्धि और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने द्विपक्षीय, क्षेत्रिय और अंतरराष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर आपसी सहयोग को आगे और बढ़ाने के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र और अन्य मंचों पर भी परस्पर सहयोग पर नयी प्रतिबद्धता जतायी है। जापान, भारत में विदेशी निवेश के मामले में एक प्रमुख भागीदार है और जापान की कंपनियां ‘विश्व के लिए भारत में विनिर्माण’ के भारत के प्रयासों की ब्रांड एम्बेसडर हैं।

श्री मोदी भारत यात्रा पर आए जापान के प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा के साथ राजधानी में शिखर बैठक के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा,’ इस संदर्भ में भारत-जापान भागीदारी को और गहन करना सिर्फ दोनों देशों के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है, इससे भारत-प्रशांत क्षेत्र और पूरे विश्व के स्तर पर भी शांति, समृद्धि और स्थिरता को प्रोत्साहन मिलेगा।उन्होंने कहा कि हमें प्रसन्नता है कि वर्ष 2014 में दोनों देशों ने भारत में जापान से 3.5 लाख करोड़ येन के निवेश का लक्ष्य रखा था, जिसे पूरा कर लिया गया है। हमनें पांच वर्षों में पांच लाख करोड़ येन (तीन लाख 20 हजार करोड़ रुपए) के निवेश का नया लक्ष्य रखा है।उन्होंने कहा कि जापान भारत में वैश्विक निवेश सबसे विश्वसनीय और बड़ा भागीदार है।

मोदी-किशिदा ने आर्थिक, वैश्विक संबंधों पर की चर्चा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने शनिवार को यहां स्थित हैदराबाद हाउस में बैठक की और आर्थिक तथा सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही विशेष रणनीतिक तथा वैश्विक साझेदारी को मजबूत करने को लेकर उपयोगी बातचीत की।श्री किशिदा आज दोपहर में यहां पहुंचे और सीधे हैदराबाद हाउस में 14वें भारत-जापान शिखर सम्मेलन के लिए शामिल होने के लिए रवाना हो गए।विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट कर कहा,“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री किशिदा फुमियो के बीच बैठक के साथ भारत-जापान का 14वां वार्षिक शिखर सम्मेलन शुरू हो रहा है।”

उन्होंने कहा, “भारत-जापान साझेदारी को आगे बढ़ाने की दिशा में एक और कदम – शांति, समृद्धि और प्रगति के लिए एक साझेदारी!”श्री किशिदा का काफिला हैदराबाद हाउस पहुंचा,तो यहां प्रधानमंत्री मोदी ने उनका स्वागत किया, जिसके बाद दोनों नेताओं ने फोटोग्राफरों के लिए पोज दिए।विदेश मंत्रालय ने कहा, “एजेंडे में हमारे बहुआयामी द्विपक्षीय संबंधों, पारस्परिक हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करना है।”विदेश मंत्रालय ने कहा, “जापान के साथ दोस्ती को आगे बढ़ाना।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने नयी दिल्ली में फलदायी वार्ता की। दोनों नेताओं ने दोनों देशों के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देने के तरीकों पर चर्चा की।”इससे पहले जापान के प्रधानमंत्री किशिदा यहां स्थिति इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्वागत किया।उल्लेखनीय है कि जापान के प्रधानमंत्री बनने के बाद श्री किशिदा की यह पहली द्विपक्षीय विदेश यात्रा है।

भारत-जापान ने स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वकांक्षी भागीदारी का लिया संकल्प

भारत और जापान ने स्वच्छ ऊर्जा के विभिन्न उपायों पर आपसी सहयोग के लिए भारत-जापान स्वच्छ ऊर्जा भागीदारी का शनिवार को संकल्प किया। इसके तहत दोनों देश विद्युत वाहन एवं बैटरी, सौर और पवन ऊर्जा, स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकी, जैव ईंधन, कोयला खदानों की गैस और अन्य नए उभरते ईंधन तथा पैट्रोलियम ईंधन के रणनीतिक भंडार जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग की घोषणा की है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे स्वस्थ आर्थिक वृद्धि के लक्ष्य और जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।भारत यात्रा पर आए प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा के साथ राजधानी में हैदराबाद हाउस में द्विपक्षीय बैठक में दोनों देशों के बीच पहले से मजबूत सहयोग संबंधों को और अधिक विस्तार देने की कयी नयी पहल पर फैसला हुआ।प्रधानमंत्री कार्यालय ने ‘जापान के साथ मित्रता में प्रगति’ शीर्षक ट्विट में कहा,“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और श्री किशिदा ने नयी दिल्ली में उपयोगी बातचीत की। दोनों नेताओं ने दोनों देशों के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक संपर्कों को और बल देने के तरीकों पर बातचीत की।”

प्रधानमंत्री ने बाद में श्री किशिदा के साथ संवाददाता सम्मेलन में कहा,“भारत और जापान दोनों ही एक सुरक्षित, विश्वसनीय, भरोसेमंद और मजबूत ऊर्जा आपूर्ति की व्यवस्था को समझते हैं। स्वस्थ्य आर्थिक वृद्धि के लक्ष्य को पाने और जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए यह अनिवार्य है।”श्री मोदी ने कहा, “स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में हमारी भागेदारी इस दिशा में लिया गया एक निर्णायक कदम साबित होगा।”विदेश मंत्रालय के वेबसाइट पर ‘भारत-जापान स्वच्छ ऊर्जा भागीदारी’ शीषर्क दस्तावेज में कहा गया है,“भारत और जापान स्वस्थ आर्थिक वृद्धि के लक्ष्यों को प्राप्त करने तथा जलवायु परिवर्तन की समस्या का सामना करने के संबंध में सुरक्षित और मजबूत ऊर्जा आपूर्ति व्यवस्था को सुनिश्चित करने के संबंध में विभिन्न विकल्पों की तलाश करने की आवश्यकता को स्वीकार करते हैं।”दस्तावेज में कहा गया है कि दोनों देशों का मानना है कि कम कार्बन प्रदूषण वाली अर्थव्यवस्था के लक्ष्य तक पहुंचने का कोई एक रास्ता नहीं हो सकता बल्कि हर देश के लिए अलग-अलग रास्ते हैं। दोनों देशों ने कहा है कि उनकी यह भागीदारी इस संबंध में दोनों देशों के बीच सहयोग का आधार होगी।

बयान में भारत द्वारा वर्ष 2070 तक तथा जापान द्वारा 2050 तक कार्बन उत्सर्जन को शुद्ध रूप से शून्य करने के लक्ष्य का उल्लेख करते हुए कहा है कि दोनों देश कम प्रदूषण करने वाले नए ईंधनों और नयी प्रौद्योगिकी तथा व्यवसायिक मॉडलों की ओर बढ़ रहे हैं ताकि कम कार्बन प्रदूषण वाली अर्थव्यवस्था वाले लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके।दोनों देशों ने कहा है कि स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में यह भागीदारी ‘भारत-जापान ऊर्जा वार्ता’ के तहत की जाएगी, जिसकी शुरूआत वर्ष 2007 में हुयी थी।इसमें कहा गया है कि इस भागीदारी के तहत दोनों देश ई-वाहन, बैटरी वाहन चार्जिंग, ऊर्जा संरक्षण, सौर ऊर्जा का विकास, पवन ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन, स्वच्छ और हरित अमोनिया, एलएनजी के अधिक और स्वच्छ उपयोग, कार्बन के अवशोषण, उपयोग और संचय, बायो ईंधन, कोयला खदान की गैसों सहित ईधन के नए क्षेत्र, पैट्रोलियम आदि के रणनीतिक भंडार और स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकी क्षेत्र में सहयोग करेंगे।दोनों देशों के बीच स्वच्छ ऊर्जा भागीदारी के तहत पुरानी और खराब बैटरी और सोलर पैनल आदि के निस्तांरण एवं रि-साइकल, स्वच्छ इस्पात, स्वच्छ निर्माण, स्वस्थ शहरी विकास, जल स्त्रोतों के स्वस्थ विकास और उपयोग के क्षेत्र में भी सहयोग पर सहमति बनी है।

दस्तावेज में कहा गया है कि इसके तहत ना केवल विनिर्माण क्षेत्र बल्कि अनुसंधान एवं विकास(आरएंडडी), प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण और सस्ती दर पर दीर्घकालिक कर्ज सुविधा के क्षेत्र में भी सहयोग किया जाएगा।दस्तावेज में कहा गया है कि दोनों देशों की इस भागीदारी से स्वच्छ आर्थिक वृद्धि, रोजगार सृजन और नवप्रवर्तन को बल मिलेगा। दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि इस भागीदारी से दुनिया को दिखेगा कि भारत और जापान जलवायु परिवर्तन का सामना करने और स्वस्थ विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के महत्वकांक्षी लक्ष्यों को हासिल करने के प्रयासों में अग्रणी मोर्चे पर हैं।

कोविड पश्चात विश्व में शांति, समृद्धि एवं स्थिरता के लिए मिल कर काम करेंगे भारत जापान

भारत एवं जापान ने कोविड महामारी के बाद शांतिपूर्ण, स्थिर एवं समृद्ध विश्व और वैश्विक आर्थिक प्रगति को बल देने के लिए अपनी द्विपक्षीय रणनीतिक साझीदारी को और मजबूत करने का आज संकल्प लिया तथा साइबर सुरक्षा, स्वच्छ ऊर्जा, आर्थिक एवं सांस्कृतिक साझीदारी संबंधी आपसी सहयोग के छह करारों पर हस्ताक्षर किये।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा के बीच यहां हैदराबाद हाउस में 14वीं भारत जापान वार्षिक शिखर बैठक के दौरान इन समझौतों पर मुहर लगायी गयी। बैठक के बाद सबसे पहले दोनों प्रधानमंत्रियों ने कोविड उपरांत शांतिपूर्ण, स्थिर एवं समृद्ध विश्व के लिए साझीदारी संबंधी एक संयुक्त वक्तव्य पर हस्ताक्षर किये और इसके बाद समझौता ज्ञापनों का आदान प्रदान किया गया। इन दस्तावेजों में भारत जापान औद्योगिक प्रतिस्पर्धात्मक साझीदारी रोडमैप, साइबर सुरक्षा सहयोग, 20 हजार 400 करोड़ रुपए के वित्तीय ऋण, समग्र आर्थिक साझीदारी समझौते में संशोधन, अस्वच्छ जल के शोधन, शहरी विकास के करार शामिल हैं।

इसके अलावा दोनों देशों ने स्वच्छ ऊर्जा साझीदारी, पांच खरब येन के निवेश और भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के सतत विकास की पहल के कार्यक्रमों की भी घोषणा की जिसमें बांस के उपयोग को लेकर पहल भी शामिल है। इससे पहले दोनों नेताओं ने भारत जापान बिज़नेस मीटिंग में भी शिरकत की। जिसमें जापानी कंपनी सुज़ुकी ने भारत में इलैक्ट्रिक वाहन विनिर्माण और बैटरी विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने के एक करार पर हस्ताक्षर किये।बाद में अपने प्रेस वक्तव्य में प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि आज की हमारी शिखर बैठक का आयोजन एक बहुत महत्त्वपूर्ण समय हुआ है। विश्व अभी भी कोविड और उसके दुष्प्रभावों से जूझ रहा है। वैश्विक आर्थिक रिकवरी की प्रक्रिया में अभी भी अडचनें आ रही हैं। भू राजनीतिक घटनाएँ भी नयी चुनौतियाँ प्रस्तुत कर रही हैं। इस सन्दर्भ में भारत-जापान साझीदारी को और गहन करना सिर्फ दोनों देशों के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है। इससे हिन्द प्रशांत क्षेत्र और पूरे विश्व के स्तर पर भी शांति स्थिरता एवं समृद्धि को प्रोत्साहन मिलेगा। हमारा आपसी विश्वास, हमारे सभ्यतागत संबंध, लोकतंत्र, स्वतंत्रता और कानून का राज जैसे हमारे साझा मूल्य, हमारे संबंधों के मूल में हैं, उन्हें शक्ति प्रदान करते हैं।

श्री मोदी ने कहा कि आज की हमारी चर्चा ने हमारे आपसी सहयोग को नयी ऊँचाइयों तक ले जाने का मार्ग प्रशस्त किया है। हमने द्विपक्षीय मुद्दों के अलावा कई क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। हमने संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर-राष्ट्रीय मंचों पर भी अपना समन्वय बढ़ाने का निर्णय लिया। भारत-जापान आर्थिक साझीदारी में पिछले कई वर्षों में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। दोनों देशों के कारोबार जगत में जबरदस्त विश्वास है, उत्साह है। जापान भारत में सबसे बड़े निवेशकों में से एक है।उन्होंने कहा कि समर्पित मालवहन गलियारा (डीएफसी) और मुुंबई अहमदाबाद हाईस्पीड रेल जैसे हमारी फ्लैगशिप परियोजनाओं में जापान का सहयोग उल्लेखनीय रहा है। हम इस योगदान के लिए बहुत आभारी हैं। मुुंबई अहमदाबाद हाईस्पीड रेल परियोजना में अच्छी प्रगति हो रही है। दोनों देश इस पर ‘एक टीम एक प्रोजेक्ट’ की भावना के साथ काम कर रहे हैं। यह भारत-जापान साझीदारी का एक बेहतरीन उदाहरण है।प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता जाहिर की कि दोनों देशों ने 2014 में निर्धारित 3.5 खरब जापानी येन के भारत में निवेश का लक्ष्य पार कर लिया है और कहा कि अब हमने अपनी महत्वाकांक्षा को और बढ़ाने का निर्णय लिया है और आने वाले पांच वर्षों में पांच ट्रिलियन येन, मतलब करीब तीन लाख बीस हजार करोड़ रुपए का नया लक्ष्य तय किया है।

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में भारत ने व्यापक आर्थिक सुधार किये हैं और कारोबारी सुगमता में बड़ी छलांग लगाई है। आज भारत “मेक इन इंडिया फॉर दि वर्ल्ड” के लिए असीम संभावनाएं प्रस्तुत करता है। इस संदर्भ में जापानी कंपनियां बहुत समय से एक प्रकार से हमारी ब्रॉण्ड एम्बेसेडर रही हैं। हमारे बीच तकनीक एवं नवान्वेषण क्षेत्रों में साझीदारी में नए आयाम जुड़ रहे हैं। हम जापानी कंपनियों को भारत में अनुकूल माहौल उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं। आज आरंभ किया गया भारत जापान औद्योगिक प्रतिस्पर्धात्मक साझीदारी रोडमैप इसके लिए एक कारगर प्रणाली सिद्ध होगी। जापान के साथ हमारी कौशल साझीदारी भी इस दिशा में कारगर भूमिका निभाएगी।प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और जापान, दोनों ही सुरक्षित एवं भरोसेमंद और स्थिर ऊर्जा आपूर्ति के महत्व को समझते हैं। यह सतत आर्थिक प्रगति के लक्ष्य को पाने और जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि हमारी स्वच्छ ऊर्जा साझीदारी इस दिशा में लिया गया एक निर्णायक कदम साबित होगा।श्री मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री किशिदा भारत के पुराने मित्र रहे हैं।

विदेश मंत्री की भूमिका में वे कई बार भारत आये थे, और मुझे उनके साथ विचारों का आदान-प्रदान करने का अवसर मिला था। पिछले कुछ वर्षों में भारत-जापान विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझीदारी में जो अभूतपूर्व प्रगति देखने को मिली, उसमें प्रधानमंत्री किशिदा की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। प्रधानमंत्री किशिदा की यह यात्रा भारत-जापान विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझीदारी में नए आयाम जोड़ने में सफल रही है।जापानी प्रधानमंत्री श्री किशिदा ने कहा कि कई प्रकार के व्यवधानों के कारण पूरी दुनिया अस्त व्यस्त हो गयी है, ऐसे में भारत एवं जापान के बीच निकट साझीदारी बहुत ही महत्वपूर्ण है। हमने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बारे में भी अपने विचारों का आदान प्रदान किया है। हमें अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक एक शांतिपूर्ण समाधान की जरूरत है।श्री किशिदा ने कहा कि भारत एवं जापान दोनों देशों को हिन्द प्रशांत क्षेत्र को स्वतंत्र एवं मुक्त क्षेत्र बनाने के प्रयास तेज करने होंगे। जापान भारत के साथ मिल कर युद्ध का समाप्त कराने एवं यूक्रेन एवं उसके पड़ोसी देशों को सहयोग देता रहेगा। उन्होंने कहा कि हम अगली भारत जापान शिखर बैठक यथासंभव शीघ्र आयोजित करेंगे। उन्होंने भारत एवं जापान के बीच साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में समझौते का स्वागत किया और कहा कि भारत जापान का बहुत महत्वपूर्ण साझीदार है।

जापानी प्रधानमंत्री ने श्री मोदी को टोक्यो में होने वाली क्वाड शिखर बैठक में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया।बाद में विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने संवाददाताओं के सवालों के जवाब में माना कि बैठक में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण एवं हिन्द प्रशांत क्षेत्र पर उसके प्रभाव के बारे में भी प्रमुखता से बात हुई और भारत ने यूक्रेन में मानवीय संकट के मद्देनज़र मानवीय सहायता दिये जाने तथा यूक्रेन की संप्रभुता एवं प्रादेशिक अखंडता बरकरार रखने को लेकर भारत के पक्ष के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत एवं जापान के बीच चीन की गतिविधियों को लेकर भी चर्चा हुई। भारत ने पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना के आक्रामक रुख के बारे में भी जानकारी दी।न्यूज़ सोर्स वार्ता

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